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"उस्मान बिन हुनैफ़ के नाम इमाम अली (अ) का पत्र": अवतरणों में अंतर

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== पत्र का पाठ ==
== पत्र का पाठ ==
{| class="wikitable"
|+ उस्मान बिन हुनैफ़ के नाम इमाम अली (अ) का पत्र
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! हिदीं मे पत्र का पाठ !! अनुवाद !! अरबी मे पत्र का पाठ
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| अम्मा बअदो, यब्ना हुनैफ़िन फ़क़द बलग़नि अन्ना रजोलन मिन फ़ित्यते अहलिल बसरते दआक ऐला मादोबतिन फ़स्रअता इलैहा || हे इब्न हुनैफ़! मुझे सूचित किया गया है कि बसरा के एक युवक ने तुम्हे भोज पर आमंत्रित किया और तुम बिना देर किये पहुँच गये || أَمَّا بَعْدُ، یا ابْنَ حُنَیفٍ فَقَدْ بَلَغَنِی أَنَّ رَجُلًا مِنْ فِتْیةِ أَهْلِ الْبَصْرَةِ دَعَاكَ إِلَی مَأْدُبَةٍ فَأَسْرَعْتَ إِلَیهَا
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| तुस्तताबो लकल अलवानो व तुनक़लो इलैकल जिफ़ानो व मा ज़ननतो अन्नका तोजीबो एला तआमे क़ौमिन आऐलोहुम मजफ़ुव्वुन व गनीहुम मदऊवुन || वह रंग-बिरंगा और स्वादिष्ट भोजन तुम्हारे लिए लाया जा रहा था और बड़े-बड़े कटोरे तुम्हारी ओर बढ़ाये जा रहे थे। मुझे आशा नहीं थी कि तुम उन लोगों का निमंत्रण स्वीकार करोगे जिनके यहा से गरीब और जरूरतमंद धुतकारे गए हो और अमीरों को आमंत्रित किया गया हो। || تُسْتَطَابُ لَكَ الْأَلْوَانُ وَ تُنْقَلُ إِلَیكَ الْجِفَانُ وَ مَا ظَنَنْتُ أَنَّكَ تُجِیبُ إِلَی طَعَامِ قَوْمٍ عَائِلُهُمْ مَجْفُوٌّ وَ غَنِیهُمْ مَدْعُوٌّ
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| फ़नज़ुर ऐला मा तक़ज़मोहू मिन हाज़ल मक़ज़मे फ़मश तबहा अलैका इल्मोहु फ़लफ़िज़्ज़ोहू वमा अयक़ंता बेतीबे वोजूहेहि फ़नल मिन्हो || जो निवाला चबाते हो उन्हे देख लिया करो, और जिस पर संदेह हो उसे छोड़ दिया करो, और जिसके बारे में आश्वस्त हों कि वह शुद्ध और पवित्र तरीके से प्राप्त किया गया है, उसमें से खाओ। || فَانْظُرْ إِلَی مَا تَقْضَمُهُ مِنْ هَذَا الْمَقْضَمِ فَمَا اشْتَبَهَ عَلَیكَ عِلْمُهُ فَالْفِظْهُ وَ مَا أَیقَنْتَ بِطِیبِ وُجُوهِهِ فَنَلْ مِنْهُ
