"उस्मान बिन हुनैफ़ के नाम इमाम अली (अ) का पत्र": अवतरणों में अंतर
उस्मान बिन हुनैफ़ के नाम इमाम अली (अ) का पत्र (स्रोत देखें)
०५:५२, १३ अक्टूबर २०२४ का अवतरण
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| व अना मिन रसूलिल्लाहे कज़्जोऐ मिनज़्ज़ोऐ वज़्ज़ेराए मिनल अज़ोदे वल्लाहे लौ तज़ाहरतिल अरबो अला क़ेताली लेमा वलयतो अन्हा व लौ अमकनतिल फ़ोरसो मिन रेक़ाबेहा लसारअतो इलैहा व सअजहदो फ़ी अन अतहरल अर्ज़ा मिन हाज़श शख़्सिल मअकूसे वल जिस्मिल मरकूसे हत्ता तख़रोजल मदरतुन मिन बैयने हब्बिल हसीदे || मेरा अल्लाह के रसूल से वही रिश्ता है जो एक ही जड़ से निकली दो शाखाओं का एक दूसरे से और कलाई का बांह से होता है। खुदा की कसम! यदि सभी अरब एक साथ मिलकर मुझसे लड़ना चाहें तो मैं मैदान छोड़कर पीठ नहीं दिखाऊंगा और मौका मिलते ही आगे बढ़कर उनकी गर्दन पकड़ लूंगा और इस उलटी खोपड़ी वाले सिरविहीन ढांचे (मुआविया) से पृथ्वी को शुद्ध कर दूं, ताकि खलयान का अनाज बजरी से मुक्त हो जाए। || وَ أَنَا مِنْ رَسُولِ اللهِ كَالضَّوْءِ مِنَ الضَّوْءِ وَ الذِّرَاعِ مِنَ الْعَضُدِ وَ اللهِ لَوْ تَظَاهَرَتِ الْعَرَبُ عَلَی قِتَالِی لَمَا وَلَّیتُ عَنْهَا وَ لَوْ أَمْكَنَتِ الْفُرَصُ مِنْ رِقَابِهَا لَسَارَعْتُ إِلَیهَا وَ سَأَجْهَدُ فِی أَنْ أُطَهِّرَ الْأَرْضَ مِنْ هَذَا الشَّخْصِ الْمَعْكُوسِ وَ الْجِسْمِ الْمَرْكُوسِ حَتَّی تَخْرُجَ الْمَدَرَةُ مِنْ بَینِ حَبِّ الْحَصِیدِ. | | व अना मिन रसूलिल्लाहे कज़्जोऐ मिनज़्ज़ोऐ वज़्ज़ेराए मिनल अज़ोदे वल्लाहे लौ तज़ाहरतिल अरबो अला क़ेताली लेमा वलयतो अन्हा व लौ अमकनतिल फ़ोरसो मिन रेक़ाबेहा लसारअतो इलैहा व सअजहदो फ़ी अन अतहरल अर्ज़ा मिन हाज़श शख़्सिल मअकूसे वल जिस्मिल मरकूसे हत्ता तख़रोजल मदरतुन मिन बैयने हब्बिल हसीदे || मेरा अल्लाह के रसूल से वही रिश्ता है जो एक ही जड़ से निकली दो शाखाओं का एक दूसरे से और कलाई का बांह से होता है। खुदा की कसम! यदि सभी अरब एक साथ मिलकर मुझसे लड़ना चाहें तो मैं मैदान छोड़कर पीठ नहीं दिखाऊंगा और मौका मिलते ही आगे बढ़कर उनकी गर्दन पकड़ लूंगा और इस उलटी खोपड़ी वाले सिरविहीन ढांचे (मुआविया) से पृथ्वी को शुद्ध कर दूं, ताकि खलयान का अनाज बजरी से मुक्त हो जाए। || وَ أَنَا مِنْ رَسُولِ اللهِ كَالضَّوْءِ مِنَ الضَّوْءِ وَ الذِّرَاعِ مِنَ الْعَضُدِ وَ اللهِ لَوْ تَظَاهَرَتِ الْعَرَبُ عَلَی قِتَالِی لَمَا وَلَّیتُ عَنْهَا وَ لَوْ أَمْكَنَتِ الْفُرَصُ مِنْ رِقَابِهَا لَسَارَعْتُ إِلَیهَا وَ سَأَجْهَدُ فِی أَنْ أُطَهِّرَ الْأَرْضَ مِنْ هَذَا الشَّخْصِ الْمَعْكُوسِ وَ الْجِسْمِ الْمَرْكُوسِ حَتَّی تَخْرُجَ الْمَدَرَةُ مِنْ بَینِ حَبِّ الْحَصِیدِ. | ||
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| सैयद रज़ी ने इस पत्र के मध्य भाग को बयान नहीं किया है और इसका अंतिम भाग इस प्रकार है: | | ||'''सैयद रज़ी ने इस पत्र के मध्य भाग को बयान नहीं किया है और इसका अंतिम भाग इस प्रकार है:'''|| | ||
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| इलैका अन्नी या दुनिया, फहब्लोके अला ग़ारेबेके क़दिन सललतो मिन मख़ालीके व अफ़लतो मिन हबाएलेके वज तनबतुज़ ज़हाबा फ़ी मदाहेजेके || हे संसार! मेरा पीछा छोड़ दे, तेरी बाग डोर तेरे कंधे पर है, मैं तेरे चंगुल से निकल चुका हूं, मैं तेरे जाल से बच गया हूं और मैंने तेरी फिसलन वाले स्थानों में कदम नहीं रखा है। || إِلَیكِ عَنِّی یا دُنْیا، فَحَبْلُكِ عَلَی غَارِبِكِ قَدِ انْسَلَلْتُ مِنْ مَخَالِبِكِ وَ أَفْلَتُّ مِنْ حَبَائِلِكِ وَ اجْتَنَبْتُ الذَّهَابَ فِی مَدَاحِضِكِ | | इलैका अन्नी या दुनिया, फहब्लोके अला ग़ारेबेके क़दिन सललतो मिन मख़ालीके व अफ़लतो मिन हबाएलेके वज तनबतुज़ ज़हाबा फ़ी मदाहेजेके || हे संसार! मेरा पीछा छोड़ दे, तेरी बाग डोर तेरे कंधे पर है, मैं तेरे चंगुल से निकल चुका हूं, मैं तेरे जाल से बच गया हूं और मैंने तेरी फिसलन वाले स्थानों में कदम नहीं रखा है। || إِلَیكِ عَنِّی یا دُنْیا، فَحَبْلُكِ عَلَی غَارِبِكِ قَدِ انْسَلَلْتُ مِنْ مَخَالِبِكِ وَ أَفْلَتُّ مِنْ حَبَائِلِكِ وَ اجْتَنَبْتُ الذَّهَابَ فِی مَدَاحِضِكِ |