wikishia:Good articles/2023/32

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मुरतद्दे फ़ितरी उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसके माता-पिता या उनमे से कोई एक मुसलमान हो और खुद युवावस्था (बालिग़ होने) के बाद इस्लाम से खारिज हो जाए। प्रसिद्ध कथन के अनुसार, माता-पिता का मुसलमान होने का मानदंड इजैक्युलेशन (नुत्फ़ा ठहरने) का समय है। जबकि जवाहिर अल कलाम पुस्तक के लेखक ने "रसाइल अल-जज़ाइर" पुस्तक से अजीब सिद्धांत के शीर्षक के रूप में लिखा है कि माता-पिता के मुस्लिम होने की कसौटी उसके जन्म का समय है।

मुरतद्दे फ़ितरी के विपरीत मुरतद्दे मिल्ली को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके इजैक्युलेशन (नुत्फ़ा ठहरने) के समय माता-पिता या उनमे कोई एक भी मुस्लिम नहीं था, और वो खुद युवावस्था (बालिग़ होने) के बाद मुस्लिम बन गया और फिर काफिर हो जाए।

प्रसिद्ध शिया न्यायविदों (फ़ुक़्हा) के अनुसार, यदि मुरतद्दे फ़ितरी पुरुष है तो उसकी सजा मृत्युदंड है। इसी के साथ फ़ुक़्हो के अनुसार मुरतद्दे फ़ितरी की संपत्ति को वारिसो के बीच विभाजित किया जाता है और उसका विवाह भंग हो जाता है। और उसको किसी मुसलमान से कोई विरासत नहीं मिलती।

यदि कोई महिला मुरतद्दे फ़ितरी हो जाए, तो शिया फ़ुक़्हा के अनुसार उसकी सज़ा मृत्युदंड नही है; बल्कि उसकी सजा उस समय तक क़ैद मे रखना है जब तक कि वह पश्चाताप न करे या उसकी मृत्यु न हो जाए। और उसका विवाह भंग हो जाता है।

कुछ फ़ुक़्हा के अनुसार अगर कोई महिला चार बार मुरतद्दे फ़ितरी हो जाए, तो महिला को सज़ा के रूप मे मृत्युदंड दिया जाएगा अर्थात उसको मार दिया जाएगा। लेकिन आयतुल्लाह सय्यद अबुल क़ासिम ख़ूई का मानना है कि बार-बार मुरतद्दे फितरी होने के कारण महिला की हत्या नही की जाएगी।

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