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| अला व अन्ना लेकुल्ले मामूमिन इमामन यक़तदि बेहि व यस्तज़ीओ बेनूरे  इल्मेहि अला व इन्ना इमामकुम क़दिक तफ़ा मिन दुनियाहो बेतिमरैयहे व मिन तमऐहि बेक़ुरसैयहे || तुम्हे पता होना चाहिए कि हर मुक्तदी का एक नेता होता है जिसका वह अनुसरण करता है, और जिसके प्रकाश से वह ज्ञान प्राप्त करता है। देखो! तुम्हारे इमाम की हालत यह है कि उसने दुनिया के साज़ो सामान मे से दो फटी पुरानी चादरो और खाने मे से दो रोटियो पर क़नाअत कर ली है। || أَلَا وَ إِنَّ لِكُلِّ مَأْمُومٍ إِمَاماً یقْتَدِی بِهِ وَ یسْتَضِی‌ءُ بِنُورِ عِلْمِهِ أَلَا وَ إِنَّ إِمَامَكُمْ قَدِ اكْتَفَی مِنْ دُنْیاهُ بِطِمْرَیهِ وَ مِنْ طُعْمِهِ بِقُرْصَیهِ
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| अला व इन्नकुम ला तक़देरूना अला ज़ालेका व लकिन आईनूनी बेवरऐ वज तेहादिन व इक़्क़तिन व सदादिन || मै मानता हूं कि यह तुम्हारे बस की बात नहीं, लेकिन इतना तो करो कि संयम, प्रयास, पाक दामनी और सुरक्षा में मेरा समर्थन करो। || أَلَا وَ إِنَّكُمْ لاتَقْدِرُونَ عَلَی ذَلِكَ وَ لَكِنْ أَعِینُونِی بِوَرَعٍ وَ اجْتِهَادٍ وَ عِفَّةٍ وَ سَدَادٍ
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| फ़वल्लाहे मा कन्ज़तो मिन दुनियाकुम तिबरन वला इद्दखरतो मिन ग़नाऐमेहा वफ़रन वला आददतो लेबाली सौबी तिमरन वला हुज़्तो मिन अर्ज़ेहा शिबरन व ला अख़ज़्तो मिन्हो इल्ला कक़ूते अतानिन दबेरतिन वा लहि फ़ी ऐनी औहा व औहनो मिन अफ़सतिन मक़ेरतिन  || अल्लाह की क़सम! मैंने तुम्हारी दुनिया से सोना समेट कर नही रखा, और न उसके धन का ढेर इकट्ठा करके रखा है, और न उन पुराने कपड़ो के बदले मे (जो पहने हुए हो) और कोई पुराना कपड़ा मैने मोहय्या किया है। || فَوَاللهِ مَا كَنَزْتُ مِنْ دُنْیاكُمْ تِبْراً وَ لاادَّخَرْتُ مِنْ غَنَائِمِهَا وَفْراً وَ لاأَعْدَدْتُ لِبَالِی ثَوْبِی طِمْراً وَ لاحُزْتُ مِنْ أَرْضِهَا شِبْراً وَ لاأَخَذْتُ مِنْهُ إِلَّا كَقُوتِ أَتَانٍ دَبِرَةٍ وَ لَهِی فِی عَینِی أَوْهَی وَ أَوْهَنُ مِنْ عَفْصَةٍ مَقِرَةٍ
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| बला कानत फ़ी ऐयदीना फ़दकुन मिन कुल्ले मा अज़ललतहुस समाओ फ़शाह्हत अलैहा नुफ़ूसो क़ौमिन व सखत अन्हा नोफ़ूसो क़ौमिन आख़रीना व नेअमल हकमुल्लाहो || सचमुच इस आसमान की छाँव में ले देकर एक फदक हमारे हाथ में था, कुछ लोगों के मुँह से राल टपकती थी और दूसरे पक्ष को उसके जाने की कोई परवाह नहीं होती थी और अल्लाह सबसे अच्छा फ़ैसला करने वाला है। || بَلَی كَانَتْ فِی أَیدِینَا فَدَكٌ مِنْ كُلِّ مَا أَظَلَّتْهُ السَّمَاءُ فَشَحَّتْ عَلَیهَا نُفُوسُ قَوْمٍ وَ سَخَتْ عَنْهَا نُفُوسُ قَوْمٍ آخَرِینَ وَ نِعْمَ الْحَكَمُ اللهُ
