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किफ़ायतुल उसूल अरबी भाषा में उसूल अल-फ़िक़्ह (न्यायशास्त्र के सिद्धांतों) पर एक पाठ्यक्रम युक्त आख़ूंद ख़ुरासानी (मृत्यु 1329 हिजरी) द्वारा लिखी गई एक पुस्तक है। आख़ूंद ख़ुरासानी मुल्ला हादी सब्ज़वारी, शेख अंसारी और मिर्ज़ा शिराज़ी के छात्र और मरज ए तक़लीद थे।
किफ़ाया अपनी रचना के समय से लेकर आज तक उच्च-स्तरीय पाठ्यपुस्तक के साथ-साथ हौज़ा हाए इल्मिया में उसूले फ़िक़्ह के दरसे खारिज की चर्चा का केंद्र रहा है। अतः इस पर लगभग 200 शरह, हाशिए और टिप्पणियाँ लिखी गई हैं। पुस्तक की सामग्री को बहुत सटीक और नियमित रूप से वर्णित किया गया है। संक्षिप्त रूप से अवधारणाओं को व्यक्त करने के लिए इस किताब की सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक विशेषता माना गया है।
किफ़ायतुल उसुल खुद लेखक के जीवनकाल में और उनके निधन पश्चात कई बार मुद्रित और प्रकाशित हो चुकी है। आख़ूंद ख़ुरासानी द्वारा लिखित इसकी एक प्रति ईरान की इस्लामी परिषद (मजलिसे शूरा ए इस्लामी ईरान) के पुस्तकालय में रखी गई है। यह पुस्तक 1409 हिजरी में 554 पृष्ठों में मोअस्सेसा आलुल-बैत (अ) के सुधार के साथ प्रकाशित हुई थी।
मुहम्मद काज़िम ख़ुरासानी (1255-1329 हिजरी) आख़ूंद ख़ुरासानी के नाम से मशहूर नजफ़ के मराज ए तक़लीद मे से है। आप ईरान में मशरूता तहरीक के समर्थकों में से थे। मुल्ला हादी सब्ज़वारी, शेख अंसारी और मिर्ज़ा शिराज़ी उनके शिक्षकों में से थे। उन्होंने इल्मे उसूले फ़िक़्ह (न्यायशास्त्र के सिद्धांतों), फ़िक़्ह (न्यायशास्त्र), फ़लसफ़ा (दर्शनशास्त्र) पर आपकी किताबे है। उनमें से सबसे प्रसिद्ध पुस्तक किफ़ायतुल उसूल है जिसके लेखन के कारण आपको साहिबे किफ़ाया उपनाम दिया गया।
अन्य विशेष रुप से प्रदर्शित लेख: इमाम महदी (अ) की तौक़ीअ – ख़स्फ़े बयदा – चार क़ुल