सामग्री पर जाएँ

"हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा": अवतरणों में अंतर

imported>Zahidain
imported>Zahidain
पंक्ति १०१: पंक्ति १०१:
===अबू-बक्र और उमर से नाराज़्गी===
===अबू-बक्र और उमर से नाराज़्गी===


फ़दक और अबू-कब्र की निष्ठा से संबंधित घटना मे अबू-बक्र और उमर के हज़रत फ़ातिमा (स) और हज़रत अली (अ) के साथ कठोर व्यवहार के कारण आप उन दोनों से बहुत नाराज़ हो गईं। ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि दूसरे ख़लीफ़ा और उनके साथियों ने हज़रत फ़ातिमा (स) के दरवाजे पर हमला करने और उससे होने वाली अप्रिय घटनाओं के बाद अबू-बक्र और उमर ने आप (स) से माफी माँगने का इरादा किया लेकिन आप (स) ने उन्हें घर मे प्रवेश करने की अनुमति नही दी। अंतः  जब अबू-बक्र और उमर हज़रत अली (अ) की मध्यस्थता के माध्यम से फ़ातिमा (स) के घर में प्रवेश करने में सफल हुए तो उन्होंने उन दोनों की ओर पीठ कर ली और उनके अभिवादन (सलाम) का जवाब भी नहीं दिया और उन्हे बिना किसी प्रतिक्रिया के वापस लौटने पर विवश किया। हज़रत फ़ातिमा (स) ने पैगंबर (स) की प्रसिद्ध हदीस जिसमें पैगंबर (स) ने हज़रत फ़ातिमा (स) की खुशी के रूप में अपनी खुशी का वर्णन किया था का हवाला देते हुए दोनो से अपनी नाराज़्गी जाहिर की।<ref> तिबरि इमामी, दलाएलुल इमामा, 1413 हिजरी, पेज 134</ref> कुछ इतिहासकारों के अनुसार हज़रत फ़ातिमा (स) ने हर [[नमाज़]] के बाद उन दोनों पर लानत भेजने की शपथ खाई।<ref>इब्ने क़तीबा दैनूरी, अल-इमामा वल सियासा, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 131</ref>
फ़दक और अबू-कब्र की निष्ठा से संबंधित घटना मे अबू-बक्र और उमर के हज़रत फ़ातिमा (स) और हज़रत अली (अ) के साथ कठोर व्यवहार के कारण आप उन दोनों से बहुत नाराज़ हो गईं। ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि दूसरे ख़लीफ़ा और उनके साथियों ने हज़रत फ़ातिमा (स) के दरवाजे पर हमला करने और उससे होने वाली अप्रिय घटनाओं के बाद अबू-बक्र और उमर ने आप (स) से माफी माँगने का इरादा किया लेकिन आप (स) ने उन्हें घर मे प्रवेश करने की अनुमति नही दी। अंतः  जब अबू-बक्र और उमर हज़रत अली (अ) की मध्यस्थता के माध्यम से फ़ातिमा (स) के घर में प्रवेश करने में सफल हुए तो उन्होंने उन दोनों की ओर पीठ कर ली और उनके अभिवादन (सलाम) का जवाब भी नहीं दिया और उन्हे बिना किसी प्रतिक्रिया के वापस लौटने पर विवश किया। हज़रत फ़ातिमा (स) ने पैगंबर (स) की प्रसिद्ध हदीस जिसमें पैगंबर (स) ने हज़रत फ़ातिमा (स) की खुशी के रूप में अपनी खुशी का वर्णन किया था का हवाला देते हुए दोनो से अपनी नाराज़्गी जाहिर की।<ref>इब्ने क़तीबा दैनूरी, अल-इमामा वल सियासा, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 131</ref> कुछ इतिहासकारों के अनुसार हज़रत फ़ातिमा (स) ने हर [[नमाज़]] के बाद उन दोनों पर लानत भेजने की शपथ खाई।<ref>कहाला, आलामुन निसा फ़ी आलामिल अरब वल इस्लाम, 1412 हिजरी, भाग 4, पेज 123-124</ref>


=='''शहादत, शवयात्रा, अंतिम संस्कार'''==
=='''शहादत, शवयात्रा, अंतिम संस्कार'''==
गुमनाम सदस्य