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'''सूर ए नबा''' (अरबी: '''سورة النبأ''') या 'अम्मा' या तसाउल, 78वां सूरह है और [[क़ुरआन]] के [[मक्की और मदनी सूरह|मक्की सूरों]] में से एक है, जो क़ुरआन के तीसवें अध्याय की शुरुआत करता है। इसी कारण, इस अध्याय (जुज़) को "अम्मा जुज़" कहा जाता है। इस सूरह को नबा कहा जाता है क्योंकि इसकी दूसरी आयत "नबा ए अज़ीम" की बात करती है। | '''सूर ए नबा''' (अरबी: '''سورة النبأ''') या 'अम्मा' या तसाउल, 78वां सूरह है और [[क़ुरआन]] के [[मक्की और मदनी सूरह|मक्की सूरों]] में से एक है, जो क़ुरआन के तीसवें अध्याय की शुरुआत करता है। इसी कारण, इस अध्याय (जुज़) को "अम्मा जुज़" कहा जाता है। इस सूरह को नबा कहा जाता है क्योंकि इसकी दूसरी आयत "नबा ए अज़ीम" की बात करती है। | ||