हदीसे मतरूक
हदीसे मतरूक (अरबीःالحديث المتروك) उस हदीस को कहा जाता है जिसके वर्णनकर्ता पर झूठ बोलने का आरोप हो और जिसका वर्णन स्पष्ट नियमों के विरुद्ध होता है। साथ ही, जिन हदीसों को सुनाने वाले अधिक गलतियाँ करते हैं और बहुत से अहले फ़िस्क़ होते हैं, तो उन हदीसो को भी हदीस मतरूक कहा जाता है। कुछ शोधकर्ताओं ने मतरूक (परित्यक्त) हदीस को मतरूह हदीस का पर्याय माना है; जैसा कि कुछ लोगों ने इसे हदीस मुनकर भी कहा है।
मतरूक (परित्यक्त) हदीस मरदूद (अस्वीकृत) हदीस के प्रकारों में से एक है और न्यायविद इसकी सामग्री का पालन नहीं करते हैं। सुन्नी विद्वानों के विपरीत, शिया विद्वानों ने इस हदीस पर कम ध्यान दिया है।
इस प्रकार की हदीसों के वर्णन करने वालों को परित्यागित या परित्यक्त हदीसों कहा जाता है, जो जरह के सबसे खराब स्तर और कमजोर हदीसों में से जईफ़ हदीसे शुमार होती हैं।
संक्षिप्त परिचय
हदीस मतरूक इल्मे दिराया का एक शब्द है[१] और यह उस हदीस को कहा जाता है जिसके कथावाचक पर झूठ बोलने का आरोप हो, किसी अन्य कथावाचक ने इसे नहीं सुनाया हो, और यह स्पष्ट और ज्ञात नियमों के विरुद्ध भी होती है।[२] इसी प्रकार वो हदीसे जिन के कथावाचक झूठे होने मे प्रसिद्ध है उनको भी हदीस मतरूक कहा जाता है।[३] हालांकि हदीस[४] या पैग़म्बर (स) की रिवायत[५] में उसका झूठ बोलना स्पष्ट नहीं है। सुन्नीयो के दृष्टिकोण से मतरूक हदीस उस रिवायत को कहा जाता है जिसका कथावाचक अधिक गलती करता है अथवा अधिक फ़िस्क़ करता है और अधिक लापरवाही से काम लेता है।[६]
परित्यक्त (मतरूक) हदीस मरदूद (अस्वीकृत) हदीस के प्रकारों में से एक है[७] और न्यायविद इसकी सामग्री का पालन नहीं करते हैं।[८]
हदीस के कुछ विद्वानों ने परित्यक्त हदीस के कुछ उदाहरणों का उल्लेख किया है[९] जाबिर जोअफ़ी से उमर बिन शमिर की हदीसें इन उदाहरणों में से एक हैं।[१०]
जरह की अन्य वर्गो के साथ समानताएं और अंतर
हदीस मतरूक को हदीस महजूर भी कहा जाता है[११] क्योंकि कुछ विद्वानों ने इसे हदीसे मुनकर कहा है।[१२] हालाकि हदीस मौज़ूअ (गढ़ी हुई हदीस) से समानता रखती है लेकिन मोहद्देसीन ने इसे हदीस मौज़ूअ नही कहा है, क्योंकि केवल झूठ बोलने का आरोप इस प्रकार की हदीस को हदीस मौज़ूअ में शामिल नहीं कर सकता।[१३]
शिया पुरुष विज्ञान के लेखक अब्दुल्लाह मामक़ानी (1290-1351 हिजरी) के अनुसार, शेख ताहिर जज़ायेरी, ने मतरूक को मतरूह का पर्याय माना है; हालाँकि अधिकांश शोधकर्ताओं ने इन दोनों के बीच अंतर किया है।[१४]
कुछ लोग इनमें से कुछ शब्दों की अस्पष्टता, हस्तक्षेप और समानता का कारण रेजाल की पुस्तकों में इन शब्दों के उपयोग के कारणों या दस्तावेजों के स्पष्टीकरण और उल्लेख की कमी मानते हैं [नोट १] और उनका मानना है कि इन शब्दो की व्याख्या के संबंध में पुरूष विज्ञान के विशेषज्ञो की राय जानने के लिए कोई रास्ता नही है।[१५]
रैंक एवं इस्तेमाल
इल्म रेजाल मे हदीस मतरूक के वर्णनकर्ताओं को मतरूक अथवा मतरूक अल हदीस कहा जाता है।[१६] रेजाल की पुस्तकों में, यह वाक्यांश, "कज़्ज़ाब" "वज़ाअ" जैसे शब्दों के साथ, वर्णनकर्ता की जरह और कद्हा को इंगित करता है।[१७]
