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"हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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'''हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम''',(अरबी:حضرت ابراهیم علیه السلام) जिन्हें '''इब्राहीम ख़लील''' के नाम से जाना जाता है, दूसरे उलुल अज़्म (पांंच बड़े पैग़बरों को उलुल अज़्म कहते हैं) पैगंबर (ईशदूत) हैं। इब्राहीम को मेसोपोटामिया (बैनुन नहरैन) में एक नबी के रूप में भेजा गया था, और उन्होने उस समय के शासक नमरूद और उस क्षेत्र के लोगों को [[एकेश्वरवाद]] (तौहीद) के लिए आमंत्रित किया था। कुछ लोगों ने उनके निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और जब वह उनके विश्वास (ईमान लाने) से निराश हो गए, तो वे [[फ़िलिस्तीन]] चले गए।
'''हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम''',(अरबी: '''حضرت ابراهیم علیه السلام''') जिन्हें '''इब्राहीम ख़लील''' के नाम से जाना जाता है, दूसरे उलुल अज़्म (पांंच बड़े पैग़बरों को उलुल अज़्म कहते हैं) पैगंबर (ईशदूत) हैं। इब्राहीम को मेसोपोटामिया (बैनुन नहरैन) में एक नबी के रूप में भेजा गया था, और उन्होने उस समय के शासक नमरूद और उस क्षेत्र के लोगों को [[एकेश्वरवाद]] (तौहीद) के लिए आमंत्रित किया था। कुछ लोगों ने उनके निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और जब वह उनके विश्वास (ईमान लाने) से निराश हो गए, तो वे [[फ़िलिस्तीन]] चले गए।


[[क़ुरआन]] की आयतों के अनुसार, इब्राहीम को मूर्तिपूजक जनता ने आग में फेंक दिया क्योंकि उन्होने उनकी मूर्तियों को तोड़ दिया था, लेकिन भगवान की आज्ञा से आग ठंडी हो गई और इब्राहीम उसमें से सुरक्षित निकल आये।
[[क़ुरआन]] की आयतों के अनुसार, इब्राहीम को मूर्तिपूजक जनता ने आग में फेंक दिया क्योंकि उन्होने उनकी मूर्तियों को तोड़ दिया था, लेकिन भगवान की आज्ञा से आग ठंडी हो गई और इब्राहीम उसमें से सुरक्षित निकल आये।
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