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मफ़ातिहुल जिनान जिसका अर्थ है स्वर्ग की कुंजी, शेख़ अब्बास कुम्मी द्वारा संकलित शियों के बीच प्रार्थना (दुआ) की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक है। यह पुस्तक पैगंबर (स), आइम्मा ए मासूमीन (अ) और कुछ जलील उल-क़द्र शिया विद्वानो से वर्णित विभिन्न प्रार्थनाओं, मुनाजातो, तीर्थयात्राओं (ज़ियारतो), वर्ष के विभिन्न महीनों और दिनों के विशेष कार्यो (मख़सूस आमाल) और इबादात पर आधारित होने के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक रीति-रिवाजों और रिवायतो का संग्रह है। लेखक ने इस पुस्तक के अधिकांश लेखों को पिछली पुस्तकों जैसे इक़्बाल उल-आमाल, ज़ाद उल-मआद और मिस्बाहे कफ़्अमी से लिया है।
मफ़ातिहुल जिनान पहली बार वर्ष 1344 हिजरी में मशहद में प्रकाशित होकर थोड़े समय में लोकप्रिय हो गई। यह कुरआन के साथ दुनिया भर में अहले-बैत (अ) के चाहने वाले शियों के घरों, मस्जिदों और पवित्र स्थानों में पाई जाती है और विशेष धार्मिक और धार्मिक अवसरों पर मुसतहब आमाल के लिए इसका उपयोग किया जाता है। फ़ारसी भाषा में मफ़ातिहुल जिनान का सबसे प्रसिद्ध अनुवाद महदी इलाही क़ुमशैई का अनुवाद है, जबकि उर्दू सहित दुनिया की लगभग सभी जीवित भाषाओं में इस पुस्तक का अनुवाद मौजूद हैं। मुहद्दिसे कुम्मी ने मफ़ातिह की शैली में अपनी पुस्तक बाक़ीयात उस-सालेहात भी लिखी और इसके साथ संलग्न किया, जिसे विभिन्न प्रकाशनों में मफ़ातिह के मार्जिन (हाशिये) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
दो किताब मफ़ातिह नवीन और मिन्हाज उल-हयात मफ़ातिहुल जिनान के लेखों के दस्तावेजीकरण (मुस्तनद साज़ी) और मफ़ातिह उल-हयात, मफ़ातिहुल जिनान के पूरक के उद्देश्य से लिखी गई हैं। इस पुस्तक के अलग-अलग सारांश अलग-अलग नामों से सामने आ चुके हैं।
शेख अब्बास क़ुम्मी का पूरा नाम अब्बास बिन मुहम्मद रज़ा क़ुम्मी (1294-1359 हिजरी) था। वह अपने समय के एक मुहद्दिस, इतिहासकार होने के साथ-साथ वक्ता (ख़तीब) भी थे। उन्होंने विभिन्न विषयों पर पुस्तकों का संकलन किया। मफ़ातिहुल जिनान, सफीना तुल-बिहार और मुन्तहल आमाल उनके सबसे प्रसिद्ध संकलन हैं। मुहद्दिसे कुम्मी ने 1359 हिजरी में अपने जीवन की अंतिम सांस नजफ़ में ली जिसके पश्चात उन्हे अमीरुल मोमिनीन (अ) के हरम (रौज़े) में दफ़नाया गया। उनके बेटे के अनुसार, शेख़ अब्बास क़ुम्मी ने मफ़ातिहुल जिनान का पूरा संकलन वुज़ू और तहारत के साथ अंजाम दिया।
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