"रात की नमाज़": अवतरणों में अंतर
→रात की नमाज पढ़ने पर ताकीद
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[[इमामिया|शिया]] मुहद्दिस [[शेख़ सदूक़]] (मृत्यु 381 हिजरी) के अनुसार, रात की नमाज़ [[पैगंबर (स)]] के लिए अनिवार्य (वाजिब) थी और दूसरों के लिए अनुशंसित (मुसतहब) है। [4] [[शेख़ मुफ़ीद]] भी रात की प्रार्थना को एक मज़बूत (मोवक्कद) [[सुन्नत]] मानते थे। [5] | [[इमामिया|शिया]] मुहद्दिस [[शेख़ सदूक़]] (मृत्यु 381 हिजरी) के अनुसार, रात की नमाज़ [[पैगंबर (स)]] के लिए अनिवार्य (वाजिब) थी और दूसरों के लिए अनुशंसित (मुसतहब) है। [4] [[शेख़ मुफ़ीद]] भी रात की प्रार्थना को एक मज़बूत (मोवक्कद) [[सुन्नत]] मानते थे। [5] | ||
==पढ़ने का तरीक़ा== | |||
आयतुल्लाह क़ाजी ने [[अल्लामा तबताबाई]] को संबोधित किया: | |||
"मेरे बेटे, अगर तुम दुनिया चाहते हो, तो रात की नमाज़ पढ़ो। यदि [[आख़िरत]] चाहते हो तो रात की प्रार्थना करो।" [6] | |||
रात की नमाज़ 11 रकअत है: रात में नाफ़िला की नीयत से आठ रकअत, चार दो दो रकअत [[नमाज़]] के रूप में पढ़ी जाती है। शफा नमाज़ की नियत से दो रकअत और एक रकात नमाज़ वित्र की नमाज़ के इरादे से पढ़ी जाती है। [7] | |||
शफा नमाज़ की पहली रकअत में [[सूरह हम्द]] और [[सूरह नास]] और दूसरी रकअत में सूरह हम्द और [[सूरह फलक़]] पढ़ना मुसतहब है। इसी तरह से, वित्र की नमाज़ में सूरह हम्द के बाद [[सूरह तौहीद]] को तीन बार और सूरह फलक़ और नास को एक बार पढ़ना चाहिए। [8] वित्र की नमाज़ के क़ुनूत में चालीस मोमिनों के लिए दुआ या इस्तिग़फ़ार करने की सिफ़ारिश की गई है। इसी तरह से 70 बार '''«اَسْتَغْفِرُاللهَ رَبّی وَ اَتُوبُ اِلَیه»''' (असतग़फ़िरुल्लाहा रब्बी व अतूबो इलैह), सात बार '''«هذا مَقامُ الْعائِذِ بِک مِنَ النّارِ»''' (हाज़ा मक़ामुल आइज़े बेका मिनन नार) "यह आग से बचने का स्थान है" और तीन सौ बार "अल अफ़वा।" ('''«اَلعَفو»''') कहे। उसके बाद इस दुआ को पढ़े: '''«رَبِّ اغْفِرْلی وَارْحَمْنی وَ تُبْ عَلی اِنَّک اَنْتَ التَّوّابُ الْغَفُورُ الرَّحیمُ.»''' (रब्बिग़फिर ली वर हमनी व तुब अलय्या इन्ना अन्तत तव्वाबुल ग़फ़ूर अल रहीम) [10] [[मिस्बाह अल-मुतहज्जिद]] में [[शेख़ तूसी]] ने रात की नमाज़ के बाद दुआ ए हज़ीन का पाठ करने की शिफ़ारिश की है। [11] |