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| व मा अस्नओ बेफ़दकिन व ग़ैरे फ़दकिन वन नफ़्सो मज़ान्नोहा फ़ी ग़दिन जदसुन तंक़तेओ फ़ी ज़ल्लमतेहि आसारोहा व तग़ीबो अखबारोहा व हुफ़रतुन लौ ज़ीदा फ़ी फ़ुस्हतेहा व औसअत यदन हाफ़ेरेहा लअज़ग़तहल हजरो वल मदरो व सद्दा फ़ोरजहत तुराबुल मुतारकेमो || क्या मैं फदक या फदक के अलावा किसी और चीज को लेकर करूंगा ही? जबकि आत्मा मंज़िल कल क़ब्र घोषित होने वाली है, जिसके अँधेरे में उसके निशान मिट जायेंगे और उसकी ख़बरें गायब हो जायेंगी। यह एक ऐसा गड्ढा है कि भले ही इसकी चौड़ाई बढ़ा दी जाये और गोरकन के हाथ इसे चौड़ा बनाये रखें, जब भी पत्थर और कंकड़ इसे तंग कर देंगे और निरंतर मिट्टी के डाले जाने से इसकी दरारें बंद हो जाएंगी। || وَ مَا أَصْنَعُ بِفَدَكٍ وَ غَیرِ فَدَكٍ وَ النَّفْسُ مَظَانُّهَا فِی غَدٍ جَدَثٌ تَنْقَطِعُ فِی ظُلْمَتِهِ آثَارُهَا وَ تَغِیبُ أَخْبَارُهَا وَ حُفْرَةٌ لَوْ زِیدَ فِی فُسْحَتِهَا وَ أَوْسَعَتْ یدَا حَافِرِهَا لَأَضْغَطَهَا الْحَجَرُ وَ الْمَدَرُ وَ سَدَّ فُرَجَهَا التُّرَابُ الْمُتَرَاكِمُ
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| व इन्नमा हेया नफ़्सी अरूज़ोहा बित्तक़वा लेताती आमेनतन यौमल ख़ौफ़िल अकबरे व तसबोता अला जवानेबिल मज़लक़े व लौ शेतो लहतदयतुत तरीक़ा ऐला मोसफ़्फ़ा हाज़ल हसले वलबाबे हाज़ल क़म्हे व नसाऐजे हाजल क़ज़ा वलाकिन हय्हाता अय यग़लेबनि हवाया व यक़ूदनी जशई ऐला तखीरिल अतऐमते व लअल्ला बिल हिजाजे अविल यमामते मन ला तमआ लहू फ़िल क़ुर्से व ला अहदा लहू बिश्शेबऐ || मेरा एकमात्र ध्यान इस बात पर है कि मैं अपने आप को ईश्वर की भक्ति से बेक़ाबू न होने दूं, ताकि जिस दिन डर अत्यधिक हो जाए, वह संतुष्ट हो जाए और फिसलन वाले स्थानों पर मजबूती से स्थिर हो जाए। मैं चाहूँ तो शुद्ध शहद, बढ़िया गेहूँ और रेशमी कपड़े का साधन उपलब्ध करा सकता हूँ। लेकिन ऐसा कहां हो सकता है कि इच्छा मुझ पर हावी हो जाए और लालच मुझे अच्छा भोजन चुनने के लिए आमंत्रित करे, जबकि हिजाज़ और यमामा में ऐसे लोग हैं जो एक रोटी भी नहीं खरीद सकते और कभी भरपेट भोजन नहीं कर पाते। || وَ إِنَّمَا هِی نَفْسِی أَرُوضُهَا بِالتَّقْوَی لِتَأْتِی آمِنَةً یوْمَ الْخَوْفِ الْأَكْبَرِ وَ تَثْبُتَ عَلَی جَوَانِبِ الْمَزْلَقِ وَ لَوْ شِئْتُ لَاهْتَدَیتُ الطَّرِیقَ إِلَی مُصَفَّی هَذَا الْعَسَلِ وَ لُبَابِ هَذَا الْقَمْحِ وَ نَسَائِجِ هَذَا الْقَزِّ وَ لَكِنْ هَیهَاتَ أَنْ یغْلِبَنِی هَوَای وَ یقُودَنِی جَشَعِی إِلَی تَخَیرِ الْأَطْعِمَةِ وَ لَعَلَّ بِالْحِجَازِ أَوْ الْیمَامَةِ مَنْ لاطَمَعَ لَهُ فِی الْقُرْصِ وَ لاعَهْدَ لَهُ بِالشِّبَعِ
