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"हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा": अवतरणों में अंतर

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==== मुबाहला में शामिल होने वाली इकलौती महिला ====  
==== मुबाहला में शामिल होने वाली इकलौती महिला ====  
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|title = [[हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा]]:
|quote = '''मन असअदा एलल्लाह ख़ालेसा इबादतेही अहबतल्लाहो अज़्ज़ा व जल्ला ऐलैह अफ़ज़ला मसलेहतेही''' (अनुवाद: जो कोई भी ईश्वर की ओर अपनी सच्ची (ख़ालिस) इबादत भेजता है, महान ईश्वर उसे सबसे अच्छा लाभ (मसलेहत) भेजेगा।)
|source = <small>उद्दा अल दाई, पृष्ठ 233</small>
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प्रारम्भिक इस्लाम की मुस्लिम महिलाओं में हज़रत फ़ातिमा (स) एकमात्र ऐसी महिला हैं, जिन्हें पैगंबर (स) ने नजरान के ईसाइयों के साथ होने वाले मुबाहला के लिए चुना था। इस घटना का उल्लेख क़ुरआन की [[आय ए मुबाहला]] में मिलता है। व्याख्यात्मक (तफ़सीरी), रिवाई और ऐतिहासिक स्रोतों के आलोक में मुबाहला वाली आयत पैगंबर (स) के अहले-बैत (अ) की फ़ज़ीलत मे नाज़िल हुई है।<ref>इब्ने कसीर, तफ़सीर उल-क़ुरआन अल-अज़ीम, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 379; बलाग़ी, हज्जातुत तफ़ासीर वा बलाग़ुल अकसीर, 1386 हिजरी, भाग 1, पेज 268; तिरमिज़ी, सुनन तिरमिज़ी, 1403 हिजरी, भाग 4, पेज 293-294</ref> कहा जाता है कि फ़ातिमा (स), इमाम अली (अ), इमाम हसन (अ) और [[इमाम हुसैन (अ)]] इस घटना मे पैगंबर (स) के साथ मुबाहला के लिए गए और इनके अलावा पैगंबर (स) ने किसी को भी अपने साथ नहीं लिया।<ref>देखेः इब्ने कसीर, अल-कामिल फ़ी तारीख, 1385 शम्सी, भाग 2, पेज 293</ref>
प्रारम्भिक इस्लाम की मुस्लिम महिलाओं में हज़रत फ़ातिमा (स) एकमात्र ऐसी महिला हैं, जिन्हें पैगंबर (स) ने नजरान के ईसाइयों के साथ होने वाले मुबाहला के लिए चुना था। इस घटना का उल्लेख क़ुरआन की [[आय ए मुबाहला]] में मिलता है। व्याख्यात्मक (तफ़सीरी), रिवाई और ऐतिहासिक स्रोतों के आलोक में मुबाहला वाली आयत पैगंबर (स) के अहले-बैत (अ) की फ़ज़ीलत मे नाज़िल हुई है।<ref>इब्ने कसीर, तफ़सीर उल-क़ुरआन अल-अज़ीम, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 379; बलाग़ी, हज्जातुत तफ़ासीर वा बलाग़ुल अकसीर, 1386 हिजरी, भाग 1, पेज 268; तिरमिज़ी, सुनन तिरमिज़ी, 1403 हिजरी, भाग 4, पेज 293-294</ref> कहा जाता है कि फ़ातिमा (स), इमाम अली (अ), इमाम हसन (अ) और [[इमाम हुसैन (अ)]] इस घटना मे पैगंबर (स) के साथ मुबाहला के लिए गए और इनके अलावा पैगंबर (स) ने किसी को भी अपने साथ नहीं लिया।<ref>देखेः इब्ने कसीर, अल-कामिल फ़ी तारीख, 1385 शम्सी, भाग 2, पेज 293</ref>


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