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"अस्ल अल-शिया व उसूलुहा (किताब)": अवतरणों में अंतर

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==प्रकाशन एवं अनुवाद==
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असल अल-शिया व उसूलुहा पुस्तक पहली बार अब्दुल रज्जाक़ हुसैनी बग़दादी द्वारा प्रकाशित की गई थी। [22] यह पुस्तक सैदा (1351 हिजरी), [23] [[नजफ़]], बग़दाद, क़ाहिरा, बेरूत [24] और [[क़ुम]] जैसे विभिन्न शहरों में प्रकाशित हुई थी। [25] इसके अलावा, इस पुस्तक को इस्लामिक विज्ञान और संस्कृति रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा इमाम मुहम्मद अल-हुसैन अल-काशिफ़ अल-ग़ेता के विश्वकोश में मुहम्मद हुसैन काशिफ़ अल-ग़ेता के धार्मिक कार्यों के एक भाग के रूप में प्रकाशित किया गया है। [26] इस पुस्तक के कुछ संस्करणों को अला आले-जाफ़र, [27] मुहम्मद जाफ़र शम्सुद्दीन, और हसन इस्माइल जैसे लोगों द्वारा शोध के साथ प्रकाशित किया गया है। [28]
असल अल-शिया व उसूलुहा पुस्तक पहली बार अब्दुल रज्जाक़ हुसैनी बग़दादी द्वारा प्रकाशित की गई थी। [22] यह पुस्तक सैदा (1351 हिजरी), [23] [[नजफ़]], बग़दाद, [[क़ाहिरा]], [[बेरूत]] [24] और [[क़ुम]] जैसे विभिन्न शहरों में प्रकाशित हुई थी। [25] इसके अलावा, इस पुस्तक को इस्लामिक विज्ञान और संस्कृति रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा इमाम मुहम्मद अल-हुसैन अल-काशिफ़ अल-ग़ेता के विश्वकोश में मुहम्मद हुसैन काशिफ़ अल-ग़ेता के धार्मिक कार्यों के एक भाग के रूप में प्रकाशित किया गया है। [26] इस पुस्तक के कुछ संस्करणों को अला आले-जाफ़र, [27] मुहम्मद जाफ़र शम्सुद्दीन, और हसन इस्माइल जैसे लोगों द्वारा शोध के साथ प्रकाशित किया गया है। [28]


असल अल-शिया व उसूलुहा पुस्तक का विभिन्न भाषाओं जैसे फ़ारसी, हिंदी, [29] फ़्रेंच, [30] अंग्रेज़ी और चीनी में अनुवाद किया गया है। [31] पुस्तक आईने मा स्पष्टीकरण के साथ इस पुस्तक का फ़ारसी अनुवाद है जो आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी द्वारा लिखित 1346 शम्सी में प्रकाशित हुआ है। [32] रीशए शिया व पायाहाय आन फ़ारसी में इस पुस्तक के एक दूसरे अनुवाद का नाम है, जिसे अली रेज़ा ख़ुसरवानी (हकीम ख़ुसरवानी) ने किया है।[33]
असल अल-शिया व उसूलुहा पुस्तक का विभिन्न भाषाओं जैसे फ़ारसी, हिंदी, [29] फ़्रेंच, [30] अंग्रेज़ी और चीनी में अनुवाद किया गया है। [31] पुस्तक आईने मा स्पष्टीकरण के साथ इस पुस्तक का फ़ारसी अनुवाद है जो आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी द्वारा लिखित 1346 शम्सी में प्रकाशित हुआ है। [32] रीशए शिया व पायाहाय आन फ़ारसी में इस पुस्तक के एक दूसरे अनुवाद का नाम है, जिसे अली रेज़ा ख़ुसरवानी (हकीम ख़ुसरवानी) ने किया है।[33]