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| औ अबीता मिबतानन व हौली बोतूनुन ग़रसा व अकबादुन हर्ररा औ अकूना कमा क़ालल क़ाऐलो  || क्या मैं पेट भरके पड़ा रहूं, जबकि मेरे चारों ओर और मेरे सामने भूखे पेट और प्यासे तड़पते हों? या मैं उस कहने वाले व्यक्ति के समान हो जाऊँ जिसने कहा है कि: || أَوْ أَبِیتَ مِبْطَاناً وَ حَوْلِی بُطُونٌ غَرْثَی وَ أَكْبَادٌ حَرَّی أَوْ أَكُونَ كَمَا قَالَ الْقَائِلُ:
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| व हस्बोका दाअन अन तबीता बेबितनतिन व हौलका अकबादुन तहिन्नो ऐलल क़िद्दिन || "तुम्हारी बीमारी यह क्या कम है कि तुम पेट भरकर लंबी तान लो और तुम्हारे आस-पास कुछ जिगर ऐसे हैं जो सूखे चमड़े के लिए तरस रहे हैं"? || وَ حَسْبُكَ دَاءً أَنْ تَبِیتَ بِبِطْنَةٍ * وَ حَوْلَكَ أَكْبَادٌ تَحِنُّ إِلَی الْقِدِّ
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|आ अक़नओ मिन नफ़्सी बेअय युकाला हाज़ा अमीरुल मोमेनीना व ला अशारेकोहुम फ़ी मकारेहिद दहरे ओ अकूना अस्वता लहुम फ़ि जुशूबतिल अयशे || क्या मुझे इस बात पर मग्न रहना चाहिए कि मुझे अमीरुल मोमिनीन (अ) कहा जाता है, लेकिन क्या मुझे समय की कठिनाइयों में ईमानवालों का साथी और जीवन के बुरे मोड में उनके लिए एक उदाहरण नहीं बनना चाहिए? || أَ أَقْنَعُ مِنْ نَفْسِی بِأَنْ یقَالَ هَذَا أَمِیرُ الْمُؤْمِنِینَ وَ لاأُشَارِكُهُمْ فِی مَكَارِهِ الدَّهْرِ أَوْ أَكُونَ أُسْوَةً لَهُمْ فِی جُشُوبَةِ الْعَیشِ
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| फ़मा ख़ोलिक़्तो लेयशग़लनी अकलुत तय्येबाते कल बहीमतिल मरबूतते, हम्मोहा अलफ़ोहा अविल मुरसलते श़ोग़ुलहा तक़म्मोमोहा तकतरेशो मिन आलाफ़ेहा व तल्लहू अम्मा योरादो बेहा || मेरा जन्म अच्छे भोजन के बारे में चिंतित होने के लिए नहीं हुआ है, एक बंधे हुए मवेशी की तरह जो केवल अपने चारे की परवाह करता है, या एक खुले जानवर की तरह जिसका काम मुहं मारना होता है। वह अपना पेट घास से भरता है और इस बात से बेखबर रहता है कि उसका इरादा क्या है। || فَمَا خُلِقْتُ لِیشْغَلَنِی أَكْلُ الطَّیبَاتِ كَالْبَهِیمَةِ الْمَرْبُوطَةِ، هَمُّهَا عَلَفُهَا أَوِ الْمُرْسَلَةِ شُغُلُهَا تَقَمُّمُهَا تَكْتَرِشُ مِنْ أَعْلَافِهَا وَ تَلْهُو عَمَّا یرَادُ بِهَا
