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"उस्मान बिन हुनैफ़ के नाम इमाम अली (अ) का पत्र": अवतरणों में अंतर

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'''उस्मान बिन हुनैफ़ के नाम इमाम अली (अ) का पत्र''' (अरबीः '''رسالة الإمام علي إلى عثمان بن حنيف''') एक पत्र है जिसमे [[इमाम अली (अ)]] ने [[बसरा]] के गर्वनर [[उस्मान बिन हुनैफ़]] को संबोधित किया है। यह पत्र [[नहज उल बलाग़ा के पत्र|नहज उल बलाग़ा के पत्रों]] में से एक है, और इसका मुख्य फोकस गरीबों की उपस्थिति के बिना एक पार्टी में भाग लेने के लिए उस्मान बिन हनीफ को फटकार लगाना है।<ref>मुंतज़रि, दरसहाए अज़ नहज उल बलागा, 1395 शम्सी, भाग 13, पेज 120</ref> कुछ शोधकर्ताओं ने इस पत्र को धर्म की अधिकतमता के सिद्धांत के लिए सबसे मजबूत उदाहरण माना है।<ref>मंसूरी लारीजानी, इरफ़ाने सियासी, 1385 शम्सी, पेज 57</ref> यह भी कहा गया है कि  इस पत्र से हम राजनीति और प्रबंधन के क्षेत्र में इमाम अली (अ) के चरित्र को पहचान सकते हैं।<ref>इतरत दोस्त, व महदीया अहमी, राहकारहाए मुकाबले बा अशराफीगिरी बर मबना ए तहलील मोहतवा नामा इमाम अली (अ) बे उस्मान बिन हुनैफ़, पेज 89-90</ref> इसलिए इस्लाम के राजनीतिक सिद्धांत की व्याख्या के विषय पर पुस्तकों में इस पत्र का उल्लेख किया गया है<ref>देखेः मंसूरी लारीजानी, इरफ़ाने सियासी, 1385 शम्सी, पेज 56-57; अख़लाक़ी, राबता क़ुदरत व अदालत दर फ़िक़्ह सियासी, 1390 शम्सी, पेज 275; ईरवानी, मबानी फ़िक़्ही इक़्तेसाद इस्लामी, 1393 शम्सी, पेज 362; मुरर्तज़वी, दानिशनामा इमाम ख़ुमैनी, 1400 शम्सी, भाग 2, पेज 6743</ref> चूंकि इस पत्र में इमाम अली (अ) के शासन के प्रकार का उल्लेख किया गया है, इसलिए इस पत्र को इमाम की ओर से अपने गर्वनरो को लिखे गए पत्रो मे शामिल किया गया है।<ref>इतरत दोस्त, व महदीया अहमी, राहकारहाए मुकाबले बा अशराफीगिरी बर मबना ए तहलील मोहतवा नामा इमाम अली (अ) बे उस्मान बिन हुनैफ़, पेज 70-71</ref>
'''उस्मान बिन हुनैफ़ के नाम इमाम अली (अ) का पत्र''' (अरबीः '''رسالة الإمام علي إلى عثمان بن حنيف''') एक पत्र है जिसमे [[इमाम अली (अ)]] ने [[बसरा]] के गर्वनर [[उस्मान बिन हुनैफ़]] को संबोधित किया है। यह पत्र [[नहज उल बलाग़ा के पत्र|नहज उल बलाग़ा के पत्रों]] में से एक है, और इसका मुख्य फोकस गरीबों की उपस्थिति के बिना एक पार्टी में भाग लेने के लिए उस्मान बिन हनीफ को फटकार लगाना है।<ref>मुंतज़रि, दरसहाए अज़ नहज उल बलागा, 1395 शम्सी, भाग 13, पेज 120</ref> कुछ शोधकर्ताओं ने इस पत्र को धर्म की अधिकतमता के सिद्धांत के लिए सबसे मजबूत उदाहरण माना है।<ref>मंसूरी लारीजानी, इरफ़ाने सियासी, 1385 शम्सी, पेज 57</ref> यह भी कहा गया है कि  इस पत्र से हम राजनीति और प्रबंधन के क्षेत्र में इमाम अली (अ) के चरित्र को पहचान सकते हैं।<ref>इतरत दोस्त, व महदीया अहमी, राहकारहाए मुकाबले बा अशराफीगिरी बर मबना ए तहलील मोहतवा नामा इमाम अली (अ) बे उस्मान बिन हुनैफ़, पेज 89-90</ref> इसलिए इस्लाम के राजनीतिक सिद्धांत की व्याख्या के विषय पर पुस्तकों में इस पत्र का उल्लेख किया गया है<ref>देखेः मंसूरी लारीजानी, इरफ़ाने सियासी, 1385 शम्सी, पेज 56-57; अख़लाक़ी, राबता क़ुदरत व अदालत दर फ़िक़्ह सियासी, 1390 शम्सी, पेज 275; ईरवानी, मबानी फ़िक़्ही इक़्तेसाद इस्लामी, 1393 शम्सी, पेज 362; मुरर्तज़वी, दानिशनामा इमाम ख़ुमैनी, 1400 शम्सी, भाग 2, पेज 6743</ref> चूंकि इस पत्र में इमाम अली (अ) के शासन के प्रकार का उल्लेख किया गया है, इसलिए इस पत्र को इमाम की ओर से अपने गर्वनरो को लिखे गए पत्रो मे शामिल किया गया है।<ref>इतरत दोस्त, व महदीया अहमी, राहकारहाए मुकाबले बा अशराफीगिरी बर मबना ए तहलील मोहतवा नामा इमाम अली (अ) बे उस्मान बिन हुनैफ़, पेज 70-71</ref>


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