१७:४४, १० जनवरी २०२४ का अवतरण

अस्ल अल-शिया व उसूलुहा, एक ऐतिहासिक और धार्मिक पुस्तक है, जो शिया इतिहास और मान्यताओं का परिचय कराती है, और जिसके लेखक मोहम्मद हुसैन काशिफ़ अल-ग़ेता (मृत्यु: 1373 हिजरी) है। यह पुस्तक बदनामी का खंडन करने और शियों के बारे में सुन्नियों की ग़लत फहमियों को दूर करने और मुसलमानों की एकता बनाने के उद्देश्य से लिखी गई थी। शिया विद्वानों की सर्वसम्मत राय का उल्लेख करते हुए संक्षिप्तता और प्रवाह इस पुस्तक की विशेषताओं में से हैं।

असलुश-शिया व उसूलुहा पुस्तक का ओरिएंटलिस्टों द्वारा स्वागत और प्रशंसा की गई है और इसे इराक़, लेबनान, मिस्र और ईरान जैसे विभिन्न देशों में प्रकाशित किया गया है। साथ ही, इस पुस्तक का फ़ारसी, अंग्रेजी और फ्रेंच जैसी विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। शिया मराजेए तक़लीद में से एक, आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी ने हमारे धर्म (आईने मा) के नाम से इस पुस्तक का फ़ारसी में अनुवाद किया है।

लेखक

मुख्य लेख: मोहम्मद हुसैन काशिफ़ अल-ग़ेता

किताब असल अल-शिया व उसूलोहा के लेखक मोहम्मद हुसैन काशिफ अल-ग़ेता (1294-1373 हिजरी) नजफ़ में शिया मराजेए तक़लीद में से एक है। [1] उन्हें न्यायशास्त्र, उसूल, कलाम के विज्ञान, हदीस, रेजाल, देराया, और व्याख्या का विशेषज्ञ माना जाता है।[2]

काशिफ़ अल-ग़ेता का मानना ​​था कि मुस्लिम समुदाय को एकता की ज़रूरत है और वह मुसलमानों के बीच दुश्मनी और नफ़रत भड़काने वाले कार्यों का कड़ा विरोध करते थे।[3]

प्रशंसा एवं स्थान

असल अल-शिया व उसूलुहो पुस्तक एक ऐतिहासिक और धार्मिक[4] पुस्तक है जो शिया धर्म की रक्षा के लिए लिखी गई थी[5] और धर्म के सिद्धांतों और शाखाओं के बारे में शिया मान्यताओं को व्यक्त करती है।[6] यह पुस्तक काशिफ़ अल-ग़ेता का सबसे महत्वपूर्ण लिखित कार्य मानी जाती है। [7]

असल अल-शिया व उसुलुहा पुस्तक के फ़ारसी अनुवादक आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी का मानना ​​है कि इस पुस्तक ने शिया के बारे में ग़लत धारणाओं को नष्ट कर दिया है और शिया की मान्यताओं को सही ढंग से प्रस्तुत किया है। [8] मिस्र के एक शोधकर्ता अहमद ज़की पाशा के अनुसार यह पुस्तक इस्लामी एकता बनाने में एक प्रभावी कारक है।[9] आयतुल्लाह मकारिम के अनुसार, इस पुस्तक ने विद्वानों और प्राच्यविदों का भी ध्यान और सराहना प्राप्त की है। [10]

लेखक के अनुसार, इस पुस्तक में शिया मान्यताओं के उन विषयों का उल्लेख किया गया हैं जिन्हें सभी शिया विद्वानों ने स्वीकार किया है। [11] इस पुस्तक की अन्य विशेषताएं संक्षिप्तता, सरलता, अभिव्यक्तियों की स्पष्टता और सर्वसम्मती प्रमाणिक सामग्रियों का उपयोग हैं। [12] विभिन्न इस्लामिक देशों में असल अल-शिया व उसूलुहा पुस्तक का पुनर्मुद्रण इस पुस्तक की व्यापक स्वीकृति का परिणाम माना जाता है। [13]