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| ओ अतरका सुद्दा ओ ओहमला आबेसन ओ अजुर्रा हब्लज जलालते ओ आतसेफ़ा तरीक़ल मताहते व कअन्नी बेक़ाऐलेकुम यक़ूलो इज़ा काना हाज़ा क़ूतुबने अबि तालेबिन फ़क़द क़अदा बेहिज़ जअफ़ो अन क़ेतालिल अक़राने व मुनाज़लतिश शजआने अला व इन्नश शजरतल बर्रीयता  अस्लबो ऊदन वर रवातेअल ख़जेरता अरक़ुन जुलूदन वन नाऐतातिल इज़यता अक़वा व क़ूदन व अबता ख़ोमूदान || क्या मुझे मुक्त कर दिया गया है या मुझे व्यर्थ ही गुमराही की रस्सियाँ खींचने और भटकने के स्थानों में भटकने के लिए स्वतंत्र कर दिया गया है? मैं समझता हूं कि तुम में से कुछ लोग कहेंगे: जब यह इब्न अबी तालिब (अ) का आहार है, तो कमजोरी और अक्षमता उन्हें प्रतिद्वंद्वियों से भागने और बहादुरों से टकराने से रोकती होगी। लेकिन याद रखें कि जंगल के पेड़ की लकड़ी मजबूत होती है, और ताजे पेड़ों की छाल कमजोर और पतली होती है, और रेगिस्तानी झाड़ियों का ईंधन अधिक ज्वलनशील होता है और बुझने में अधिक समय लगता है। || أَوْ أُتْرَكَ سُدًی أَوْ أُهْمَلَ عَابِثاً أَوْ أَجُرَّ حَبْلَ الضَّلَالَةِ أَوْ أَعْتَسِفَ طَرِیقَ الْمَتَاهَةِ وَ كَأَنِّی بِقَائِلِكُمْ یقُولُ إِذَا كَانَ هَذَا قُوتُ ابْنِ أَبِی طَالِبٍ فَقَدْ قَعَدَ بِهِ الضَّعْفُ عَنْ قِتَالِ الْأَقْرَانِ وَ مُنَازَلَةِ الشُّجْعَانِ أَلَا وَ إِنَّ الشَّجَرَةَ الْبَرِّیةَ أَصْلَبُ عُوداً وَ الرَّوَاتِعَ الْخَضِرَةَ أَرَقُّ جُلُوداً وَ النَّابِتَاتِ الْعِذْیةَ أَقْوَی وَقُوداً وَ أَبْطَأُ خُمُوداً.
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| व अना मिन रसूलिल्लाहे कज़्जोऐ मिनज़्ज़ोऐ वज़्ज़ेराए मिनल अज़ोदे वल्लाहे लौ तज़ाहरतिल अरबो अला क़ेताली लेमा वलयतो अन्हा व लौ अमकनतिल फ़ोरसो मिन रेक़ाबेहा लसारअतो इलैहा व सअजहदो फ़ी अन अतहरल अर्ज़ा मिन हाज़श शख़्सिल मअकूसे वल जिस्मिल मरकूसे हत्ता तख़रोजल मदरतुन मिन बैयने हब्बिल हसीदे || मेरा अल्लाह के रसूल से वही रिश्ता है जो एक ही जड़ से निकली दो शाखाओं का एक दूसरे से और कलाई का बांह से होता है। खुदा की कसम! यदि सभी अरब एक साथ मिलकर मुझसे लड़ना चाहें तो मैं मैदान छोड़कर पीठ नहीं दिखाऊंगा और मौका मिलते ही आगे बढ़कर उनकी गर्दन पकड़ लूंगा और इस उलटी खोपड़ी वाले  सिरविहीन ढांचे (मुआविया) से पृथ्वी को शुद्ध कर दूं, ताकि खलयान का अनाज बजरी से मुक्त हो जाए। || وَ أَنَا مِنْ رَسُولِ اللهِ كَالضَّوْءِ مِنَ الضَّوْءِ وَ الذِّرَاعِ مِنَ الْعَضُدِ وَ اللهِ لَوْ تَظَاهَرَتِ الْعَرَبُ عَلَی قِتَالِی لَمَا وَلَّیتُ عَنْهَا وَ لَوْ أَمْكَنَتِ الْفُرَصُ مِنْ رِقَابِهَا لَسَارَعْتُ إِلَیهَا وَ سَأَجْهَدُ فِی أَنْ أُطَهِّرَ الْأَرْضَ مِنْ هَذَا الشَّخْصِ الْمَعْكُوسِ وَ الْجِسْمِ الْمَرْكُوسِ حَتَّی تَخْرُجَ الْمَدَرَةُ مِنْ بَینِ حَبِّ الْحَصِیدِ.
