क़वायद अल अहकाम (किताब)

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क़वायद अल-अहकाम फ़ी मारेफ़त-अल-हलाल-वल-हराम

क़वायद अल-अहकाम फ़ी मारेफ़त-अल-हलाल-वल-हराम (अरबी: قواعد الأحكام في معرفة الحلال و الحرام) जिसे क़वायद अल-अहकाम के नाम से जाना जाता है, अरबी में अल्लामा हिल्ली (मृत्यु 726 हिजरी) द्वारा लिखी गई एक किताब है, जो फ़तवा आधारित न्यायशास्त्र (फ़िक़हे फ़तवाई) (फ़िक़हे इस्तिदलाली के विपरित प्रयोग होता है, इसमें शरई अहकाम बिना दलील का उल्लेख किये बयान होते हैं।) के क्षेत्र में लिखी गई थी। मसअला क्रेन्दित होना, शरिया मुद्दों को वर्गीकृत करने में सावधानी, सरल और धाराप्रवाह अभिव्यक्ति, न्यायशास्त्र के सभी अध्यायों पर ध्यान देना इस पुस्तक की विशेषताओं में से हैं।

क़वायद अल-अहकाम अल्लामा हिल्ली के बेटे फ़ख़रुल-मुहक़्क़ेक़ीन (मृत्यु 771 हिजरी) के अनुरोध पर लिखी गई थी। पुस्तक के अंत में लेखक की अपने बेटे के नाम एक वसीयत भी लिखी है। यह पुस्तक सफ़वी शासन के दौरान देश के प्रशासन कानून का आधार थी। इस पुस्तक पर अनेक विवरण और हाशिये लिखे गये हैं। साथ ही, संपूर्ण फ़ारसी अनुवाद पाठ्यक्रम का होना इस पुस्तक की विशेषताओं में से एक है।

स्थान एवं महत्व

क़वायद अल अहकाम फ़ी मारेफ़तिल हलाल वल हराम जिसे क़वायद अल अहकाम के रूप में जाना जाता है, शिया फ़तवा न्यायशास्त्र की पुस्तकों में से एक है[१], जिसमें तहारत (पवित्रता) से लेकर दियात तक न्यायशास्त्र के सभी अध्याय शामिल हैं। आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी के अनुसार, इस पुस्तक को मुहक़्क़िक़ हिल्ली (मृत्यु 676 हिजरी) की शरायेअ अल-इस्लाम पुस्तक के बाद सबसे मूल्यवान न्यायशास्त्रीय पुस्तकों में से एक माना जाता है।[२] अल्लामा हिल्ली ने इस पुस्तक को दस साल की अवधि में लिखा था और इसे बग़दाद सेमिनरी (हौज़ा इल्मिया बग़दाद) में अपने शिक्षण का केंद्र बनाया।[३] क़वायद अल-अहकाम पर विभिन्न युगों में सेमिनरी (हौज़ा इल्मिया) के विद्वानों और बुजुर्गों की तवज्जो का केन्द्र रही है। [४] मुहक़्क़िक़ करकी ने इस पुस्तक को लेखकत्व की दृष्टि और लेखन विधि की एक बे मिसाल पुस्तक माना है।[५] इसी तरह से, ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, क़वायद अल-अहकाम को शाह इस्माइल द्वारा सफ़ाविया युग में सरकारी और धार्मिक मुद्दों को हल करने के लिए कानून के रूप में चुना गया था।[६]

क़वायद अल-अहकाम पुस्तक इमामिया न्यायशास्त्र की सबसे विश्वसनीय और प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक है, जो तहारत से दियात तक न्यायशास्त्र का एक संपूर्ण पाठ्यक्रम है।[७]

लेखक

मुख्य लेख: अल्लामा हिल्ली और अल्लामा हिल्ली के कार्यों की सूची

अबी मंसूर हसन बिन यूसुफ बिन मुताहर, जिन्हें अल्लामा हिल्ली के नाम से जाना जाता है, 8वीं चंद्र शताब्दी के विद्वानों में से एक हैं, जो कई विद्वानों के अनुसार, तर्कसंगत (माक़ूल) और हस्तांतरणीय (मन्क़ूल) के विशेषज्ञ थे, और उन्होंने कई वैज्ञानिक कार्यों को अपने पीछे यादगार छोड़ा है जिनमें से अल-मुख़्तलफ़, अल-तज़क़ेरा और मुंतहा अल-मतालिब की तरफ़ इशारा किया जा सकता है। [८] ज्ञान और पूर्णता और नैतिकता के पालन में किसी को भी उनके बराबर नहीं माना गया है।[९]

