"इमाम अली नक़ी अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर
→इमामत काल
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रसूल जाफ़रियान के अनुसार, मुतवक्किल ने इमाम हादी (अ.स.) को [[सामर्रा]] में स्थानांतरित करने की योजना इस तरह बनाई थी कि लोगों की संवेदनाएँ न भड़कें और इमाम की जबरन यात्रा का कोई ख़तरनाक परिणाम न निकले; [67] लेकिन सुन्नी विद्वानों में से एक सिब्ते बिन जौज़ी ने यहया बिन हरसमा की एक रिपोर्ट उल्लेख की है, जिसके अनुसार मदीना के लोग बहुत परेशान और उत्तेजित हो गये थे, और उनका संकट इस स्तर तक पहुंच गया कि वे विलाप करने और चिल्लाने लगे, जो मदीना में उससे पहले कभी नहीं देखा गया। [68] [[मदीना]] छोड़ने के बाद इमाम हादी (अ.स.) काज़मैन में दाखिल हुए और वहां के लोगों ने उनका स्वागत किया गया। [69] [[काज़मैन]] में, वह ख़ुजिमा बिन हाज़िम के घर गए और वहां से उन्हें सामर्रा की ओर भेज दिया गया। [70] | रसूल जाफ़रियान के अनुसार, मुतवक्किल ने इमाम हादी (अ.स.) को [[सामर्रा]] में स्थानांतरित करने की योजना इस तरह बनाई थी कि लोगों की संवेदनाएँ न भड़कें और इमाम की जबरन यात्रा का कोई ख़तरनाक परिणाम न निकले; [67] लेकिन सुन्नी विद्वानों में से एक सिब्ते बिन जौज़ी ने यहया बिन हरसमा की एक रिपोर्ट उल्लेख की है, जिसके अनुसार मदीना के लोग बहुत परेशान और उत्तेजित हो गये थे, और उनका संकट इस स्तर तक पहुंच गया कि वे विलाप करने और चिल्लाने लगे, जो मदीना में उससे पहले कभी नहीं देखा गया। [68] [[मदीना]] छोड़ने के बाद इमाम हादी (अ.स.) काज़मैन में दाखिल हुए और वहां के लोगों ने उनका स्वागत किया गया। [69] [[काज़मैन]] में, वह ख़ुजिमा बिन हाज़िम के घर गए और वहां से उन्हें सामर्रा की ओर भेज दिया गया। [70] | ||
[[शेख़ मुफ़ीद]] के अनुसार, मुतवक्किल स्पष्ट रूप से इमाम (अ) सम्मान करता था; लेकिन वह उनके खिलाफ़ साजिश रचता रहता था। [71] [[तबरसी]] की रिपोर्ट के अनुसार, मुतावक्किल का उद्देश्य लोगों की नजर में इमाम (अ) की महानता और इज़्ज़त को कम करना था। [72] शेख़ मोफ़ीद के अनुसार, जब पहले दिन इमाम ने सामरा में प्रवेश किया तो उन्हे मुतावक्किल के आदेश से एक दिन उन्होंने उन्हे "ख़ाने सआलीक़" (वह स्थान जहां भिखारी और ग़रीब इकट्ठा होते हैं) में रखा और अगले दिन वे उन्हे उस घर में ले गए जो उसके निवास के लिए था। [73] सालेह बिन सईद के अनुसार, यह कार्रवाई इमाम हादी (अ.स.) को अपमानित करने के इरादे से की गई थी। [74] | |||
इमाम के प्रवास के दौरान अब्बासी शासकों उनसे कठोर व्यवहार किया। उदाहरण के लिए, उनके रहने के कमरे में एक क़ब्र खोद कर रखी थी। इसके अलावा, वह उन्हे रात में और बिना किसी सूचना के ख़लीफा के महल में पेश करते थे और वह शियों को उनके साथ संवाद करने से रोकते थे। [75] कुछ लेखकों ने इमाम हादी के साथ मुतवक्किल के शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारणों को इस प्रकार लिखा है: | |||
* धार्मिक दृष्टिकोण से, मुतवक्किल का झुकाव [[अहले-हदीस]] की ओर था, जो मोअतज़ेला और शिया के खिलाफ़ थे, और अहले-हदीस उसे शियों के खिलाफ़ भड़काया करते थे। | |||
* मुतावक्किल अपनी सामाजिक स्थिति को लेकर चिंतित था और [[शियों के इमाम|शिया इमामों]] के साथ लोगों के संबंध से डरता था। इसलिए, वह इस संबंध को ख़त्म कर देने की कोशिश करता था। [76] इसी संबंध में, मुतवक्किल ने [[इमाम हुसैन (अ.स.)]] के रौज़े को नष्ट कर दिया और इमाम हुसैन के तीर्थयात्रियों के साथ सख्त व्यवहार किया करता था। [77] | |||
मुतवक्किल के बाद उसका बेटा मुंतसिर ख़िलाफ़त की गद्दी पर आया। इस अवधि के दौरान, इमाम हादी (अ.स.) सहित अलवी परिवार पर से सरकार का दबाव कम हो गया था। [78] |