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| सैयद रज़ी ने इस पत्र के मध्य भाग को बयान नहीं किया है और इसका अंतिम भाग इस प्रकार है:
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| इलैका अन्नी या दुनिया, फहब्लोके अला ग़ारेबेके क़दिन सललतो मिन मख़ालीके व अफ़लतो मिन हबाएलेके वज तनबतुज़ ज़हाबा फ़ी मदाहेजेके || हे संसार! मेरा पीछा छोड़ दे, तेरी बाग डोर तेरे कंधे पर है, मैं तेरे चंगुल से निकल चुका हूं, मैं तेरे जाल से बच गया हूं और मैंने तेरी फिसलन वाले स्थानों में कदम नहीं रखा है। || إِلَیكِ عَنِّی یا دُنْیا، فَحَبْلُكِ عَلَی غَارِبِكِ قَدِ انْسَلَلْتُ مِنْ مَخَالِبِكِ وَ أَفْلَتُّ مِنْ حَبَائِلِكِ وَ اجْتَنَبْتُ الذَّهَابَ فِی مَدَاحِضِكِ
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| अयनल क़ोरूनुल लज़ीना ग़ररतेहिम बेमदाऐबेक? अयनल अमेमुल लज़ीना फ़तनतेहिम बेज़ख़ारेफ़ेके? फ़हा! हुम रहाऐनुल क़ोबूरे व मज़ामीनुल लहूदे || कहां हैं वो लोग जिन्हें तूने खेल और मनोरंजन की बातों से धोखा दिया था? कहां है वो जमाअते जिन्हें तूने अपने आभूषणों से भरमाए रखा? वो तो कब्रों में बंधे हुए और लहद की खाक मे दुबके पड़े है। || أَینَ الْقُرُونُ الَّذِینَ غَرَرْتِهِمْ بِمَدَاعِبِكِ؟ أَینَ الْأُمَمُ الَّذِینَ فَتَنْتِهِمْ بِزَخَارِفِكِ؟ فَهَا! هُمْ رَهَائِنُ الْقُبُورِ وَ مَضَامِینُ ال‍لّحُودِ
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| वल्लाहे लौ कुन्ते शख्सन मरऐयन व क़ालबन हिस्सियन लअक़मतो अलैके हुदूदल्लाहे फ़ी ऐबादिन ग़ररतेहिम बिल अमानी व अमामिन अलक़यतेहिम फ़िल महावी व मुलैकिन असलमतेहिम ऐलत तलफ़े व ओरदतेहिम मवारेदल बलाए इज़ लाविरदा व ला सदरा || काश, तू कोई दृश्यमान मूर्ति और कोई दृश्यमान ढांचा होता, तो बा ख़ुदा! मैं तुझ पर अल्लाह की ओर से निर्धारित सीमाएँ जारी कर देता, कि तूने बंदो को आशा देकर धोखा दिया, और राष्ट्रों के राष्ट्रों को (हलाकत के) गड्ढों में डाल दिया, और ताजदारो को विनाश के लिए सौंप दिया, और उन्हें नीचे गिरा दिया उसके बाद कष्टों के मंच पर ला उतारा, जिन पर उसके बाद न पानी पीने के लिए उतारा जाएगा और न पानी पी कर पलटा जाएगा। || وَ اللهِ لَوْ كُنْتِ شَخْصاً مَرْئِیاً وَ قَالَباً حِسِّیاً لَأَقَمْتُ عَلَیكِ حُدُودَ اللهِ فِی عِبَادٍ غَرَرْتِهِمْ بِالْأَمَانِی وَ أُمَمٍ أَلْقَیتِهِمْ فِی الْمَهَاوِی وَ مُلُوكٍ أَسْلَمْتِهِمْ إِلَی التَّلَفِ وَ أَوْرَدْتِهِمْ مَوَارِدَ الْبَلَاءِ إِذْ لاوِرْدَ وَ لاصَدَرَ
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| हयहाता मन वतेआ दहज़के ज़लेका व मन रकेबा लजजके ग़रेका व मनिज़वर्ररा अन हबाएलेके वुफ़्फ़ेका, || अल्लाह की शरण लो! जो कोई तेरी फिसलन पर पैर रखेगा, वह निश्चय फिसलेगा, जो कोई तेरी लहरों पर चढ़ेगा, वह निश्चय डूबेगा, और जो कोई तेरे जाल से बचेगा, वह सफल होगा। || هَیهَاتَ مَنْ وَطِئَ دَحْضَكِ زَلِقَ وَ مَنْ رَكِبَ لُجَجَكِ غَرِقَ وَ مَنِ ازْوَرَّ عَنْ حَبَائِلِكِ وُفِّقَ،
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| वस्सालेमे मिनके ला योबाली इन ज़ाका बेहि मुनाख़ोहो वद दुनिया इन्दहू कयौमिन हानन सेलाखोहू || जो तुझसे छुटकारा पा लेता है उसे परवाह नहीं होती, भले ही दुनिया की विशालता उसके लिए कम हो जाए। उनके अनुसार संसार उस दिन के समान है जो ख़त्म होना चाहता है। || وَ السَّالِمُ مِنْكِ لایُبَالِی إِنْ ضَاقَ بِهِ مُنَاخُهُ وَ الدُّنْیا عِنْدَهُ كَیوْمٍ حَانَ انْسِلَاخُهُ.
