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"हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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ओल्ड टैस्टमैंट (अहदे अतीक़) में, पैगंबर अब्राहम का उल्लेख सबसे पहले अब्राम के नाम से किया गया था; [50] लेकिन अध्याय 17 में यह कहा गया है: "लेकिन अब मेरी सौगंध तुम्हारे साथ है और तुम कई राष्ट्रों के पिता बनोगे और तुम्हारा नाम इसके बाद अब्राम नहीं होगा; बल्कि तुम्हारा नाम इब्राहीम होगा; क्योंकि मैं ने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है।" [51]
ओल्ड टैस्टमैंट (अहदे अतीक़) में, पैगंबर अब्राहम का उल्लेख सबसे पहले अब्राम के नाम से किया गया था; [50] लेकिन अध्याय 17 में यह कहा गया है: "लेकिन अब मेरी सौगंध तुम्हारे साथ है और तुम कई राष्ट्रों के पिता बनोगे और तुम्हारा नाम इसके बाद अब्राम नहीं होगा; बल्कि तुम्हारा नाम इब्राहीम होगा; क्योंकि मैं ने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है।" [51]


ओल्ड टैस्टमैंट के कथन के अनुसार, इब्राहीम अरामी जनजातियों से संबंधित है, जो उत्तरी सीरिया में फ़ुरात नदी के तट पर अरब प्रायद्वीप से चले गए थे। [52] पैदाईश पुस्तक के 11 वें अध्याय के अनुसार, तारेह, इब्राहीम के पिता ने [[सारा]] और [[लूत]], कुलदानियों की राजधानी से निकलकर कनआन देश को गए, और हर्नरा में पहुंचकर वहीं रुक गए, और वहीं पर मुत्यु पाई। [53] कुछ लोग इस से यह निष्कर्ष निकालते हैं, कि यह कुलदानियों की राजधानी उनका इब्राहीम का जन्म स्थान था। हालांकि, अध्याय 12 की शुरुआत में हर्रान, इब्राहीम का जन्मस्थान और उनकी जन्मभूमि के तौर पर उल्लेख किया गया है। [54]
ओल्ड टैस्टमैंट के कथन के अनुसार, इब्राहीम अरामी जनजातियों से संबंधित है, जो उत्तरी सीरिया में फ़ुरात नदी के तट पर अरब प्रायद्वीप से चले गए थे। [52] पैदाईश के 11 वें अध्याय के अनुसार, तारेह, इब्राहीम के पिता ने [[सारा]] और [[लूत]], कुलदानियों की राजधानी से निकलकर कनआन देश को गए, और हर्नरा में पहुंचकर वहीं रुक गए, और वहीं पर मुत्यु पाई। [53] कुछ लोग इस से यह निष्कर्ष निकालते हैं, कि यह कुलदानियों की राजधानी उनका इब्राहीम का जन्म स्थान था। हालांकि, अध्याय 12 की शुरुआत में हर्रान, इब्राहीम का जन्मस्थान और उनकी जन्मभूमि के तौर पर उल्लेख किया गया है। [54]


तौरैत के अनुसार, इब्राहीम 75 वर्ष की आयु तक हर्रान में रहे, और उसके बाद वह ईश्वर के आदेश पर वहां से कनआन चले गये और अपनी पत्नी सारा और अपने भतीजे लूत और हर्रान के कुछ लोगों को अपने साथ ले गये। वहां उन्होने पूर्वी बेतेल में डेरा डाला और जानवरों के ज़िबह करने के लिये जगह बनाई। [55] उसके बाद, अकाल पड़ने के कारण, उन्हें मजबूरी में मिस्र की ओर प्रवास करना पड़ा, [56] लेकिन कुछ समय बाद वे वापस बेतेल लौट आए [57] और बाद में हेब्रोन (अल-ख़लील) चले गए और वहीं बस गए। [58]
तौरैत के अनुसार, इब्राहीम 75 वर्ष की आयु तक हर्रान में रहे, और उसके बाद वह ईश्वर के आदेश पर वहां से कनआन चले गये और अपनी पत्नी सारा और अपने भतीजे लूत और हर्रान के कुछ लोगों को अपने साथ ले गये। वहां उन्होने पूर्वी बेतेल में डेरा डाला और जानवरों के ज़िबह करने के लिये जगह बनाई। [55] उसके बाद, अकाल पड़ने के कारण, उन्हें मजबूरी में [[मिस्र]] की ओर प्रवास करना पड़ा, [56] लेकिन कुछ समय बाद वे वापस बेतेल लौट आए [57] और बाद में हेब्रोन (अल-ख़लील) चले गए और वहीं बस गए। [58]


