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"इमाम अली नक़ी अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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233 हिजरी में, [[मुतावक्किल अब्बासी]] ने इमाम हादी (अ.स.) को मदीना से सामर्रा आने के लिए मजबूर किया। <ref> याकूबी, तारिख़ याकूबी, बेरूत, खंड 2, पृष्ठ 484।</ref> [[शेख़ मुफ़ीद]] ने मुतावक्किल की इस कार्रवाई को 243 हिजरी में उल्लेख किया है; <ref> शेख मोफिद, अल-अरशाद, खंड 2, पृष्ठ 310।</ref> लेकिन इस्लामी इतिहास के शोधकर्ता रसूल जाफ़रियान के अनुसार, यह तारीख़ सही नहीं है। <ref> जाफ़रियान, इमामों का बौद्धिक और राजनीतिक जीवन, 2013, पृष्ठ 503।</ref> कहा गया है कि इस कार्रवाई का कारण मदीना में अब्बासी सरकार के एजेंट अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> और ख़लीफा द्वारा मक्का और मदीना में नियुक्त, [[इमाम ए जमाअत|मंडली के इमाम]] बरिहा अब्बासी की इमाम (अ) का ख़िलाफ़ चुग़ली है। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> और इसी तरह से [[इमामिया|शियों]] के 10वें [[इमाम]] के लिए लोगों की चाहत की भी खबरें बयान की गईं हैं। <ref> इब्न जौज़ी, तज़किरा अल-ख्वास, 1426 एएच, खंड 2, पृष्ठ 493।</ref>
233 हिजरी में, [[मुतावक्किल अब्बासी]] ने इमाम हादी (अ.स.) को मदीना से सामर्रा आने के लिए मजबूर किया। <ref> याकूबी, तारिख़ याकूबी, बेरूत, खंड 2, पृष्ठ 484।</ref> [[शेख़ मुफ़ीद]] ने मुतावक्किल की इस कार्रवाई को 243 हिजरी में उल्लेख किया है; <ref> शेख मोफिद, अल-अरशाद, खंड 2, पृष्ठ 310।</ref> लेकिन इस्लामी इतिहास के शोधकर्ता रसूल जाफ़रियान के अनुसार, यह तारीख़ सही नहीं है। <ref> जाफ़रियान, इमामों का बौद्धिक और राजनीतिक जीवन, 2013, पृष्ठ 503।</ref> कहा गया है कि इस कार्रवाई का कारण मदीना में अब्बासी सरकार के एजेंट अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> और ख़लीफा द्वारा मक्का और मदीना में नियुक्त, [[इमाम ए जमाअत|मंडली के इमाम]] बरिहा अब्बासी की इमाम (अ) का ख़िलाफ़ चुग़ली है। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> और इसी तरह से [[इमामिया|शियों]] के 10वें [[इमाम]] के लिए लोगों की चाहत की भी खबरें बयान की गईं हैं। <ref> इब्न जौज़ी, तज़किरा अल-ख्वास, 1426 एएच, खंड 2, पृष्ठ 493।</ref>


मसऊदी की रिपोर्ट के अनुसार, बरिहा ने मुतावक्किल को लिखे एक पत्र में उनसे कहा: "यदि आप [[मक्का]] और मदीना चाहते हैं, तो अली बिन मुहम्मद को वहां से निकाल दें; क्योंकि वह लोगों को खुद को आमंत्रित करते हैं और उन्होने अपने चारों ओर एक बड़ी संख्या को इकट्ठा कर लिया है।" <ref>  मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> तदनुसार, मुतावक्किल द्वारा यहया बिन हरसमा को इमाम हादी को सामर्रा में स्थानांतरित करने के लिए नियुक्त किया गया। <ref>  मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> इमाम हादी (अ.स.) ने मुतावक्किल को एक पत्र लिखा और उसमें उन्होंने अपने खिलाफ़ कही गईं बातों को ख़ारिज कर दिया। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> लेकिन जवाब में मुतावक्किल ने सम्मानपूर्वक उन्हें सामर्रा की ओर यात्रा करने के लिए कहा। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> मुतावक्किल के पत्र का पाठ [[शेख़ मुफ़ीद]] और [[शेख़ कुलैनी]] की किताबों में उद्धृत किया गया है। <ref मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309; कुलिनी, अल-काफ़ी, 1407 एएच, खंड 1, पृष्ठ 501।</ref>