सुन्नी रेजाली किताबों में मतरूक या मतरूक अल हदीस का बहुत उपयोग किया जाता है और उन्होंने दिराया की किताबों में इसकी व्याख्या की है[१८] लेकिन शिया रेजाली प्राचीनी स्रोत्र जैसे कि नज्जाशी और रेजाल शेख़ तूसी मे विचार नहीं किया गया है [नोट २] और केवल रेजाले इब्न ग़ज़ाएरी में कुछ लोगों के संबंध में उपयोग किया गया है;[१९] हालांकि इस विषय के अनुरूप अन्य अभिव्यक्तियाँ भी हैं, जैसे "یثه لیس بذکر النقی व हदीसोहू लैसा बेज़िक्र अल नक़ी" ",[२०] या "کان مختلط الامر فی حدیثه काना मुख़्तलेतुल अम्र फ़ी हदीसेहि"[२१] या "کان ضعیفا فی حدیثه काना जईफ़न फ़ी हदीसेहि"[२२] या "فی حدیثه نظر फ़ी हदीसेहि नज़र"[२३] रेजाली किताबों मे मिलती है।
बाद के कुछ शोधकर्ताओं ने हदीसे मतरूक अथवा मतरूक अल हदीस को ज़ईफ़ हदीस के प्रकार[२४] या हदीस के चारो प्रकार[२५] या ख़बर वाहिद के प्रकार[२६] या जरह के स्तर[२७] मे हदीसे मतरूक या मतरूक अल हदीस का उल्लेख किया है।
सुन्नी रेजाली और हदीस शनासी की किताबो मे जरह और तअदील के स्तर के लिए जो शब्द बयान हुए है[२८] उनमे मतरूक अल हदीस का स्तर इब्न अबी हातिम के अनुसार, हदीस मतरूक शब्द जरहा के सबसे खराब स्तर पर है[२९] हदीस मतरूक को ज़ईफ़ हदीसो मे सबसे निचले स्तर की हदीस माना जाता है।[३०]
फ़ुटनोट
- ↑ जमई अज़ पुज़ूहिशगरान, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1426 हिजरी, भाग 3, पेज 278
- ↑ सुबहानी, उसूल अल हदीस, 1426 हिजरी, पेज 95
- ↑ खतीब, उसूल अल हदीस, 1428 हिजरी, पेज 229
- ↑ म़ामक़ानी, मिक़बास अल हिदाया, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 315; मरअशी, उलूम अल हदीस अल शरीफ़, 1433 हिजरी, पेज 102
- ↑ मरअशी, उलूम अल हदीस अल शरीफ़, 1433 हिजरी, पेज 102
- ↑ क़ासेमी, क़वाइद अल तहदीस, 1425 हिजरी, पेज 209; सुबही सालेह, उलूम अल हदीस व इस्तलेहास आन, 1383 शम्सी, पेज 156 बे नक़्ल अज़ अल-फ़ीया सीवती, पेज 94; खतीब, उसूल अल हदीस, 1428 हिजरी, पेज 229
- ↑ क़ासेमी, क़वाइद अल तहदीस, 1425 हिजरी, पेज 209; मरअशी, उलूम अल हदीस अल शरीफ़, 1433 हिजरी, पेज 90
- ↑ जमई अज़ पुज़ूहिशगरान, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1426 हिजरी, भाग 3, पेज 278
- ↑ अधिक जानकारी के लिए देखेः क़ासेमी, क़वाइद अल तहदीस, 1425 हिजरी, पेज 209; सुबही सालेह, उलूम अल हदीस व इस्तलेहास आन, 1383 शम्सी, पेज 156
- ↑ खतीब, उसूल अल हदीस, 1428 हिजरी, पेज 229
- ↑ जमई अज़ पुज़ूहिशगरान, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1426 हिजरी, भाग 3, पेज 278
- ↑ क़ासेमी, क़वाइद अल तहदीस, 1425 हिजरी, पेज 209; मुदीस शानेची, दिराया अल हदीस, 1388 शम्सी, पेज 99 बे नक़्ल अज़ सीवती, दिराया मुरूज, पेज 63
- ↑ मरअशी, उलूम अल हदीस अल शरीफ़, 1433 हिजरी, पेज 102; क़ासेमी, क़वाइद अल तहदीस, 1425 हिजरी, पेज 209
- ↑ म़ामक़ानी, मिक़बास अल हिदाया, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 113
- ↑ देखेः महरेज़ी, हदीस पुज़ूशी, 1390 शम्सी, भाग 1, पेज 113
- ↑ इब्न ग़जत़ाएरी, अल रेजाल, 1422 हिजरी, पेज 68-78
- ↑ कजूरी शिराजी, अल फ़वाइद अल रेजालीया, 1424 हिजरी, पेज 120
- ↑ म़ामक़ानी, मिक़बास अल हिदाया, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 315
