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एसाम अलएमाद

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एसाम अल-एमाद
धर्म परिवर्तन करके शिया इसना अशरी बनने वाले एक यमनी विद्वान
यमन के एक विद्वान
यमन के एक विद्वान
पूरा नामएसाम अली यहया अल-एमाद
जन्म तिथि1989 ईस्वी
जन्म स्थानयमन
प्रसिद्ध रिश्तेदारअली यहया अल-एमाद, अब्दुलरहमान अल-एमाद
गुरूमुहम्मद इस्माइल अल-उमरानी, अहमद सलामह, अब्दुल रज्जाक़ अल-शाहज़ी, मुक़बिल अल-वादेई
शिक्षा स्थानयमन, सऊदी अरब और ईरान
संकलनरेहलती मिनल वहाबियते इलल इसना अशरिया, तजरुबती मअल इमाम मुहम्मद बिन हसन अल असकरी, तक़ाबुले अहले सुन्नत व वहबीयत, अल-मन्हज अल-जदीद व अल-सहीह फ़ी अल-हिवार मा' अल-वहाबीयीन, नक़्द अलशैख़ मुहम्मद अब्दुल वहाब मिनल दाख़िल
अन्यउस्मान अल-ख़मीस के साथ वाद-विवाद
सामाजिकअहले-बैत (अ) की विश्व महासभा की सदस्यता उनके अभिलेखों में शामिल है


'एसाम अल-एमाद, (जन्म 1968 ई.) धर्म परिवर्तन करके शिया इसना अशरी बनने वाले एक यमनी विद्वान हैं, जो पहले एक ज़ैदी मज़हब और वहाबीवाद से प्रभावित थे। यमन और सऊदी अरब में धार्मिक अध्ययन करने के बाद, वे 1989 ई. में ईरान चले गए और उन्होने हौज़ा इल्मिया क़ुम में अध्ययन किया। उनकी रचनाओं में जो अरबी भाषा में है रेहलती मिनल वहाबियते इलल इसना अशरिया (वहाबी से इसना अशरी बनने तक मेरी यात्रा) और अल मंहज अलदीद वस सहीह फ़िल हेवार मअल वहाबीयीन (वहाबियों के साथ संवाद का नया और सही तरीका) शामिल हैं। कुवैत के वहाबियों के नेता उस्मान अल-ख़मीस के साथ उनके शास्त्रार्थ ने शिया धर्म के प्रसार में मदद की।

इमाद अहले-बैत (अ.स.) की विश्व सभा की महासभा के सदस्य हैं।

पद और जीवनी

एसाम अली यहया अल-एमाद धर्म परिवर्तन करके शिया इसना अशरी बनने वाले एक यमनी विद्वान हैं, जो शिया इसना अशरी बनने से पहले ज़ैदी थे और वहाबी मान्यताओं से प्रभावित थे।[] उनके धर्म परिवर्तन की कहानी और शिया शिक्षाओं को समझाने के उनके प्रयासों ने बहुत से मुसलमानों का ध्यान आकर्षित किया है।[] अहले-बैत (अ.स.) की विश्व महासभा की सदस्यता उनके अभिलेखों में शामिल है।[]

जीवनी

एसाम अल-एमाद का जन्म 1968 ई. में यमन के इब्ब प्रांत के अल-एमाद गाँव में हुआ था।[] उनके पिता, अली यहया अल-एमाद, और उनके चाचा, अब्दुल रहमान अल-एमाद, सलफ़ी और वहाबी विद्वान थे, और उनके परिवार को यमन में वहाबीवाद के प्रचार के अग्रदूतों में से एक माना जाता था। उनकी दो बहनें भी यमनी वहाबी विश्वविद्यालयों में प्रसिद्ध प्रोफेसर हैं।[]

एसाम अल-एमाद ने छह साल की उम्र में वहाबी स्कूलों में प्रवेश लिया। कुछ समय के लिए, वह यमनी वहाबीवाद के विद्वान नेता, मुहम्मद इस्माइल अल-उमरानी के छात्र रहे। उनके अन्य शिक्षकों में अहमद सलामह, अब्दुल रज्जाक़ अल-शाहज़ी और मुक़बिल अल-वादेई शामिल थे। एसाम अल-एमाद ने सऊदी अरब के इमाम मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब विश्वविद्यालय के उसूल अल-दीन संकाय से हदीस शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।[]

