गुमनाम सदस्य
"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर
→इमाम महदी (अ.त.)
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हसन बिन अली, इमाम हसन अस्करी (अ.स.) शियो के ग्यारहवें इमाम है। इमाम हादी (अ.स.) और हदीस के बेटे मदीना मे 232 हिजरी मे पैदा<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 13</ref>और अब्बासी ख़लीफा मोअतमद के षडयंत्र से 260 हिजरी मे जहर से शहीद हुए।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313 और 336; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>आपको आपके पिता की क़ब्र के किनारे सामर्रा मे घर मे दफ़नाया गया।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 227-228; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>ग्यारहवें इमाम अपने पिता के विवरण अनुसार, दसवे इमाम पश्चात इमामत के पद पर पहुंचे अपनी छः साल की इमामत की अवधि<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313 और 336; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref> मे मोअतज़, मोहतदा और मोअतमद अब्बासी खलीफा आपके समकालीन थे।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313-314; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref> [136] इमाम अब्बासी ख़लीफ़ाओ की देख-रेख मे होने के बावजूद कई बार इमाम को क़ैद किया गया।<ref>तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>कुछ इतिहासकारो के अनुसार इमाम की सबसे लंबी कैद सामर्रा मे ख़लीफ़ा द्वारा कारवास था।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 538-539 और 542</ref> इसीलिए इमाम तक़य्या का मुज़ाहेरा करते थे।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 538 और 542</ref>अपने पूर्वजो की भांति वकालत के संगठन के माध्यम से शियाओ से सूचित रहते थे।<ref> तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 228</ref> बताया जाता है कि खलीफाओं की ओर से दबाव और सख्ती का कारण एक ओर शियों की संख्या और शक्ति में वृद्धि थी और दूसरी ओर ऐसे साक्ष मौजूद थे जो ग्यारहवे इमाम के लिए एक बच्चे के अस्तित्व की सूचना देते थे, जिसे महदी ए मौऊद के नाम से जाना जाता था।<ref> तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 228-229</ref> | हसन बिन अली, इमाम हसन अस्करी (अ.स.) शियो के ग्यारहवें इमाम है। इमाम हादी (अ.स.) और हदीस के बेटे मदीना मे 232 हिजरी मे पैदा<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 13</ref>और अब्बासी ख़लीफा मोअतमद के षडयंत्र से 260 हिजरी मे जहर से शहीद हुए।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313 और 336; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>आपको आपके पिता की क़ब्र के किनारे सामर्रा मे घर मे दफ़नाया गया।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 227-228; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>ग्यारहवें इमाम अपने पिता के विवरण अनुसार, दसवे इमाम पश्चात इमामत के पद पर पहुंचे अपनी छः साल की इमामत की अवधि<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313 और 336; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref> मे मोअतज़, मोहतदा और मोअतमद अब्बासी खलीफा आपके समकालीन थे।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313-314; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref> [136] इमाम अब्बासी ख़लीफ़ाओ की देख-रेख मे होने के बावजूद कई बार इमाम को क़ैद किया गया।<ref>तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>कुछ इतिहासकारो के अनुसार इमाम की सबसे लंबी कैद सामर्रा मे ख़लीफ़ा द्वारा कारवास था।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 538-539 और 542</ref> इसीलिए इमाम तक़य्या का मुज़ाहेरा करते थे।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 538 और 542</ref>अपने पूर्वजो की भांति वकालत के संगठन के माध्यम से शियाओ से सूचित रहते थे।<ref> तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 228</ref> बताया जाता है कि खलीफाओं की ओर से दबाव और सख्ती का कारण एक ओर शियों की संख्या और शक्ति में वृद्धि थी और दूसरी ओर ऐसे साक्ष मौजूद थे जो ग्यारहवे इमाम के लिए एक बच्चे के अस्तित्व की सूचना देते थे, जिसे महदी ए मौऊद के नाम से जाना जाता था।<ref> तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 228-229</ref> | ||
===इमाम महदी (अ | ===इमाम महदी (अ)=== | ||
[[चित्र:جمکران1.jpg|thumbnail|35٪|अंगूठाकार|मस्जिदे जमकरान (क़ुम) की पुरानी तस्वीर]] | [[चित्र:جمکران1.jpg|thumbnail|35٪|अंगूठाकार|मस्जिदे जमकरान (क़ुम) की पुरानी तस्वीर]] | ||
[[चित्र:مسجد-سهله.jpg|thumbnail|35٪|अंगूठाकार|मस्जिदे सहला(इराक़)]] | [[चित्र:مسجد-سهله.jpg|thumbnail|35٪|अंगूठाकार|मस्जिदे सहला(इराक़)]] | ||
'''विस्तृत लेखः इमाम महदी (अ | '''विस्तृत लेखः इमाम महदी (अ)''' | ||
मुहम्मद बिन हसन, इमाम महदी और इमाम ज़माना (अ.त.) शियो के बारहवे और अंतिम इमाम है। इमाम हसन असकरी और [[नरजिस ख़ातुन]] के पुत्र 15 शाबान 255 हिजरी को समर्रा में पैदा हुए।<ref> कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 514; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 339; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 418</ref> | मुहम्मद बिन हसन, इमाम महदी और इमाम ज़माना (अ.त.) शियो के बारहवे और अंतिम इमाम है। इमाम हसन असकरी और [[नरजिस ख़ातुन]] के पुत्र 15 शाबान 255 हिजरी को समर्रा में पैदा हुए।<ref> कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 514; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 339; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 418</ref> |