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"रात की नमाज़": अवतरणों में अंतर

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(' इस लेख पर कार्य अभी जारी है .... :यह लेख रात्रि प्रार्थना (नमाज़ ए शब) के बारे में है। रात में जागकर नमाज़ पढ़ने और प्रार्थना करने के बारे में जानने के लिए तहज्जुद प्रव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
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रात की प्रार्थना ग्यारह रकअत होती है, जिन्हें पांच दो-रकअती [[नमाज़]] और एक एकल-रकअत नमाज़ के रूप में पढ़ा जाता है। आख़िरी तीन रकअतों की बाक़ी रकअतों से ज़्यादा फ़ज़ीलत हैं, जिनमें दो रकअत शफ़ा नमाज़ और एक रकअत वित्र नमाज़ शामिल है।
रात की प्रार्थना ग्यारह रकअत होती है, जिन्हें पांच दो-रकअती [[नमाज़]] और एक एकल-रकअत नमाज़ के रूप में पढ़ा जाता है। आख़िरी तीन रकअतों की बाक़ी रकअतों से ज़्यादा फ़ज़ीलत हैं, जिनमें दो रकअत शफ़ा नमाज़ और एक रकअत वित्र नमाज़ शामिल है।
==रात की नमाज पढ़ने पर ताकीद==
इमाम रज़ा (अ):
"रात की नमाज़ पढ़ो। ऐसा कोई बंदा नहीं है जो रात के अंत में जागता हो और आठ रकअत रात की [[नमाज़]], दो रकअत शफ़ा की नमाज़ और एक रकअत वित्र की नमाज़ पढ़ता हो, और उसके क़ुनूत में सत्तर बार माफ़ी मांगता हो। मगर यह कि ईश्वर उसे क़ब्र के अज़ाब और आग की पीड़ा से न बचाए और उसकी उम्र को न बढ़ाये और उसके जीवन में ख़ैर व बरकत पैदा व करे। ... जिन घरों में रात की [[नमाज़]] पढ़ी जाती है, उनकी रौशनी आसमान के लोगों के लिए चमकती है; जैसे तारों की रौशनी पृथ्वी के लोगों के लिए चमकती है।
(फ़त्ताल नैशापूरी, रौज़ातुल-वायेज़ीन कॉलेज, 1375 शस्मी, खंड 2, पृष्ठ 320)
रात की नमाज़ मुस्तहब नमाज़ों में से एक है जिस के पढ़ने पर हदीसों में ज़ोर दिया गया है। जैसे [[पैगंबर (स)]] ने अपनी वसीयत में [[इमाम अली (अ)]] को रात की नमाज़ पढ़ने की तीन बार शिफ़ारिश की है। [1] इसी तरह से आप (स) यह भी वर्णित है कि उन्होंने [[मुसलमानों]] को संबोधित किया और कहा: "रात की नमाज़ पढ़ों, भले ही एक रकअत।" ; क्योंकि रात की प्रार्थना व्यक्ति को [[पाप]] करने से रोकती है और प्रभु के क्रोध को बुझाती है और क़यामत के दिन आग की जलन से दूर करती है।"
[[इमामिया|शिया]] मुहद्दिस [[शेख़ सदूक़]] (मृत्यु 381 हिजरी) के अनुसार, रात की नमाज़ [[पैगंबर (स)]] के लिए अनिवार्य (वाजिब) थी और दूसरों के लिए अनुशंसित (मुसतहब) है। [4] [[शेख़ मुफ़ीद]] भी रात की प्रार्थना को एक मज़बूत (मोवक्कद) [[सुन्नत]] मानते थे। [5]
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