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"सूर ए साफ़्फ़ात": अवतरणों में अंतर

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अनुवाद: आल यासीन पर सलाम हो।
अनुवाद: आल यासीन पर सलाम हो।
== ऐतिहासिक कहानियाँ और रिवायतें ==
सूर ए साफ़्फ़ात में निम्नलिखित घटनाओं पर चर्चा की गई है:
* [[नूह (अ)|नूह]] और उसके परिवार और उसके शेष वंशजों का उद्धार (बचना) और दूसरों का डूबना (आयत 75-83);
* इब्राहीम की कहानी: मूर्तियों को तोड़ना, मूर्तिपूजा का निषेध, [[हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम|इब्राहीम]] को आग में फेंकना, [[इस्माईल की क़ुर्बानी]], इब्राहीम का इसहाक़ को संदेश देना (आयत 113-83);
* [[मूसा (अ)|मूसा]] और [[हारून (नबी)|हारून]] और उनके लोगों का उद्धार (बचना) और उन पर किताब का रहस्योद्घाटन (नुज़ूल) (आयत 114-123);
* [[इल्यास (अ)|इल्यास]] की रेसालत और परमेश्वर की आराधना करने का आह्वान, लोगों द्वारा इल्यास की अस्वीकृति (आयत 124-132);
* [[लूत (अ)|लूत]] की रेसालत, उन्हें और उनके परिवार को बचाना, उनकी पत्नी और उनके लोगों को पीड़ा देना (आयत 133-137);
* [[यूनुस (अ)|यूनुस]] की रेसालत, लोगों से भागना, मछली के पेट में रहना, लोगों (क़ौम) के पास लौटना, लोगों का विश्वास (आयत 148-138)।
== गुण ==
:''मुख्य लेख:'' [[सूरों के फ़ज़ाइल]]
[[इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस सलाम|इमाम सादिक़ (अ)]] से वर्णित हुआ है कि यदि कोई व्यक्ति हर शुक्रवार को सूर ए साफ़्फ़ात पढ़ता है, तो वह सभी विपत्तियों से सुरक्षित रहेगा, और इस दुनिया में, विपत्तियाँ उससे दूर हो जाएंगी, और एक दिन वह इस दुनिया में उच्चतम संभव स्तर पर पहुंच जाएगा, और [[शैतान]] और किसी भी द्वेषपूर्ण और जिद्दी उत्पीड़क से उसके धन, बच्चों या शरीर को कोई नुकसान नहीं होगा। और यदि वह इस [[सूरह]] का पाठ करने के बाद रात या दिन के दौरान मर जाता है, तो वह [[शहादत|शहीद]] होगा और भगवान उसे शहीदों के साथ स्वर्ग के उच्चतम स्तर पर प्रवेश कराएगा।[17]
== फ़ुटनोट ==
{{फ़ुटनोट}}
मकारिम शिराज़ी, बर्गुज़ीदेह तफ़सीर नमूना, 1382 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 130।
तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान, 1974 ईस्वी, खंड 17, पृष्ठ 120।
तबरसी, मजमा उल बयान, 1415 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 296।
मारेफ़त, आमोज़िशे उलूमे क़ुरआन, 1371 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 168।
खुर्रमशाही, दानिशनामे क़ुरआन व क़ुरआन पजोही, 1377 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 1248।
तबातबाई, अल मीज़ान, 1393 हिजरी, खंड 17, पृष्ठ 122। मकारिम शिराज़ी, बर्गुज़ीदेह तफ़सीर नमूना, 1382 शम्सी, खंड 130।
तबातबाई, अल मीज़ान, 1974 ईस्वी, खंड 17, पृष्ठ 120।
मकारिम शिराज़ी, बर्गुज़ीदेह तफ़सीर नमूना, 1382 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 129।
  उदाहरण के लिए, देखें: कुलैनी, अल काफ़ी, 1407  हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 208।
माज़ंदरानी, शरहे फ़ुरूअ अल काफ़ी, 1429 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 402।
सअलबी, अल कश्फ़ व अल बयान अन तफ़सीर अल कुरआन, 1422 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 169।
तबातबाई, अल मीज़ान, 1974 ईस्वी, खंड 17, पृष्ठ 158-159।
स्यूति, अल दुर अल मंसूर, 1404 हिजजरी, खंड 5, पृष्ठ 286।
तेहरानी, मुहम्मद हुसैन, मआद शनासी, खंड 4, पृष्ठ 212, https://motaghin.com/fa_Articlepage_1836.aspx?gid=1680
https://maktabevahy.org/document/Book/details/28/Maad-Hosni-J7?page=54
शेख़ सदूक़, सवाब अल आमाल व एक़ाब अल आमाल, 1382 शम्सी, पृष्ठ 217,  बहरानी, अल बुरहान फ़ी तफ़सीर अल कुरआन, 1389 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 589।
== स्रोत ==
{{स्रोत}}
* पवित्र क़ुरआन, मुहम्मद महदी फ़ौलादवंद द्वारा अनुवादित, दार अल कुरआन अल करीम, तेहरान, 1376 शम्सी।
* बहरानी, हाशिम बिन सुलेमान, अल बुरहान फ़ी तफ़सीर अल कुरआन, क़ुम, मोअस्सास ए अल बेअसत, क़िस्म अल दरासात अल इस्लामिया, 1389 शम्सी।
* सअलबी, अहमद बिन मुहम्मद, अल कश्फ़ व अल बयान अन तफ़सीर अल कुरआन, बेरूत, दार इह्या अल तोरास अल अरबी, 1422 हिजरी।
* खुर्रमशाही, बहाउद्दीन, दानिशनामे क़ुरआन व क़ुरआन पजोही, दोस्तन प्रकाशन, तेहरान, 1377 शम्सी।
* स्यूति, अब्दुर्रहमान, अल दुर अल मंसूर फ़ी तफ़सीर बिल मासूर, क़ुम, मकतबा आयतुल्लाह अल मर्अशी, 1404 हिजरी।
* शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, सवाब अल आमाल व एक़ाब अल आमाल, मुहम्मद रज़ा अंसारी महल्लाती द्वारा अनुवादित, क़ुम, नसीम कौसर, 1382 शम्सी।
* तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान फ़ी तफ़सीर अल कुरआन, बेरूत, मोअस्सास ए अल आलमी लिल मतबूआत, दूसरा संस्करण, 1974 ईस्वी।
* तबरसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमा उल बयान फ़ी तफ़सीर अल कुरआन, बेरूत, मोअस्सास ए अल आलमी लिल मतबूआत, पहला संस्करण, 1415 हिजरी।
* कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल काफ़ी, शोधकर्ता और प्रूफ़रीडर: अली अकबर गफ़्फ़ारी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामिया, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी।
* माज़ंदरानी, मुहम्मद हादी बिन मुहम्मद सालेह, शरहे फ़ुरुअ अल काफ़ी, शोधकर्ता और प्रूफ़रीडर: मुहम्मद जवाद महमूदी, क़ुम, दार अल हदीस लिल तबाअत व अल नशर, पहला संस्करण, 1429 हिजरी।
* मारेफ़त, मुहम्मद हादी, आमोज़िशे उलूमे क़ुरआन, [अप्रकाशित], मरकज़े चाप व नशर साज़माने तब्लीग़ाते इस्लामी, पहला संस्करण, 1371 शम्सी।
* मकारिम शिराज़ी, नासिर और अहमद अली बाबाई, बर्गुज़ीदेह तफ़सीर नमूना, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामिया, 1382 शम्सी।
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