लेखक प्रेरणा

काशिफ़ अल-गे़ता ने मुसलमानों की एक-दूसरे के प्रति अज्ञानता को ख़त्म करने और उनके बीच दुश्मनी को रोकने के लिए असल अल-शिया व उसूलुहा किताब लिखी। [14] असल अल-शिया व उसूल पुस्तक के परिचय में, उन्होंने लिखा है कि इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा शिया धर्म की सच्चाई के बारे में सुन्नी विद्वानों और आम लोगों की अज्ञानता और इस धर्म के बारे में उनकी ग़लत धारणाएं थीं। [15] उन्होंने इराक़ी छात्रों के माध्यम से मिस्र, सीरिया और इराक़ के कुछ क्षेत्रों की यात्रा की और इन क्षेत्रों के सुन्नी विद्वानों और आम लोगों से मुलाक़ात की तो उन्हे ज्ञात हुआ कि वे शियों को मुसलमान नहीं मानते हैं और शिया धर्म को इस्लाम के दुश्मनों द्वारा बनाया गया मानते हैं। [16] इसी तरह से, मिस्र के लेखक अहमद अमीन (मृत्यु: 1373 हिजरी) द्वारा लिखित किताब फ़ज्र अल-इस्लाम का अध्ययन करने के बाद उन्हे एहसास हुआ कि वे शिया धर्म को इस्लाम पर हमला करने का आधार और इसके विनाश का कारण मानते हैं। है। [17]

सामग्री

मोहम्मद हुसैन काशिफ़ अल-ग़ेता ने अपनी पुस्तक असल अल-शिया व उसूलुहा में शियों पर लगाए गए आरोपों का उल्लेख करने के बाद उनका खंडन किया है।[18] उन्होंने पुस्तक की मुख्य सामग्री को दो भागों में प्रस्तुत किया है; पहले भाग में शिया धर्म की उत्पत्ति और विस्तार का इतिहास शामिल किया है, और दूसरे भाग में इसके अक़ायद के सिद्धांतों और शाखाओं का विवरण पेश किया है। [19] पुस्तक के अंत में, काशिफ़ अल-ग़ेता ने "बदा और तक़य्या" के दो मुद्दों पर अलग से बहस की है और उन दोनो के बारे में उठाए गए संदेहों का उत्तर दिया है। [20]

इस पुस्तक में चर्चा किये गये कुछ विषय इस प्रकार हैं:[21]

प्रकाशन एवं अनुवाद

असल अल-शिया व उसूलुहा पुस्तक पहली बार अब्दुल रज्जाक़ हुसैनी बग़दादी द्वारा प्रकाशित की गई थी। [22] यह पुस्तक सैदा (1351 हिजरी), [23] नजफ़, बग़दाद, क़ाहिरा, बेरूत [24] और क़ुम जैसे विभिन्न शहरों में प्रकाशित हुई थी। [25] इसके अलावा, इस पुस्तक को इस्लामिक विज्ञान और संस्कृति रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा इमाम मुहम्मद अल-हुसैन अल-काशिफ़ अल-ग़ेता के विश्वकोश में मुहम्मद हुसैन काशिफ़ अल-ग़ेता के धार्मिक कार्यों के एक भाग के रूप में प्रकाशित किया गया है। [26] इस पुस्तक के कुछ संस्करणों को अला आले-जाफ़र, [27] मुहम्मद जाफ़र शम्सुद्दीन, और हसन इस्माइल जैसे लोगों द्वारा शोध के साथ प्रकाशित किया गया है। [28]

असल अल-शिया व उसूलुहा पुस्तक का विभिन्न भाषाओं जैसे फ़ारसी, हिंदी, [29] फ़्रेंच, [30] अंग्रेज़ी और चीनी में अनुवाद किया गया है। [31] पुस्तक आईने मा स्पष्टीकरण के साथ इस पुस्तक का फ़ारसी अनुवाद है जो आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी द्वारा लिखित 1346 शम्सी में प्रकाशित हुआ है। [32] रीशए शिया व पायाहाय आन फ़ारसी में इस पुस्तक के एक दूसरे अनुवाद का नाम है, जिसे अली रेज़ा ख़ुसरवानी (हकीम ख़ुसरवानी) ने किया है।[33]