मसऊदी की रिपोर्ट के अनुसार, बरिहा ने मुतावक्किल को लिखे एक पत्र में उनसे कहा: "यदि आप [[मक्का]] और मदीना चाहते हैं, तो अली बिन मुहम्मद को वहां से निकाल दें; क्योंकि वह लोगों को खुद को आमंत्रित करते हैं और उन्होने अपने चारों ओर एक बड़ी संख्या को इकट्ठा कर लिया है।" <ref>  मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> तदनुसार, मुतावक्किल द्वारा यहया बिन हरसमा को इमाम हादी को सामर्रा में स्थानांतरित करने के लिए नियुक्त किया गया। <ref>  मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 233।</ref> इमाम हादी (अ.स.) ने मुतावक्किल को एक पत्र लिखा और उसमें उन्होंने अपने खिलाफ़ कही गईं बातों को ख़ारिज कर दिया। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> लेकिन जवाब में मुतावक्किल ने सम्मानपूर्वक उन्हें सामर्रा की ओर यात्रा करने के लिए कहा। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309।</ref> मुतावक्किल के पत्र का पाठ [[शेख़ मुफ़ीद]] और [[शेख़ कुलैनी]] की किताबों में उद्धृत किया गया है। <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 309; कुलिनी, अल-काफ़ी, 1407 एएच, खंड 1, पृष्ठ 501</ref>


रसूल जाफ़रियान के अनुसार, मुतवक्किल ने इमाम हादी (अ.स.) को [[सामर्रा]] में स्थानांतरित करने की योजना इस तरह बनाई थी कि लोगों की संवेदनाएँ न भड़कें और इमाम की जबरन यात्रा का कोई ख़तरनाक परिणाम न निकले; <ref> जाफ़रियान, रसूल, इमामों का बौद्धिक और राजनीतिक जीवन, 2008, पृष्ठ 505।</ref> लेकिन सुन्नी विद्वानों में से एक सिब्ते बिन जौज़ी ने यहया बिन हरसमा की एक रिपोर्ट उल्लेख की है, जिसके अनुसार मदीना के लोग बहुत परेशान और उत्तेजित हो गये थे, और उनका संकट इस स्तर तक पहुंच गया कि वे विलाप करने और चिल्लाने लगे, जो मदीना में उससे पहले कभी नहीं देखा गया। <ref> इब्न जौज़ी, तज़किरा अल-ख्वास, 1426 एएच, खंड 2, पृष्ठ 492।</ref> [[मदीना]] छोड़ने के बाद इमाम हादी (अ.स.) काज़मैन में दाखिल हुए और वहां के लोगों ने उनका स्वागत किया गया। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 236-237।</ref> [[काज़मैन]] में, वह ख़ुजिमा बिन हाज़िम के घर गए और वहां से उन्हें सामर्रा की ओर भेज दिया गया। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 236-237।</ref>
रसूल जाफ़रियान के अनुसार, मुतवक्किल ने इमाम हादी (अ.स.) को [[सामर्रा]] में स्थानांतरित करने की योजना इस तरह बनाई थी कि लोगों की संवेदनाएँ न भड़कें और इमाम की जबरन यात्रा का कोई ख़तरनाक परिणाम न निकले; <ref> जाफ़रियान, रसूल, इमामों का बौद्धिक और राजनीतिक जीवन, 2008, पृष्ठ 505।</ref> लेकिन सुन्नी विद्वानों में से एक सिब्ते बिन जौज़ी ने यहया बिन हरसमा की एक रिपोर्ट उल्लेख की है, जिसके अनुसार मदीना के लोग बहुत परेशान और उत्तेजित हो गये थे, और उनका संकट इस स्तर तक पहुंच गया कि वे विलाप करने और चिल्लाने लगे, जो मदीना में उससे पहले कभी नहीं देखा गया। <ref> इब्न जौज़ी, तज़किरा अल-ख्वास, 1426 एएच, खंड 2, पृष्ठ 492।</ref> [[मदीना]] छोड़ने के बाद इमाम हादी (अ.स.) काज़मैन में दाखिल हुए और वहां के लोगों ने उनका स्वागत किया गया। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 236-237।</ref> [[काज़मैन]] में, वह ख़ुजिमा बिन हाज़िम के घर गए और वहां से उन्हें सामर्रा की ओर भेज दिया गया। <ref> मसऊदी, इसबातुल वसीयत, 1426 हिजरी, पृष्ठ 236-237।</ref>
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