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"इमाम अली नक़ी अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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साद बिन अब्दुल्लाह अशअरी ने उन लोगों के इमाम हादी (अ.स.) के पास वापस लौट आने को उनके प्रति मूसा मुबारका की नापसंदगी का परिणाम माना है। <ref>  अशअरी क़ोमी, निबंध और अंतर, 1361, पृष्ठ 99।</ref> [[शेख़ मुफ़ीद]] <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 300।</ref> और [[इब्न शहर आशोब]], <ref> इब्न शहर आशोब, मनाकिब अल अबी तालिब, 1379 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 402।</ref> ने इमाम हादी (अ.स.) की इमामत पर शियों की सहमति और उनके अलावा किसी अन्य द्वारा इमामत का दावा न करने को उनकी इमामत का एक मज़बूत सबूत माना है। <ref> अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-हादी, 1410 हिजरी, पृष्ठ 20।</ref> [[मुहम्मद बिन याक़ूब कुलैनी]] और शेख़ मुफीद ने अपने कार्यों में उनकी इमामत के प्रमाण से संबंधित ग्रंथों को सूचीबद्ध किया है। <ref>  कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 1, पृ. 323-325; मोफिद, अल-अरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 298।</ref>
साद बिन अब्दुल्लाह अशअरी ने उन लोगों के इमाम हादी (अ.स.) के पास वापस लौट आने को उनके प्रति मूसा मुबारका की नापसंदगी का परिणाम माना है। <ref>  अशअरी क़ोमी, निबंध और अंतर, 1361, पृष्ठ 99।</ref> [[शेख़ मुफ़ीद]] <ref> मोफिद, अल-अरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 300।</ref> और [[इब्न शहर आशोब]], <ref> इब्न शहर आशोब, मनाकिब अल अबी तालिब, 1379 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 402।</ref> ने इमाम हादी (अ.स.) की इमामत पर शियों की सहमति और उनके अलावा किसी अन्य द्वारा इमामत का दावा न करने को उनकी इमामत का एक मज़बूत सबूत माना है। <ref> अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-हादी, 1410 हिजरी, पृष्ठ 20।</ref> [[मुहम्मद बिन याक़ूब कुलैनी]] और शेख़ मुफीद ने अपने कार्यों में उनकी इमामत के प्रमाण से संबंधित ग्रंथों को सूचीबद्ध किया है। <ref>  कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 1, पृ. 323-325; मोफिद, अल-अरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 298।</ref>
इमाम अली नक़ी (अ):
"भ्रष्ट स्वभाव में बुद्धि (हिकमत) काम नहीं करती।"
(अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-हादी, 1410 हिजरी, पृष्ठ 304।)


इब्न शहर आशोब के अनुसार, शिया पिछले इमामों के कथनों के माध्यम से इमाम अली बिन मुहम्मद की इमामत से आगाह हुए; ऐसी हदीसों के ज़रिये से जो इस्माइल बिन मेहरान और [[अबू जाफ़र अशअरी]] जैसे रावियों द्वारा उल्लेख की गई हैं। <ref> इब्न शहर आशोब, मनाकिब अल अबी तालिब, 1379 एएच, खंड 4, पृष्ठ 402।</ref>
इब्न शहर आशोब के अनुसार, शिया पिछले इमामों के कथनों के माध्यम से इमाम अली बिन मुहम्मद की इमामत से आगाह हुए; ऐसी हदीसों के ज़रिये से जो इस्माइल बिन मेहरान और [[अबू जाफ़र अशअरी]] जैसे रावियों द्वारा उल्लेख की गई हैं। <ref> इब्न शहर आशोब, मनाकिब अल अबी तालिब, 1379 एएच, खंड 4, पृष्ठ 402।</ref>
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इमाम हादी (अ.स.) 33 वर्षों तक इमामत के प्रभारी रहे (220-254 हिजरी) <ref>  मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 297; तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 109।</ref> इस अवधि के दौरान, कई अब्बासी ख़लीफ़ा सत्ता में आए। उनकी इमामत की शुरुआत मोअतसिम की खिलाफ़त के साथ हुई और इसका अंत मोअतज़ की खिलाफ़त के साथ हुआ। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 109।</ref> लेकिन, इब्न शहर आशोब ने उनकी इमामत के अंत का समय मोअतमिद के ज़माने में माना है। <ref> इब्न शहर आशोब, मनाकिब अल अबी तालिब, 1379 एएच, खंड 4, पृष्ठ 401।</ref>
इमाम हादी (अ.स.) 33 वर्षों तक इमामत के प्रभारी रहे (220-254 हिजरी) <ref>  मोफिद, अल-अरशाद, 1413 एएच, खंड 2, पृष्ठ 297; तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 109।</ref> इस अवधि के दौरान, कई अब्बासी ख़लीफ़ा सत्ता में आए। उनकी इमामत की शुरुआत मोअतसिम की खिलाफ़त के साथ हुई और इसका अंत मोअतज़ की खिलाफ़त के साथ हुआ। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 109।</ref> लेकिन, इब्न शहर आशोब ने उनकी इमामत के अंत का समय मोअतमिद के ज़माने में माना है। <ref> इब्न शहर आशोब, मनाकिब अल अबी तालिब, 1379 एएच, खंड 4, पृष्ठ 401।</ref>
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शियों के 10वें इमाम ने अब्बासी ख़लीफा [[मोअतसिम]] की ख़िलाफ़त के दौरान अपनी इमामत के सात साल बिताए। <ref> पिशवाई, सीरए पेशवायान, 1374, पृष्ठ 595।</ref> तारीख़े सियासी ग़ैबत इमामे दवाज़दहुम (अ) पुस्तक के लेखक जासिम हुसैन के अनुसार, मोतसिम इमाम अली नक़ी के समय में इमाम मुहम्मद तक़ी के समय की तुलना में शियों पर कम सख्त था। और वह अलवियों के प्रति अधिक सहिष्णु हो गया था, और उसके दृष्टिकोण में यह बदलाव आर्थिक स्थिति में सुधार और अलवियों की बग़ावत में कमी के कारण हुआ था। <ref> जसीम, बारहवें इमाम की अनुपस्थिति का राजनीतिक इतिहास, 1376, पृष्ठ 81।</ref> इसके अलावा, 10वें इमाम की इमामत के समय से लगभग पांच साल, वासिक़ की खिलाफ़त के साथ, चौदह साल [[मुतवक्किल]] की खिलाफ़त के साथ, छह महीने मुस्तनसर की खिलाफ़त के साथ, दो साल नौ महीने मुस्तईन की खिलाफ़त के साथ, और आठ साल से अधिक समय तक [[मोअतज़]] की ख़िलाफ़त के साथ रहे। <ref> तबरसी, आलाम अलवरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृ. 109 और 110।</ref>
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