शिया धर्म में धर्मांतरण

अल-एमाद, सन्आ की एक बड़ी मस्जिद के इमाम और यमन में वहाबी धर्म के प्रचारक थे, जिन्होंने शिया धर्म के विरुद्ध "अल-सिलतो बैन अल-इसना अशरिया व फ़ेरक़ अल-ग़ोलात" नामक एक पुस्तक लिखी थी।[] अपने धार्मिक शोध के दौरान और इमाम अली (अ.स.) और इमाम हुसैन (अ.स.) के बारे में शेख़ मुफ़ीद और सैयद क़ुतुब की रचनाओं का अध्ययन करके, उन्होंने अपने पूर्व विश्वासों की आलोचना शुरू की। इस शोध ने अहले-बैत (अ) के प्रति उनकी सोच को बदल दिया और उन्हें इसना अशरी शियों की शिक्षाओं का अधिक व्यापक अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। अपने शोध के दौरान, अल-एमाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि शिया संप्रदाय इस्लाम की सच्चाई के सबसे क़रीब है। शिया धर्म के प्रति उनके झुकाव का एक महत्वपूर्ण कारण यह अहसास था कि इमाम अली (अ.स.) पर लगाए गए बहुत से आरोप दूसरों को शुद्ध करने के लिए गढ़े गए थे।[]

एसाम अल-एमाद 1989 ई. में ईरान आ गए और उन्होने हौज़ ए इल्मिया क़ुम में अध्ययन किया।[]

उस्मान अल-ख़मीस के साथ वाद-विवाद

इसाम अल-एमाद का कुवैत के वहाबी नेता उस्मान अल-ख़मीस के साथ एक वाद-विवाद कुवैत में हुआ था। उपग्रह चैनलों पर एक वर्ष तक प्रसारित इन वाद-विवादों का अरब जगत के युवाओं ने व्यापक स्वागत किया और अरब देशों के मीडिया में भी इन्हें खूब कवरेज मिली।[१०] मिस्र की पत्रिका सौत आल अल-बैत ने अपने सत्ताईसवें अंक में "कुवैत में वहाबी शेख़ की शर्मनाक हार" शीर्षक से इस मुद्दे पर चर्चा की।[११]

अल-ज़िलज़ाल पुस्तक इस वाद-विवाद का अनुवादित पाठ है,[१२] जिसका फ़ारसी में "ज़िलज़ाल: एक वाद-विवाद जिसने वहाबियों के विश्वासों में चिंता और अस्थिरता पैदा की" शीर्षक से अनुवाद किया गया है।[१३] ऐसा कहा जाता है कि इस वाद-विवाद के प्रकाशन के कारण डेढ़ लाख से ज़्यादा लोग शिया धर्म में परिवर्तित हुए।[१४]

रचनाएँ

इमाद की विभिन्न क्षेत्रों में (अरबी भाषा में लिखी गई) निम्न लिखित रचनाएँ प्रकाशित की गई हैं:

अल-ज़िलज़ाल किताब की कवर इमेज, एसाम अल-एमाद और उस्मान अल खमीस के बीच बहस का टेक्स्ट
  • रेहलती मिनल वहाबियते इलल इसना अशरिया (वहाबीवाद से शिया बनने तक मेरी यात्रा): शिया धर्म स्वीकार करने के प्रति उनके दृष्टिकोण का वर्णन करने वाली एक पुस्तक।[१५]
  • तजरुबती मअल इमाम मुहम्मद बिन हसन अल असकरी (इमाम मुहम्मद इब्न अल-हसन अल-अस्करी के साथ मेरा अनुभव): अरबी में एक पुस्तक जिसमें महदीवाद और इमाम महदी (अ.स.) के विषय पर आधिरत इसाम अल-एमाद का शोध शामिल है।[१६]
  • तक़ाबुले अहले सुन्नत व वहबीयत, जो क़ुम स्थित विशिष्ट केंद्र मरकज़े तख़स्सुसी आइम्मए अतहार में सलफ़ीवाद की आलोचना के लिए आयोजित कई बैठकों का परिणाम है।[१७]
  • "अल-मन्हज अल-जदीद व अल-सहीह फ़ी अल-हिवार माअल-वहाबीयीन": यह पुस्तक नीदरलैंड इस्लामिक विचार संस्थान द्वारा प्रकाशित की गई थी।[१८] इसका फ़ारसी अनुवाद "वहाबीवाद के साथ संवाद में एक नई और सही पद्धति" शीर्षक से प्रकाशित हुआ है।[१९]
  • नक़्द अलशैख़ मुहम्मद अब्दुल वहाब मिनल दाख़िल (शेख़ मुहम्मद अब्दुल-वहाब की अंदर से आलोचना): यह पुस्तक वहाबीवाद की गहन आलोचना के दृष्टिकोण से लिखी गई है।[२०]

