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आलेमतुन ग़ैरो मोअल्लमतिन

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आलेमतुन ग़ैरो मोअल्लमतिन (अरबी: عالمة غير معلمة) (एक विद्वान महिला जिसे किसी ने नहीं पढ़ाया है) हज़रत ज़ैनब (स) की उपाधियों में से एक है जो उन्हें इमाम सज्जाद (अ) ने दी थी।[]

जब कर्बला के बंदियों ने कूफ़ा में प्रवेश किया, तो हज़रत ज़ैनब (स) ने कूफ़ा के लोगों को उपदेश दिया। इसके अंत में, इमाम सज्जाद (अ) ने उनसे कहा: (أنتِ بِحَمدِ اللّٰهِ عالِمَةٌ غَیرُ مُعَلَّمَة "अन्ते बेहम्दिल्लाहे आलेमतुन ग़ैरो मोअल्लमतिन" ईश्वर का शुक्र है, आप एक विद्वान महिला हैं जिसका कोई शिक्षक नहीं है)।[] इसी विवरण के अनुसार, हज़रत ज़ैनब (स) को (आलेमतुन ग़ैरो मोअल्लमतिन) का उपनाम दिया गया है।[] दार्शनिक और शिया न्यायविद् आयतुल्लाह जवादी आमोली ने इमाम सज्जाद (अ) के इस विवरण को हज़रत ज़ैनब (स) की अचूकता (इस्मत) और संरक्षकता (विलायत) की गवाही माना है।[] यह भी कहा गया है कि अपनी फूफी के बारे में इमाम सज्जाद (अ) की यह व्याख्या हज़रत ज़ैनब (स) के उलूमे लदुन्नी के ज्ञान का प्रमाण है।[]

हज़रत ज़ैनब (स) के बारे में इमाम सज्जाद (अ) के इस विवरण के अर्थ के संबंध में, कई संभावनाएँ बताई गई हैं:

हज़रत ज़ैनब (स) किसी शिक्षक की आवश्यकता के बिना, अपने शुद्ध स्वभाव (पाकीज़ा फ़ितरत), बुद्धि (अक़्ल) और विचारशीलता (तदब्बुर) के माध्यम से, ईश्वर और उसके दृश्यमान संकेतों (आयाते ज़ाहिरी) के बारें में जान चुकी थीं, जिसके कारण वह धैर्य रखने और ईश्वरीय निर्णय से संतुष्ट होने में सक्षम हुईं।[]

हज़रत ज़ैनब (स), अपनी आत्मा को परिष्कृत करने (तहज़ीबे नफ़्स) के परिणामस्वरूप, एक ऐसे पद पर पहुँचीं जहाँ वह दैवीय प्रेरणा (इल्हामाते एलाही) से एक विद्वान बन गई थीं।[]

उनके वास्तविक शिक्षक पंजतन पाक थे, अन्य नहीं।[]

फ़ुटनोट

  1. तबरसी, अल इह्तेजाज, 1386 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 31।
  2. तबरसी, अल इह्तेजाज, 1386 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 29-31।
  3. उदाहरण के लिए, बहरानी, अवालिम अल मालूम, 1413 हिजरी, खंड 11, खंड 2, पृष्ठ 948 देखें। मुज़फ़्फ़री और जम्शीदी, असीरान व जानबाज़ाने कर्बला, 1383 शम्सी, पृष्ठ 89।
  4. "ज़रूरते बाज़ शनासी शख़्सीयते हज़रत ज़ैनब ए कुबरा (स)", इसरा इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर रिवीलेशन साइंसेज।
  5. शफ़ीई माज़ंदरानी, आशूरा हमास ए जावेदान, 1381 शम्सी, पृष्ठ 215।
  6. आमोली, अल सहीह मिन सीरत अल इमाम अली (अ), 1430 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 315।
  7. आमोली, अल सहीह मिन सीरत अल इमाम अली (अ), 1430 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 316।
  8. फ़ज़्लुल्लाह, लिल इंसान वा अल हयात, 1421 हिजरी, पृष्ठ 272।

स्रोत

  • बहरानी, अब्दुल्लाह, अवालिम अल उलूम वा अल मआरिफ़ वा अल अहवाल मिन अल आयात वा अल अख़्बार वा अल अक़्वाल (मुस्तदरक सय्यदा अल निसा एला अल इमाम अल जवाद), अनुसंधान: मुहम्मद बाक़िर मुहम्मद अब्तही इस्फ़हानी, क़ुम, मोअस्सास ए अल इमाम अल महदी (अ), पहला संस्करण, 1413 हिजरी।
  • शफ़ीई माज़ंदरानी, मुहम्मद, आशूरा हमास ए जावेदान, तेहरान, मशअर, 1381 शम्सी।
  • तबरसी, अहमद बिन अली, अल इह्तेजाज, सय्यद मुहम्मद बाक़िर खोरसन द्वारा शोध किया गया, नजफ़, दार अल नोमान, 1386 हिजरी।
  • "ज़रूरते बाज़ शनासी शख़्सीयते हज़रत ज़ैनब ए कुबरा (स)", इसरा इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर रिवीलेशन साइंसेज, प्रवेश की तारीख: 7 बहमन 1402 शम्सी, देखे जाने की तारीख: 17 मुर्दाद 1403 शम्सी।
  • आमोली, सय्यद जाफ़र मुर्तज़ा, सहीह मिन सीरत अल इमाम अली (अ), वेला अल मुंतज़र (अ), पहला संस्करण, 1430 हिजरी।
  • फ़ज़्लुल्लाह, मुहम्मद हुसैन, लिल इंसान व अल हयात, बेरूत, दार अल मेलाक, तीसरा संस्करण, 1421 हिजरी।
  • मुज़फ़्फ़री, मुहम्मद और सईद जमशीदी, असीरान व जानबाज़ाने कर्बला, क़ुम, फ़राज़ अंदीशेह, पहला संस्करण, 1383 शम्सी।