मुफ़स्सलात

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मुफ़स्सलात, (फ़ारसी: مفصلات) उन छोटे सूरों को कहा जाता है जिनका विवरण क़ुरआन के अंत में हुआ है, जो सूरह नास के साथ समाप्त होते हैं; लेकिन उनमें से पहले सूरह के संबंध में अलग-अलग राय हैं। मुफ़स्सलात को आयतों की संख्या के अनुसार तीन समूहों तेवाल (लंबे), औसात (मध्य) और क़ेसार (छोटे) में विभाजित किया गया है। मुफ़स्सलात सूरों में मंसूख़ आयतें कम दिखाई देती हैं; इसलिए इन्हे मोहकमात भी कहा जाता हैं। इन सूरहों को रियाज़ अल-क़ुरआन भी कहा जाता है।

अर्थ एवं नाम

मुफ़्सल्लात इस्तेलाह में उन सूरहों को संदर्भित किया गया है जो क़ुरआन के अंत में रखे गए हैं, वह छोटे सूरह हैं और बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम के बार-बार दोहराये जाने के साथ एक दूसरे से अलग होते हैं।[१] चूंकि इन सूरहों में निरस्त (मंसूख़) आयतें कम आई हैं, इस लिये उन्हे मोहकम भी कहा जाता है। एक हदीस में, मोहकम आयतों के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में, इब्न अब्बास ने इसे विस्तृत (मुफ़स्सलात) रूप में परिभाषित किया है।[२] कुछ हदीसों में, मुफ़स्सलात सूरों का उल्लेख रियाज़ अल-क़ुरआन के रूप में किया गया है।[३]

अधिकांश मुफ़स्सलात सूरह मक्का में नाज़िल हुए हैं।[४]

क़ुरआन के सूरों के बीच मुफ़स्सलात की स्थिति

पैग़म्बर (स) से उल्लेखित एक हदीस में मुफ़स्सलात की इस्तेलाह का प्रयाग हुआ है; इन हदीस में उल्लेख हुआ है कि मुझे तौरेत के स्थान पर लंबे सूरह, बाइबिल (इंजील) के स्थान पर 100 आयत वाले सूरह (मईन), ज़बूर के स्थान पर मसानी सूरह दिए गए, और मुझे मुफ़स्सलात सूरे जिनकी संख्या 68 सूरह है, अतिरिक्त दिए गए हैं।[५] अन्य हदीसों के आधार पर, ईश्वर ने पैग़म्बर (स) को उनको दिये गये मुफ़स्सलात सूरह के कारण अन्य पैग़म्बरों पर श्रेष्ठता प्रदान की है।[६]

मुफ़स्सलात के प्रकार

मुफ़स्सलात सूरों को आयतो की संख्या के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

मुफ़स्सलात के प्रथम सूरह के बारे में असहमति

मुफ़स्सलात समूह का अंतिम सूरह, निस्संदेह सूरह नास है, लेकिन मुफ़स्सलात समूह के पहले सूरह के बारे में बारह राय हैं और वह यह हैं: सूर ए साफ़्फ़ात, सूर ए जासिया, सूर ए मुहम्मद, सूर ए फ़तह, सूर ए हुजरात, सूर ए क़ाफ़, सूर ए रहमान, सूर ए सफ़, सूर ए फ़ुरक़ान, इंसान, आला और ज़ुहा[८]

फ़ुटनोट

  1. तबरसी, मजमा अल बयान, 1390, खंड 1, पृष्ठ 26; रामयार, तारीख़े क़ुरआन, 2007, पृष्ठ 595।
  2. अहमद इब्न हनबल, मुसनद इब्न हनबल, 1375-1368 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 343।
  3. सख़ावी, जमाल अल-क़ुर्रा, 1418 एएच, खंड 1, पृष्ठ 89।
  4. मारेफ़त, कुरआन विज्ञान, 2013, पृष्ठ 83।
  5. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 एएच, खंड 2, पृष्ठ 601।
  6. तबरसी, मजमा अल बयान, 2013, खंड 1, पृष्ठ 25।
  7. क़ुरआनिक विज्ञान का शब्दकोश, 1394, पृ.
  8. सख़ावी, जमाल अल-क़ुर्रा, 1418 एएच, खंड 1, पृष्ठ 89; खोर्रम शाही, कुरआन और कुरआन अध्ययन विश्वकोश, 1377, खंड 2, पृष्ठ 2131।

स्रोत

  • अहमद बिन हनबल, मुसनद, मोहम्मद शाकिर द्वारा शोध, काहिरा, 1368-1375 हिजरी।
  • हुसैनी तेहरानी, ​​मोहम्मद हुसैन, मेहर ताबान, मशहद, नूर मलकूते कुरआन, 1426 एएच।
  • जुरजानी, हुसैन बिन हसन, जला-उल-अज़हान, तेहरान, तेहरान यूनिवर्सिटी प्रेस, पहला संस्करण, 1377 शम्सी।
  • खोर्रम शाही, बहाउद्दीन, कुरआन और कुरआन अध्ययन का विश्वकोश, तेहरान, नाहिद, 1377 शम्सी।
  • रामयार, महमूद, कुरान का इतिहास, तेहरान, अमीर कबीर पब्लिशिंग हाउस, 1387 शम्सी।
  • सख़ावी, अली बिन मुहम्मद, जमाल अल-क़ुर्रा और कमाल अल-क़ुर्रा, मारवान अल-अतिया और मोहसिन ख़राबा द्वारा शोध, दमिश्क़/बेरूत, दार अल-मामून लित तुरास, पहला संस्करण, 1418 एएच/1997 ई.
  • सुयुती, अब्द अल-रहमान बिन अबी बक्र, अल-दुर अल-मंसूर फ़ी अल-तफ़सीर बिलमासूर, क़ुम, 1404 एएच।
  • तबरसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमा अल-बयान फ़ी तफसीर अल-कुरआन, मोहम्मद बिस्तूनी द्वारा अनुवादित, मशहद, अस्तान कुद्स रज़वी, 1390 शम्सी।
  • कुरआनिक विज्ञान शब्दकोश, क़ुम, इस्लामी सूचना और दस्तावेज़ केंद्र/इस्लामिक विज्ञान और संस्कृति अनुसंधान संस्थान, 1394 शम्सी।
  • कुलिनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, तेहरान, दार अल-कुतुब अल-इस्लामिया, 1407 एएच।
  • मारेफ़त, मोहम्मद हादी, कुरआनिक विज्ञान, क़ुम, तमहिद सांस्कृतिक संस्थान, 1380 शम्सी।