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|ओअज़ोबि अन्नी, फ़वल्लाहे ला अज़िल्लो लके फ़तस्तज़िल्लीनी व ला असलसो लके फ़तक़ूदीनी व अयमुल्लाहे यमीनन असतस्नी फ़ीहा बेमशीअतिल्लाहे लअरूज़न्ना नफ़सी रेयाज़तन तहिश्शो मआहा ऐलल क़ुर्से इज़ा क़दरतो अलैहे मतऊमन व तक़नओ बिलमिल्हे मादूमन || मुझ से दूर हो जा! (खुदा की कसम) मैं तेरे वश में नहीं आने वाला हूं, ताकि तू मुझे अपमानित कर सकें और मैं अपना बगीचा तेरे सामने खुला नहीं छोड़ने वाला हूं, ताकि तू मुझे ले जाएं। मैं अल्लाह की कसम खाता हूं, ऐसी शपथ जो अल्लाह की इच्छा के अलावा किसी भी चीज को बाहर नहीं रखती है, कि मैं अपनी आत्मा को इस हद तक समायोजित कर दूंगा कि वह तेरे भोजन में से एक रोटी और उसके साथ केवल नमक पाकर संतुष्ट हो जाए।  || اُعْزُبِی عَنِّی، فَوَاللهِ لاأَذِلُّ لَكِ فَتَسْتَذِلِّینِی وَ لاأَسْلَسُ لَكِ فَتَقُودِینِی وَ اَیمُ اللهِ یمِیناً أَسْتَثْنِی فِیهَا بِمَشِیئَةِ اللهِ لَأَرُوضَنَّ نَفْسِی رِیاضَةً تَهِشُّ مَعَهَا إِلَی الْقُرْصِ إِذَا قَدَرْتُ عَلَیهِ مَطْعُوماً وَ تَقْنَعُ بِالْمِلْحِ مَأْدُوماً
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| व लाअदअन्ना मुक़लति कऐने माइन नज़बा मईनोहा मुस्तगरेफ़तन दोमूअहा || और मैं अपनी आंखों का सूता इस प्राकर खाली कर दूंगा जिस तरह वह पानी का झरना जिसका पानी स्थिर हो चुका हो। || وَ لَأَدَعَنَّ مُقْلَتِی كَعَینِ مَاءٍ نَضَبَ مَعِینُهَا مُسْتَفْرِغَةً دُمُوعَهَا
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| आ तमतलेउस साऐमतो मिन रेअयहा फ़तबरोका व तशबउर रबीज़ता मिन उशबेहा फ़तरबेज़ा व याकोलो अली! मिन ज़ादेहि फ़हजआ?  || क्या जैसे बकरियां पेट भर जाने के बाद छाती के बल बैठ जाती हैं और पेट भर जाने पर अपने बाड़े में चली जाती हैं, वैसे ही अली भी अपने पार का खाना खा ले और बस सो जाए? || أَ تَمْتَلِئُ السَّائِمَةُ مِنْ رِعْیهَا فَتَبْرُكَ وَ تَشْبَعُ الرَّبِیضَةُ مِنْ عُشْبِهَا فَتَرْبِضَ وَ یأْكُلُ عَلِی مِنْ زَادِهِ فَیهْجَعَ؟!
