wikishia:Good articles/2023/34
शिया हदीसों के अनुसार, किताब उल-जामेअ एक ऐसी किताब है जिसे पैगंबर (स) द्वारा इमला और इमाम अली (अ) द्वारा लिखी गई हदीसी किताब है। रिवायतो मे दूसरे शीर्षक जैसे "सहीफ़ा" और "किताबे अली" इस्तेमाल किए गए है कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि वे सभी एक ही किताब से संबंधित हैं ; क्योंकि इन रिवयतो में इन शीर्षकों के लिए समान विशेषताओं का उल्लेख किया गया है। दूसरी ओर, आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी (1293-1389 हिजरी) का मानना है कि "किताबो अली" अल-जामेआ से अलग है।
कुछ रिवायतो के अनुसार, अल-जामेअ इमामत की निशानियो मे से एक है, जो इस बात को इंगित करती है कि इसका मालिक इमाम है। आगा बुज़ुर्ग तेहरानी का मानना है कि किताबो अली, इमामत की दूसरी निशानी है जो शिया इमामों के बीच एक हाथ से दूसरे हाथ तक होते हुए आज इमाम महदी (अ) के पास है।
विभिन्न रिवायतो के अनुसार, किताबे जामेआ मे हलाल और हराम से संबंधित सभी अहकाम, यहां तक कि ख़राश की दीयत जैसे छोटे छोटे मामलो का उल्लेख किया गया है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इस पुस्तक को "अल जामेआ" इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमे सभी अहकाम का वर्णन है। पंद्रहवीं शताब्दी के शिया शोधकर्ता सैय्यद हुसैन मुदर्रेसी तबताबाई ने कई रिवायतो का हवाला देते हुए किताबो अली के मोहतवा (सामग्री) पर निम्नलिखित विषयों को शामिल करने पर विचार किया: फ़ुरूए दीन के अहकाम (नमाज़, हज, जिहाद, निकाह और तलाक, क़ज़ा अर्थात न्याय और गवाही, हुदूद और दियात) अखलाक़, अक़ाइद और फ़ज़ाइल अर्थात गुण, नबीयों की कहानीया और बातेनी रिवायात शामिल है।
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