- ↑ इब्न ग़जत़ाएरी, अल रेजाल, 1422 हिजरी, पेज 48, 78
- ↑ नज्जाशी, रेजाल, 1365 शम्सी, पेज 19
- ↑ नज्जाशी, रेजाल, 1365 शम्सी, पेज 172
- ↑ तूसी, रेजाल अल तूसी, 1415 हिजरी, पेज 48
- ↑ तूसी, रेजाल अल तूसी, 1415 हिजरी, पेज 39
- ↑ बही सालेह, उलूम अल हदीस व इस्तलेहास आन, 1383 शम्सी, पेज 156; खतीब, उसूल अल हदीस, 1428 हिजरी, पेज 229
- ↑ सुबहानी, उसूल अल हदीस, 1426 हिजरी, पेज 95
- ↑ जमई अज़ पुज़ूहिशगरान, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1426 हिजरी, भाग 3, पेज 278
- ↑ जदीदी नेजाद, दानिश रेजाल अज़ दीदगाह अहले सुन्नत, 1381 शम्सी, पेज 156; हाफ़िज़यान, रसाइल फ़ी दिराया अल हदीस, 1384 शम्सी, भाग 1, पेज 228, 492
- ↑ जदीदी नेजाद, दानिश रेजाल अज़ दीदगाह अहले सुन्नत, 1381 शम्सी, पेज 157-161
- ↑ जदीदी नेजाद, दानिश रेजाल अज़ दीदगाह अहले सुन्नत, 1381 शम्सी, पेज 161
- ↑ खतीब, उसूल अल हदीस, 1428 हिजरी, पेज 230; म़ामक़ानी, मिक़बास अल हिदाया, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 315
नोट
स्रोत
- इब्न ग़ज़ाएरी, अहमद बिन हुसैन, अल रेजाल, क़ुम, मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल हदीस, 1422 हिजरी
- जदीदी निजाद, मुहम्मद रज़ा, दानिश रेजाल अज़ दीदगाह अहले सुन्नत, क़ुम, मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल हदीस, 1381 शम्सी
- जमई अज़ पुज़ूहिशगरान, जेरे नजर सय्यद महमूद हाशमी शाहरूदी, फ़रहंग फ़िक़्ह मुताबिक़ मज़हब अहले-बैत (अ), कुम, मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ फ़िक़्ह इस्लामी बर मजहब अहले-बैत (अ), 1426 हिजरी
- हाफ़िज़यान, अबुल फ़ज़्ल, रसाइल फ़ी दिराया अल हदीस, क़ुम, मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल हदीस, दूसरा संस्करण, 1384 शम्सी
- खतीब, मुहम्मद अज्जाज, उसूल अल हीदस उलूमेही व मुस्तलेहातेही, बैरूत, दार अल फ़िक्र, 1428 हिजरी
- सुबहानी, जाफ़र, उसूल अल हदीस व अहकामेही फ़ी इल्म अल दिराया, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1426 हिजरी
- सुब्ही सालेह, मूसा, उलूम अल हदीस व इस्तलेहात आन, अनुवादः आदिल नादिर अली, क़ुम, इंतेशारात उस्वा, 1383 शम्सी
- तूसी, मुहम्मद बिन हसन, रेजाल अल तूसी, क़ुम, मोअस्सेसा नशर इस्लामी, 1415 हिजरी
- क़ासेमी, जमालुद्दीन, क़वाइद अल तहदीस मिन फ़ुनून अल मुस्तलेह अल हदीस, बैरूत, मंशूरात मरवान रिज़वान दैअबल, 1425 हिजरी
- कजूरी शिराज़ी, मुहम्मद महदी, अल फ़वाइद अल रेजालीया, क़ुम, मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल हदीस, 1424 हिजरी
- मामक़ानी, अब्दुल्लाह, मिक़्बास अल हिदाया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ), 1411 हिजरी
- मुदीर शानेची, काज़िम, दिराया अल हदीस, क़ुम, दफ़्तर इंतेशारात इस्लामी, 1388 शम्सी
- मरअशी, युसूफ़, उलूम अल हदीस अल शरीफ़, बैरूत, दार अल मारफ़ा, 1433 हिजरी
- महरेज़ी, महदी, हदीस पुज़ूही, क़ुम, मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल हदीस, दूसरा संस्करण, 1390 शम्सी
- नज्जाशी, अहमद बिन अली, फहरिस्त अस्मा मुसन्नफ़ी अल शिया, क़ुम, मोअस्सेसा नशर इस्लामी, 1365 शम्सी