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| क़र्रत इज़न ऐनोहू इज़क़ तदा बअदस सेनीनल मुतातावेलते बिल बहीमतिल हामेलते वस साऐमतिल मरईते || उसकी आखे बेनूर हो जाएं यदि वह अपने जीवन के लंबे वर्षों के बाद खुले मवेशियों और चरने वाले जानवरों का अनुसरण करने लगे। || قَرَّتْ إِذاً عَینُهُ إِذَا اقْتَدَی بَعْدَ السِّنِینَ الْمُتَطَاوِلَةِ بِالْبَهِیمَةِ الْهَامِلَةِ وَ السَّائِمَةِ الْمَرْعِیةِ.
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| तूबा लेनफ़सिन अद्दत ऐला रब्बेहा फ़रज़हा व अरकत बेजुमबेहा बूसहा व हजरत फ़िल लैले ग़ुम्ज़हा हत्ता इज़ा ग़लबल करा अलैहफ़ तरशत अर्ज़हा व तवस्सदत कफ़्फ़हा फ़ि मअशरिन असहरा औयूनहुम खौफ़ो मआदेहिम व तजाफ़त अन मज़ाजेऐहिम जोनूबोहुम || भाग्यशाली है! वह व्यक्ति जिसने अल्लाह के कर्तव्यों को पूरा किया, कठिनाई और परेशानी में धैर्य रखा, रात को जागता रहा, और जब नींद आ गई, तो वह उन लोगों के साथ धूल भरे फर्श पर अपने हाथों को तकिया बनाकर लेट गया, जिनकी आँखें विनाश के भय से जागृत थीं, || طُوبَی لِنَفْسٍ أَدَّتْ إِلَی رَبِّهَا فَرْضَهَا وَ عَرَكَتْ بِجَنْبِهَا بُؤْسَهَا وَ هَجَرَتْ فِی ال‍لّیلِ غُمْضَهَا حَتَّی إِذَا غَلَبَ الْكَرَی عَلَیهَا افْتَرَشَتْ أَرْضَهَا وَ تَوَسَّدَتْ كَفَّهَا فِی مَعْشَرٍ أَسْهَرَ عُیونَهُمْ خَوْفُ مَعَادِهِمْ وَ تَجَافَتْ عَنْ مَضَاجِعِهِمْ جُنُوبُهُمْ
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| व हमहमत बेज़िक्रे रब्बेहिम शेफ़ाहोहुम व तकश्शअत बेतूलिस तिग़फ़ारेहिम ज़ोनोबोहुम उलाएका हिज़्बुल्लाहे अला इन्ना हिज़्बुल्लाहे होमुल मुफ़लेहूना || पहले बिछौनो से अलग और होंठ खुदा की याद मे रहते है और अधिक इस्तिगफ़ार से जिनके गुनाह छट गए है। "यही अल्लाह का समूह है और निस्संदेह अल्लाह का समूह ही सफल होगा।" || وَ هَمْهَمَتْ بِذِكْرِ رَبِّهِمْ شِفَاهُهُمْ وَ تَقَشَّعَتْ بِطُولِ اسْتِغْفَارِهِمْ ذُنُوبُهُمْ أُولئِكَ حِزْبُ اللهِ أَلا إِنَّ حِزْبَ اللهِ هُمُ الْمُفْلِحُونَ
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| फ़त्तक़िल्लाहा यब्ना हुनैफ़िन वल तकफ़ुफ़ अकरासोका लेयकूना मिनन्नारे खलासोका<ref>18. नहज उल- बलागा, शोधः सुब्ही सालेह, नामा 45, 1414 हिजरी, पेज 416-420</ref> || हे इब्न हुनैफ़! अल्लाह से डरो और अपनी रोटी से संतुष्ट रहो, ताकि तुम नर्क की आग से बच सको।<ref>19. नहज उल-बलागा, अनुवादः अल्लामा मुफ़्ती जाफ़र हुसैन, नामा 45</ref> || فَاتَّقِ اللهَ یا ابْنَ حُنَیفٍ وَ لْتَكْفُفْ أَقْرَاصُكَ لِیكُونَ مِنَ النَّارِ خَلَاصُكَ.
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