"रुक़य्या पुत्री इमाम अली (अ)": अवतरणों में अंतर
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'''रुक़य्या बिन्त अली (अ.स.)''', (जीवित: 61 हिजरी), [[मुस्लिम बिन अक़ील]] की पत्नी और [[कर्बला के क़ैदी|कर्बला के क़ैदियों]] में से एक थीं। रुक़य्या [[कर्बला की घटना]] में मौजूद थीं। [[मक्का]] से [[कर्बला]] जाते समय रास्ते में उन्होंने अपने पति मुस्लिम बिन अक़ील की [[शहादत]] की खबर सुनी। | '''रुक़य्या बिन्त अली (अ.स.)''', (फ़ारसी: رقیه دختر امام علی(ع)) (जीवित: 61 हिजरी), [[मुस्लिम बिन अक़ील]] की पत्नी और [[कर्बला के क़ैदी|कर्बला के क़ैदियों]] में से एक थीं। रुक़य्या [[कर्बला की घटना]] में मौजूद थीं। [[मक्का]] से [[कर्बला]] जाते समय रास्ते में उन्होंने अपने पति मुस्लिम बिन अक़ील की [[शहादत]] की खबर सुनी। | ||
[[आशूरा के दिन]], उनके बच्चे अब्दुल्लाह और एक कथन के अनुसार, मुहम्मद [[शहीद]] हो गए और उन्हें ख़ुद [[उमर बिन साद की सेना]] ने पकड़ लिया। क़ाहिरा में उनके नाम पर एक क़ब्र है, जिसकी पुरानी ज़रीह को बदल कर वर्ष 1416 हिजरी में भारत के दाऊदी बोहराओं ने वहाँ पर नई ज़रीह लगवाई। पाकिस्तान के लाहौर शहर में [[बीबी पाक दामन]] के नाम से भी उनकी एक क़ब्र भी बताई जाती है। | [[आशूरा के दिन]], उनके बच्चे अब्दुल्लाह और एक कथन के अनुसार, मुहम्मद [[शहीद]] हो गए और उन्हें ख़ुद [[उमर बिन साद की सेना]] ने पकड़ लिया। क़ाहिरा में उनके नाम पर एक क़ब्र है, जिसकी पुरानी ज़रीह को बदल कर वर्ष 1416 हिजरी में भारत के दाऊदी बोहराओं ने वहाँ पर नई ज़रीह लगवाई। पाकिस्तान के लाहौर शहर में [[बीबी पाक दामन]] के नाम से भी उनकी एक क़ब्र भी बताई जाती है। |