सामग्री पर जाएँ

"इमाम अली नक़ी अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

पंक्ति २८: पंक्ति २८:


अन्य [[इमामिया|शिया]] [[शियों के इमाम|इमामों]] की तुलना में इमाम अली नक़ी, [[इमाम मुहम्मद तक़ी]] और [[इमाम हसन अस्करी]] के जीवन के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। मुहम्मद हुसैन रजबी दवानी (जन्म 1339 शम्सी), एक इतिहासकार, इस मुद्दे का कारण इन इमामों के अल्प जीवन, उनके कारावास और उस समय की इतिहास की पुस्तकों के गैर-शिया लेखकों द्वारा लिखे जाने को मानते हैं। [21]
अन्य [[इमामिया|शिया]] [[शियों के इमाम|इमामों]] की तुलना में इमाम अली नक़ी, [[इमाम मुहम्मद तक़ी]] और [[इमाम हसन अस्करी]] के जीवन के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। मुहम्मद हुसैन रजबी दवानी (जन्म 1339 शम्सी), एक इतिहासकार, इस मुद्दे का कारण इन इमामों के अल्प जीवन, उनके कारावास और उस समय की इतिहास की पुस्तकों के गैर-शिया लेखकों द्वारा लिखे जाने को मानते हैं। [21]


*'''जुनैदी के शिया होने की कहानी'''
*'''जुनैदी के शिया होने की कहानी'''


इसबातुल वसीयत पुस्तक में उल्लिखित रिपोर्ट के अनुसार, [[इमाम मुहम्मद तक़ी (अ)]] की [[शहादत]] के बाद, अबू अब्दुल्लाह जुनैदी नाम के एक व्यक्ति को, जो कट्टर था और [[अहले-बैत (अ)]] के साथ अपनी दुश्मनी के लिए जाना जाता था, अब्बासी सरकार द्वारा नियुक्त किया गया ताकि वह इमाम हादी को शिक्षा दे और उन पर नज़र रखे। और [[इमामिया|शियों]] को उनके साथ संवाद करने से रोके; लेकिन कुछ समय बाद यह व्यक्ति शिया [[इमाम]] के ज्ञान और व्यक्तित्व से प्रभावित हो कर शिया हो जाता है। [22]
इसबातुल वसीयत पुस्तक में उल्लिखित रिपोर्ट के अनुसार, [[इमाम मुहम्मद तक़ी (अ)]] की [[शहादत]] के बाद, अबू अब्दुल्लाह जुनैदी नाम के एक व्यक्ति को, जो कट्टर था और [[अहले-बैत (अ)]] के साथ अपनी दुश्मनी के लिए जाना जाता था, अब्बासी सरकार द्वारा नियुक्त किया गया ताकि वह इमाम हादी को शिक्षा दे और उन पर नज़र रखे। और [[इमामिया|शियों]] को उनके साथ संवाद करने से रोके; लेकिन कुछ समय बाद यह व्यक्ति शिया [[इमाम]] के ज्ञान और व्यक्तित्व से प्रभावित हो कर शिया हो जाता है। [22]


*'''औलाद'''
*'''औलाद'''
पंक्ति ४६: पंक्ति ४४:


चौथी चंद्र शताब्दी के इतिहासकार मसऊदी के अनुसार, [[इमाम हसन अस्करी (अ)]] ने अपने पिता के अंतिम संस्कार में भाग लिया था। इमाम (अ) के शव को मूसा बिन बग़ा के घर के सामने वाली सड़क पर रखा गया था, और अब्बासी ख़लीफ़ा के अंतिम संस्कार में भाग लेने से पहले, इमाम अस्करी ने अपने पिता के पार्थिव शरीर पर प्रार्थना ([[नमाज़े जनाज़ा]]) की। मसऊदी ने इमाम हादी के अंतिम संस्कार में भारी भीड़ की सूचना दी है। [33]
चौथी चंद्र शताब्दी के इतिहासकार मसऊदी के अनुसार, [[इमाम हसन अस्करी (अ)]] ने अपने पिता के अंतिम संस्कार में भाग लिया था। इमाम (अ) के शव को मूसा बिन बग़ा के घर के सामने वाली सड़क पर रखा गया था, और अब्बासी ख़लीफ़ा के अंतिम संस्कार में भाग लेने से पहले, इमाम अस्करी ने अपने पिता के पार्थिव शरीर पर प्रार्थना ([[नमाज़े जनाज़ा]]) की। मसऊदी ने इमाम हादी के अंतिम संस्कार में भारी भीड़ की सूचना दी है। [33]
*'''असकरीयैन का रौज़ा'''
मुख्य लेख: [[इमाम नक़ी और इमाम अस्करी का रौज़ा|असकरीयैन का रौज़ा]]
इमाम हादी (अ.स.) को उसी घर में दफ़्न किया गया जिसमें वह सामर्रा में रहते थे। [34] सामर्रा में इमाम हादी (अ.स.) और उनके बेटे [[इमाम हसन अस्करी (अ.स.)]] के दफ़्न स्थान को [[इमाम नक़ी और इमाम अस्करी का रौज़ा|असकरीयैन के रौज़ा]] के रूप में जाना जाता है। इमाम हादी (अ.स.) को उनके घर में दफ़्न करने के बाद इमाम अस्करी (अ.स.) ने उनकी क़ब्र के लिए एक नौकर नियुक्त किया। वर्ष 328 हिजरी में, उनकी क़ब्र पर पहला गुंबद बनाया गया था। [35] अस्करीयैन के रौज़े की विभिन्न अवधियों में मरम्मत, पूरा और पुनर्निर्मित किया गया है। [36] हर साल, [[इमामिया|शिया]] इमाम हादी और इमाम हसन अस्करी के दर्शन के लिए विभिन्न क्षेत्रों से सामर्रा जाते हैं।
मुख्य लेख: [[अस्करीयैन के रौज़े का विनाश]]
वर्ष 1384 और 1386 शम्सी में, आतंकवादी विस्फोटों में अस्करीयैन के रौज़े के कुछ हिस्से नष्ट हो गए थे। [37] महामहिमों के तीर्थस्थलों के पुनर्निर्माण मुख्यालय ने 1394 शम्सी में उसके पुनर्निर्माण का काम पूरा किया। [38] तीर्थस्थल की ज़रीह का निर्माण [[आयतुल्लाह सीस्तानी]] के सहयोग से पूरा किया गया है। [39]
confirmed, movedable
१२,२६४

सम्पादन