गुमनाम सदस्य
"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर
→इमाम हसन अस्करी (अ.स.)
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इमाम हादी (अ.स.) शियाओं को दुआ और ज़ियारतो के माध्यम से शिक्षित करते थे।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 522</ref>महत्वपूर्ण ज़ियारत ज़ियारत ए जामेआ ए कबीरा इमाम हादी (अ.स.) से नक़ल हुई है।<ref>सुदुक़, मन ला यहज़ेरोहुल फ़क़ीह, भाग 2, पेज 609</ref> | इमाम हादी (अ.स.) शियाओं को दुआ और ज़ियारतो के माध्यम से शिक्षित करते थे।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 522</ref>महत्वपूर्ण ज़ियारत ज़ियारत ए जामेआ ए कबीरा इमाम हादी (अ.स.) से नक़ल हुई है।<ref>सुदुक़, मन ला यहज़ेरोहुल फ़क़ीह, भाग 2, पेज 609</ref> | ||
===इमाम हसन अस्करी (अ | ===इमाम हसन अस्करी (अ)=== | ||
[[चित्र:بازسازی حرم شریف.jpg|35٪|अंगूठाकार|दसवें और ग्यारहवे इमाम (अ.स.) के हरम का पुनः निर्माण]] | [[चित्र:بازسازی حرم شریف.jpg|35٪|अंगूठाकार|दसवें और ग्यारहवे इमाम (अ.स.) के हरम का पुनः निर्माण]] | ||
'''विस्तृत लेखः इमाम हसन अस्करी (अ)''' | '''विस्तृत लेखः इमाम हसन अस्करी (अ)''' | ||
हसन बिन अली, इमाम हसन अस्करी (अ | हसन बिन अली, इमाम हसन अस्करी (अ) शियो के ग्यारहवें इमाम है। इमाम अली नक़ी (अ) और हदीस के बेटे मदीना मे 232 हिजरी मे पैदा<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 13</ref>और अब्बासी ख़लीफा मोअतमद के षडयंत्र से 260 हिजरी मे ज़हर से शहीद हुए।<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313 और 336; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>आपको आपके पिता की क़ब्र के किनारे सामर्रा मे घर मे दफ़नाया गया।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 227-228; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>ग्यारहवें इमाम अपने पिता के विवरण अनुसार, दसवे इमाम पश्चात इमामत के पद पर पहुंचे अपनी छः साल की इमामत की अवधि<ref>कुलैनी, अल-काफ़ी भाग 1, पेज 503; मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313 और 336; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref> मे मोअतज़, मोहतदा और मोअतमद अब्बासी खलीफा आपके समकालीन थे।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 313-314; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref> [136] इमाम अब्बासी ख़लीफ़ाओ की देख-रेख मे होने के बावजूद कई बार इमाम को क़ैद किया गया।<ref>तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 367</ref>कुछ इतिहासकारो के अनुसार इमाम की सबसे लंबी कैद सामर्रा मे ख़लीफ़ा द्वारा कारवास था।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 538-539 और 542</ref> इसीलिए इमाम तक़य्या का मुज़ाहेरा करते थे।<ref>जाफ़रयान, हयात ए फ़िक्री व सियासी ए इमामान ए शिया, पेज 538 और 542</ref>अपने पूर्वजो की भांति वकालत के संगठन के माध्यम से शियों से सूचित रहते थे।<ref> तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 228</ref> बताया जाता है कि खलीफाओं की ओर से दबाव और सख्ती का कारण एक ओर शियों की संख्या और शक्ति में वृद्धि थी और दूसरी ओर ऐसे साक्ष मौजूद थे जो ग्यारहवे इमाम के लिए एक बच्चे के अस्तित्व की सूचना देते थे, जिसे महदी ए मौऊद के नाम से जाना जाता था।<ref> तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 228-229</ref> | ||
===इमाम महदी (अ)=== | ===इमाम महदी (अ)=== |