संरचना और सामग्री

क़वायद अल-अहकाम में न्यायशास्त्र की इक्कीस पुस्तकें शामिल हैं, जो तीन खंडों में लिखी गई थीं[१०] और इसमें 6600 मुद्दे (मसले) शामिल हैं।[११]

  • पहले खंड में यह पुस्तकें शामिल हैं: तहारत, नमाज़, ज़कात, रोज़ा, हज;
  • दूसरे खंड में यह पुस्तकें शामिल हैं: व्यापार, उधार और उससे संबंधित कार्य, अमानत और उसके जैसे कार्य, हड़पना और उसके जैसे कार्य, किराया और उसके जैसे कार्य, वक़्फ़ और उपहार;
  • तीसरे खंड में यह पुस्तकें शामिल हैं: विवाह, पृथक्करण, इत्क़ (ग़ुलाम) और उससे संबंधित कार्य, क़सम और उसके जैसे कार्य, शिकार और ज़बीहा (क़ुरबानी), फ़रायज़, क़ज़ा, हुदूद और दियात;

पुस्तक के अंत में, लेखक की ओर से उनके बेटे, फ़ख़्र अल-मुहक़्क़ीन के लिए एक पूर्ण और महत्वपूर्ण वसीयत लिखी गई है।[१२]

विवरण और हाशिया

मुख्य लेख: क़वायद अल-अहकाम की व्याख्या और हाशियों की सूची

आग़ा बुज़ूर्ग तेहरानी ने अल-ज़रीया पुस्तक में क़वायद अल अहकाम पुस्तक[१३] के लिए 35 टिप्पणियों का नाम पेश किया हैं, जिनमें से कुछ यह हैं:

  • ईज़ाह अल-फ़वायद, अल्लामा हिल्ली के बेटे फ़ख़्र अल-मुहक़्क़ेक़ीन द्वारा लिखित (मृत्यु 771 हिजरी)
  • क़वायद अल-अहकाम पर काशिफ़ अल-ग़ेता की टिप्पणी (मृत्यु 1228 हिजरी)
  • क़वायद अल-अहकाम पर टिप्पणी शहीद सानी द्वारा लिखित (मृत्यु 911 हिजरी)
  • जामे अल-मक़ासिद, मोहक्क़िक़ कर्की द्वारा लिखित (मृत्यु 940 हिजरी)
  • कश्फ अल-लेसाम फ़ाज़िल हिन्दी द्वारा लिखित (मृत्यु 1137 हिजरी)

अनुवाद और आलोचना

मुहम्मद बिन अबी-अब्दिल्ला जो हाजी (मृत्यु 732 हिजरी) के नाम से प्रसिद्ध थे, द्वारा क़वायद अल-अहकाम का फ़ारसी अनुवाद, जो अल्लामा हिल्ली की मृत्यु के छह साल बाद किया गया था। इस पुस्तक में क़वायद अल अहकाम पुस्तक का एक पूर्ण अनुवाद पाठ्यक्रम शामिल है।[१४]

अली इब्न मुहम्मद क़ाशी (काशी) हिल्ली, उपनाम नासिर अल-दीन, ने अपने न्यायशास्त्रीय ग्रंथ में, अल्लामा हिल्ली की पुस्तक क़वायद अल-अहकाम की तहारत की परिभाषा पर 20 आपत्तियाँ कीं हैं, जिसके कारण वह ग्रंथ रेसाल ए ऐतेराज़िया के रूप में जाना जाता है। निःसंदेह, इस ग्रंथ के केवल कुछ भाग ही न्यायशास्त्र की पुस्तकों में उपलब्ध हैं।[१५]

