उसूले काफ़ी

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उसूले काफ़ी (अरबी: أصول الكافي) हदीस की किताब अल-काफ़ी के तीन भागों के पहले भाग का शीर्षक है। इस खंड में शिया मतों (अक़ीदों), शिया इमामों के जीवन से संबंधित और कुछ ऐसी हदीसें, जो एक मुसलमान के व्यवहार के बारे में बात करती हैं, एकत्रित की गई हैं।

उसूले काफ़ी शिया मतों के ज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक हैं, जिन्हें किताब अल काफ़ी से अलग कई बार प्रकाशित किया गया है, और इस पर कई अनुवाद और स्पष्टीकरण भी लिखे और प्रकाशित किए गए हैं।

लेखक

मूल पाठ: मुहम्मद बिन याक़ूब कुलैनी

मुहम्मद बिन याकूब कुलैनी, जिन्हे "सिक़तुल इस्लाम कुलैनी" (वफ़ात 329 हिजरी) के रूप में जाना जाता है, को महान शिया मुहद्दिस विद्वानों में से एक माना जाता है। वह किताब अल काफ़ी के लेखक हैं, जो सबसे विश्वसनीय शिया हदीस की किताबों में से एक और चार विशेष किताबें (क़ुतुबे अरबआ) में से एक है। उनका जन्म इमाम महदी (अ) की ग़ैबते सुग़रा के दौरान हुआ था और वह हदीस के कुछ ऐसे विद्वानों से मिले थे जिन्होंने हदीस को सीधे इमाम हसन असकरी (अ) या इमाम अली नक़ी (अ) से सुना था। ऐसा कहा जाता है कि कुलैनी हदीस का वर्णन करने में बहुत सावधानी बरतते थे। इब्ने क़ुलुवैह, मुहम्मद बिन अली माजिलिवैह क़ुम्मी, अहमद बिन मुहम्मद ज़रारी उनके छात्रों में से हैं।

किताब का परिचय

उसूले काफ़ी, हदीस की किताब अल-काफ़ी के तीन भागों के पहले भाग का शीर्षक है। इस खंड में, शिया अक़ीदों और शिया इमामों के जीवन से संबंधित हदीसें और कुछ हदीसें जो एक मुसलमान के व्यवहार के बारे में बात करती हैं (3785 हदीसें) एकत्र की गई हैं।

पुस्तक के अन्य दो भागों में, लेखक ने न्यायशास्त्रीय हदीसों और नैतिक उपदेशों पर आधारित हदीसों को एकत्रित किया है।[१]

चूँकि कुतबे अरबआ (चार विशेष किताबों) में से केवल अल-काफी ने ही धार्मिक आख्यानों का उल्लेख किया है, इस किताब का यह हिस्सा हमेशा शियों के लिए आकर्षित करने वाला रहा है, और इस कारण से इसे अलग से भी प्रकाशित किया गया है। शिया विद्वानों ने इस पर अनेक भाष्य लिखे हैं, जिन में इसका अनुवाद भी मद्दे नज़र रहा है तथा इसके अनेक फारसी अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं।

उसूले काफ़ी के अध्याय

आठ सामान्य खण्डों में उसूले काफ़ी को विभाजित किया गया है, कुलैनी ने इनमें से प्रत्येक खण्ड को "पुस्तक" के शीर्षक से परिचित कराया है। ये सामान्य शीर्षक हैं:

  • किताब अल अक़्ल वल जहल
  • किताब फ़ज़लुल इल्म, इसमें 22 अध्याय हैं।
  • किताब अल-तौहीद, इसमें 35 अध्याय हैं।
  • किताब अल-हुज्जा, इसमें 130 अध्याय हैं, और वह हदीसें शामिल हैं जिनमें इमामत की आवश्यकता, शिया इमामों के नाम, इमामों की विशेषताओं, उनके जीवन और उनके इमामत को साबित करने के कारणों की व्याख्या की गई हैं।
  • किताब अल ईमान वल कुफ़्र, इसमें 209 अध्याय हैं।
  • किताब अल दुआ, इसमें 60 अध्याय हैं।
  • किताब फज़लुल-कुरआन, इसमें 14 अध्याय हैं
  • किताब अल-इशरह, इसमें 29 अध्याय हैं।

उसूले काफ़ी की पहली किताब, अल-अक़्ल वल-जहल की किताब है, और इसकी पहली हदीस इमाम बाक़िर (अ) से सृष्टि में अक़्ल के स्थान और ईश्वरीय कर्तव्यों, दंड और ईनाम के लिए इसकी कसौटी के बारे में है।[२][नोट १] उसूले काफ़ी की आखिरी किताब अल-इशरह की किताब है, और इसका आखिरी अध्याय लिखित कागज़ों को जलाने की मनाही पर आधारित है, और उसूले काफ़ी की अंतिम हदीस इमाम मूसा काज़िम (अ) से है जिसमें यह उल्लेख हुआ है कि जिस चीज़ पर सर्वशक्तिमान ईश्वर का नाम लिखा हुआ हो उसे पानी से धोना चाहिये।[३][नोट २]