तौरेत में कहा गया है कि जब इब्राहीम ने मिस्र में प्रवेश किया, तो उन्होने मिस्रियों के नुक़सान से खुद को बचाने के लिए अपनी पत्नी सारा को अपनी बहन के रूप में पेश किया, जो उनकी पत्नी के लिए लालची थे। परिणामस्वरूप, मिस्र के फ़िरऔन ने, जो उनकी सुंदरता पर मोहित हो गया, उन्हे बिना किसी बाधा के अपनी पत्नी के रूप में ले लिया, और उसके कारण उसने इब्राहीम का भला किया। लेकिन परमेश्वर ने इसके कारण फिरौन और उसके घराने को गंभीर विपत्तियों से पीड़ित किया। [59] अल्लामा तबताबाई ने तौरेत में इब्राहीम की कहानी के इस हिस्से का उल्लेख करते हुए, इसे अन्य चीज़ों के साथ-साथ नबूवत के मक़ाम और धर्मपरायणता की भावना के साथ इसकी असंगति का हवाला दिया है और इसे तौरेत के विरूपण (तहरीफ़) का एक कारण माना है। [60]
[[तौरेत]] में कहा गया है कि जब इब्राहीम ने मिस्र में प्रवेश किया, तो उन्होने मिस्रियों के नुक़सान से खुद को बचाने के लिए अपनी पत्नी सारा को अपनी बहन के रूप में पेश किया, जो उनकी पत्नी के लिए लालची थे। परिणामस्वरूप, मिस्र के फ़िरऔन ने, जो उनकी सुंदरता पर मोहित हो गया, उन्हे बिना किसी बाधा के अपनी पत्नी के रूप में ले लिया, और उसके कारण उसने इब्राहीम का भला किया। लेकिन परमेश्वर ने इसके कारण फिरौन और उसके घराने को गंभीर विपत्तियों से पीड़ित किया। [59] अल्लामा तबताबाई ने तौरेत में इब्राहीम की कहानी के इस हिस्से का उल्लेख करते हुए, इसे अन्य चीज़ों के साथ-साथ नबूवत के मक़ाम और धर्मपरायणता की भावना के साथ इसकी असंगति का हवाला दिया है और इसे तौरेत के विरूपण (तहरीफ़) का एक कारण माना है। [60]


ओल्ड टैस्टमैंट ने हज़रत इब्राहीम के बेटों इसहाक (अ) को ज़बीहुल्लाह उल्लेख किया गया है। कुछ ज़गहों पर ज़बीह को उनका इकलौता बेटा कहा गया है। इसी तरह से तौरेत में ज़िक्र हुआ है कि ईश्वर ने कनआन में हज़रत इब्राहीम से वादा किया कि, नील नदी से लेकर फ़ुरात नदी तक का इलाक़ा उनकी औलाद को प्रदान किया जायेगा जो इसहाक की पीढ़ी से उभरेंगे। [63]
ओल्ड टैस्टमैंट ने हज़रत इब्राहीम के बेटों इसहाक (अ) को ज़बीहुल्लाह उल्लेख किया गया है। कुछ ज़गहों पर ज़बीह को उनका इकलौता बेटा कहा गया है। इसी तरह से तौरेत में ज़िक्र हुआ है कि ईश्वर ने कनआन में हज़रत इब्राहीम से वादा किया कि, नील नदी से लेकर फ़ुरात नदी तक का इलाक़ा उनकी औलाद को प्रदान किया जायेगा जो इसहाक की पीढ़ी से उभरेंगे। [63]


नए टैस्टमैंट (अहदे जदीद) में, इब्राहीम (अ) का 72 स्थानों पर उल्लेख किया गया है और ईसा मसीह की वंशावली उनके साथ इसहाक (अ) के माध्यम से 39 बिचौलियों (मैथ्यू, 1: 1-7) या 54 मध्यस्थों (लूका, 3: 24-25) से जुड़ी हुई है। नए नियम (टैस्टमैंट) में इब्राहीम (अ) के विश्वास (ईमान) का उल्लेख उच्चतम विश्वास के रूप में किया गया है; क्योंकि वह अल्लाह की आज्ञा से अजनबियों की तरह से अपनी जन्मभूमि से दूर फिलिस्तीन में रहे और अपने बच्चे को वेदी पर (क़ुर्बानी के लिये) ले गये। [64]
नए टैस्टमैंट (अहदे जदीद) में, इब्राहीम (अ) का 72 स्थानों पर उल्लेख किया गया है और [[हज़रत ईसा]] की वंशावली उनके साथ इसहाक (अ) के माध्यम से 39 बिचौलियों (मैथ्यू, 1: 1-7) या 54 मध्यस्थों (लूका, 3: 24-25) से जुड़ी हुई है। नए नियम (टैस्टमैंट) में इब्राहीम (अ) के विश्वास (ईमान) का उल्लेख उच्चतम विश्वास के रूप में किया गया है; क्योंकि वह अल्लाह की आज्ञा से अजनबियों की तरह से अपनी जन्मभूमि से दूर फिलिस्तीन में रहे और अपने बच्चे को वेदी पर (क़ुर्बानी के लिये) ले गये। [64]


==मोनोग्राफ़ी==
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