संस्करण

  • इसकी एक प्रति काज़िमिया - इराक़ में सय्यद हुसैन सद्र पुस्तकालय में उपलब्ध है: यह प्रति मुहम्मद बिन इस्माइल हरक़ली द्वारा 706 हिजरी में लिखी गई थी। उन्होंने यह पुस्तक अल्लामा से सामने पढ़ी और इसे अल्लामा ने अनुमोदित किया।
  • तेहरान विश्वविद्यालय पुस्तकालय - ईरान में उपलब्ध संस्करण: यह संस्करण अली बिन मोहम्मद नीली द्वारा 709 हिजरी में लिखा गया था।
  • मदीनातुल इल्म काज़िमिया- इराक़ की लाइब्रेरी में उपलब्ध संस्करण: यह संस्करण 713 हिजरी में मुहम्मद बिन मोहसिन सारोक़ी द्वारा लिखा गया था।
  • संस्करण फ़ैज़िया लाइब्रेरी क़ुम - ईरान में उपलब्ध है: इस संस्करण का पहला खंड मुहम्मद बिन बनी नस्र द्वारा 717 हिजरी में लिखा गया था और दूसरा खंड मुहम्मद बिन मुहम्मद द्वारा उसी वर्ष लिखा गया था।[१६]

फ़ुटनोट

  1. अल्लामा हिल्ली, क़वायद अल-अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 173।
  2. आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, ​​अल-ज़रिया, 1403 हिजरी, खंड 14, पृष्ठ 17।
  3. अमीन, आयान अल-शिया, 1403 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 404।
  4. आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, ​​अल-ज़रिया, 1403 हिजरी, खंड 14, पृष्ठ 17।
  5. अल्लामा हिल्ली, क़वायद अल-अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 4।
  6. सदाक़त, "रूहानियत व तआमुल बा हुकूमत दर हुक़ूक़े असासी असरे सफ़विया", पृष्ठ 10।
  7. आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, ​​अल-ज़रिया, 1403 हिजरी, खंड 14, पृष्ठ 17।
  8. अमीन, आयान अल-शिया, 1403 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 397।
  9. मूसवी ख़ुनसारी, रौज़ात अल-जन्नात, खंड 2, पृष्ठ 270।
  10. अल्लामा हिल्ली, क़वायद अल-अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 174।
  11. आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, ​​अल-ज़रिया, 1403 हिजरी, खंड 14, पृष्ठ 17।
  12. अल्लामा हिल्ली, क़वायद अल-अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 714।
  13. आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, ​​अल-ज़रिया, 1403 हिजरी, खंड 14, पृष्ठ 23-17।
  14. हाजी, क़वायद अल-अहकाम का फ़ारसी अनुवाद, 732 हिजरी, पृष्ठ 188।
  15. आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, ​​अल-ज़रीया, 1408 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 222।
  16. अल्लामा हिल्ली, क़वायद अल-अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 76।

स्रोत

  • आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, ​​मोहम्मद मोहसिन, अल-ज़रिया इला तसानीफ़ अल-शिया, कुम, इस्माइलियान, 1408 हिजरी।
  • अमीन, सैय्यद मोहसिन, आयान अल-शिया, बेरूत, दार अल-तआरुफ़, 1403 हिजरी।
  • सदाक़त, क़ासिम अली, "रूहानियत व तआमुल बा हुकूमत दर हुक़ूक़े असासी असरे सफ़विया", मारेफ़त पत्रिका, खंड 93, क़ुम, इमाम खुमैनी शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान, 1370 शम्सी।
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन यूसुफ़, क़वायद अल-अहकाम फ़ी मारेफ़तिल हलाल वल हराम, क़ुम, इस्लामिक प्रकाशन संस्थान, 1413 हिजरी।
  • मदऊ, मुहम्मद बिन अबी अब्दिल्लाह, क़वायद अल-अहकाम, मशहद का फ़ारसी अनुवाद, ख़ैरात ख़ान मदरसा की पांडुलिपि, बी. ता।
  • मूसवी ख़ुनसारी, मोहम्मद बाक़िर, रौज़ात अल-जन्नात फ़ी अहवल अल-उलमा वल-सादात, क़ुम, इस्माइलियान, 1390।