विवरण

उसूले काफ़ी की शरह करने वालों के दो समूह हैं; एक समूह जिसने अल-काफ़ी पूरी किताब की व्याख्या की और उसूले काफी की भी व्याख्या की है, और एक समूह जिसने केवल उसूले काफी की व्याख्या की है। उसूले काफ़ी के विवरण के लिए समर्पित प्रसिद्ध विवरण यह हैं:

  • दरख़्शाने परतवी अज़ उसूले काफ़ी, लेखक सय्यद मुहम्मद हुसैनी हमदानी, यह फ़ारसी भाषा में है और क़ुम इल्मिया प्रेस द्वारा छह खंडों में इसे प्रकाशित किया गया है।
  • शरहे उसूले काफ़ी, लेखक सदरुद्दीन मुहम्मद शीराज़ी (मुल्ला सदरा) (1050 हिजरी), यह अरबी भाषा में है और इसे मोअस्सेसा मुतालेआत व तहक़ीक़ाते फरहंगी द्वारा तीन खंडों में प्रकाशित किया गया है।
  • शरहे अल काफ़ी, लेखक मुल्ला सालेह माज़ंदरानी (1081 हिजरी), यह अरबी भाषा में है, और उसूल के अलावा, उन्होंने रौज़ ए काफी के हिस्से की भी शरह की है। अलमकतबा इस्लामिया ने इस विवरण को 12 खंडों में प्रकाशित किया है।
  • अल-ज़रीया इला हाफ़िज़िल-शरीया, लेखक मुहम्मद बिन मुहम्मद मोमिन गीलानी, यह अरबी में है और इसे दार अल-हदीस प्रकाशन गृह द्वारा 2 खंडों में प्रकाशित किया गया है।
  • अल-हाशिया अला उसूल अल-काफी, लेखक मुल्ला मुहम्मद अमीन उसतुराबादी, इसे दार अल-हदीस द्वारा प्रकाशित किया गया है।
  • अल-हाशिया अला उसूल अल-काफी, लेखक सय्यद अहमद बिन ज़ैन अल-आबिदीन अल-अलावी अल-आमिली।
  • अल-हाशिया अला उसूल अल-काफी, लेखक सय्यद बद्र अल-दीन बिन अहमद अल-हुसैनी अल-आमिली, इसे दार अल-हदीस द्वारा प्रकाशित किया गया है।

इन के अलावा, उसूले काफ़ी पर कई अन्य शरहें लिखी गई हैं जो आधी-अधूरी हैं। इन पुस्तकों के संग्रह को कुलैनी नामक सॉफ्टवेयर में देखा जा सकता है।

फ़ारसी अनुवाद

  • मुहम्मद बाक़िर कमरई द्वारा अनुवादित, जिसे तेहरान में अल-मकतबह अल-इस्लामिया द्वारा 4 खंडों में प्रकाशित किया गया है।
  • मुहम्मद बाक़िर कमरई द्वारा अनुवादित; जिसे 6 खंडों में उसवा पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित किया गया है।
  • सय्यद जवाद मुस्तफ़वी द्वारा अनुवादित, जिन्होंने अल-इस्लामिया की किताबों की दुकान ने 4 खंडों में प्रकाशित किया हैं।

नोट

  1. لَمَّا خَلَقَ اللهُ الْعَقْلَ‌ اسْتَنْطَقَهُ ثُمَّ قَالَ لَهُ أَقْبِلْ فَأَقْبَلَ ثُمَّ قَالَ لَهُ أَدْبِرْ فَأَدْبَرَ ثُمَّ قَالَ وَ عِزَّتِي وَ جَلَالِي مَا خَلَقْتُ خَلْقاً هُوَ أَحَبُّ إِلَيَّ مِنْكَ وَ لَا أَكْمَلْتُكَ إِلَّا فِيمَنْ أُحِبُّ أَمَا إِنِّي إِيَّاكَ آمُرُ وَ إِيَّاكَ أَنْهَى وَ إِيَّاكَ أُعَاقِبُ وَ إِيَّاكَ أُثِيبُ.امام باقر : जब ईश्वर ने बुद्धि का निर्माण किया, तो उसने इसे बोला और इसे तौला, उसने कहा आगे आओ, यह आगे आई और उसने कहा कि पीछे जाओ, तो वह पीछे चली गयी, भगवान ने कहा: मैं अपने सम्मान और महिमा की क़सम खाता हूं, मैंने एक भी प्राणी नहीं बनाया जो मुझे तुझ से अधिक प्रिय हो, मैं तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति को दूंगा जिसे मैं प्यार करता हूं। वास्तव में, मेरी आज्ञा और निषेध तुम्हारे साथ हैं, और मेरी सजा और इनाम तुम्हारे खाते में हैं
  2. ऊपर वर्णित हदीस में अबी अल-हसन मूसा (अ) के अधिकार पर, जिसमें अल्लाह का उल्लेख उन्हें धोने के लिए कहा गया है।

फ़ुटनोट

  1. मुदीर शानेची, काज़िम, तारीख़े हदीस, पेज 118.
  2. कुलैनी, काफी, खंड 1, पृष्ठ 10।
  3. कुलैनी, काफी, खंड 2, पृष्ठ 674।

स्रोत

  • मुदीर शानेची, काज़िम, तारीख़े हदीस, तेहरान: सम्त प्रकाशन, 1377 शम्सी।