एसाम अल-एमाद ने इसी तरह से अपने भाषणों,[२१] टेलीविजन कार्यक्रमों,[२२] और अकादमिक बैठकों में शिया धर्म की बुनियादी शिक्षा का भी बचाव किया है और विरोधियों द्वारा उठाए गए संदेहों का जवाब दिया है।[२३]

फ़ुटनोट

  1. अल-एमाद, " गुफ़्तगू बा डॉ. इसाम अल-एमाद, हौज़ा सूचना केंद्र; पनाहंदेह, "दुक्तुरे वहाबी के शिया शुद, तिबयान वेबसाइट।
  2. अल-एमाद, "लेक़ाए इब्र अल नाफ़ेज़ा: मअल दुक्तुर एसाम अल-एमाद फ़ी रेहलतेह एला अल हक़", पृष्ठ 10-11; "डॉ. इसाम अल-एमाद", परसेमान दानिशगाहियान वेबसाइट।
  3. देखें: "एसाम अल-एमाद: शिअयाने यमन रहबरी दर इंक़ेलाबे यमन मुशारेकते असासी दारंद", अहले बैत (अ.स.) विश्व सभा वेबसाइट।
  4. अल-एमाद, " गुफ़्तगू बा डॉ. इसाम अल-एमाद, हौज़ा सूचना केंद्र।
  5. "डॉ. इसाम अल-एमाद", मजमा ए जहानी शिया शनासी।
  6. "डॉ. इसाम अल-एमाद", मजमा ए जहानी शिया शनासी।
  7. "रुशदे रोज़ अफ़ज़ून गीराइश वहाबियून बे दीने इस्लाम", मेहर समाचार एजेंसी।
  8. अल-एमाद, " गुफ़्तगू बा डॉ. इसाम अल-एमाद, हौज़ा सूचना केंद्र; "इसाम अल-एमाद" दरबार ए माजराए शिया शुदनश गुफ़्त:", इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन फ़ॉर इंक्वायरी वेबसाइट।
  9. अल-एमाद," गुफ़्तगू बा डॉ. इसाम अल-एमाद, हौज़ा सूचना आधार।
  10. "डॉ. इसाम अल-एमाद", परसेमान दानिशगाहियान वेबसाइट।
  11. जबूरी, अल-ज़िलज़ाल, 1428 हिजरी, पृष्ठ 4।
  12. जबूरी, अल-ज़िलज़ाल, 1428 हिजरी, पुस्तक पहचान।
  13. जबूरी, ज़िलज़ाल, 1401, पुस्तक पहचान।
  14. जबूरी, ज़िलज़ाल, 1401, पृष्ठ 4।
  15. अल-एमाद, रेहलती मिन अल वहाबियत एला अल इस्ना अशरिया, 1998, पृष्ठ 5।
  16. अल-एमाद, तजरुबती मअल इमाम मुहम्मद अल हसन अल अस्करी, 1435 हिजरी, पृष्ठ 8।
  17. अल-एमाद, तक़ाबुले अहले सुन्नत व वहाबियत, 1395, पृष्ठ 7।
  18. अल-एमाद, अल-मन्हज अल-जदीद व सहीह फी अल-हिवार अल-वहाबीयिन, 2002 ई., पुस्तक क्रमांक।
  19. अल-एमाद, रविशी नौ व सहीह दर गुफ़्तगू बा वहाबियत, 1395 शम्सी, पुस्तक क्रमांक।
  20. अल-एमाद, नक़्द अल शेख़ मुहम्मद अब्दुल वह्हाब मिन अल दाख़िल, 1429 हिजरी, पृष्ठ 6-7।
  21. उदाहरण के लिए, देखें: सोखनरानी ए दानिशमंद रह याफ़ते बे तशीई "डॉ. इसाम अल-एमाद, अपारात वेबसाइट; " सोख़नरानी ए दुक्तुर एसाम अल एमाद दर इज्तेमाअ मुस्तब्सेरीन, अपारात वेबसाइट।
  22. उदाहरण के लिए, देखें: रह याफ़तेगान सोख़नरानी डॉ. एसाम अल-एमाद، शिया क्वेस्ट वेबसाइट; मुसाहेबा शबका ए सलाम बा डॉ. एसाम अल एमाद, हज़रत वली अस्र (अ.स.) अनुसंधान संस्थान की वेबसाइट।
  23. उदाहरण के लिए, देखें: ग़ुज़ारिशे शफ़क़ना अज़ नशिस्त इल्मी तक़ाबुले अहले सुन्नत बा वहाबीयत, शफ़क़ना समाचार एजेंसी; सोख़नरानी ए कामिल उस्ताद एसाम अस एमाद दर नशिस्त मोअर्रफ़ी ए फ़र्हंगे क़ुरआनी ए यमन, अपाराट वेबसाइट।

स्रोत