गुमनाम सदस्य
"हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर
→इब्राहीम प्रचीन ग्रंथों में
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तौरैत के अनुसार, इब्राहीम 75 वर्ष की आयु तक हर्रान में रहे, और उसके बाद वह ईश्वर के आदेश पर वहां से कनआन चले गये और अपनी पत्नी सारा और अपने भतीजे लूत और हर्रान के कुछ लोगों को अपने साथ ले गये। वहां उन्होने पूर्वी बेतेल में डेरा डाला और जानवरों के ज़िबह करने के लिये जगह बनाई।<ref>पैदाइश, 12:1-8</ref> उसके बाद, अकाल पड़ने के कारण, उन्हें मजबूरी में [[मिस्र]] की ओर प्रवास करना पड़ा,<ref>पैदाइश, 12:10</ref> लेकिन कुछ समय बाद वे वापस बेतेल लौट आए<ref>पैदाइश, 13:1-4</ref> और बाद में हेब्रोन (अल-ख़लील) चले गए और वहीं बस गए।<ref>पैदाइश, 13:18</ref> | तौरैत के अनुसार, इब्राहीम 75 वर्ष की आयु तक हर्रान में रहे, और उसके बाद वह ईश्वर के आदेश पर वहां से कनआन चले गये और अपनी पत्नी सारा और अपने भतीजे लूत और हर्रान के कुछ लोगों को अपने साथ ले गये। वहां उन्होने पूर्वी बेतेल में डेरा डाला और जानवरों के ज़िबह करने के लिये जगह बनाई।<ref>पैदाइश, 12:1-8</ref> उसके बाद, अकाल पड़ने के कारण, उन्हें मजबूरी में [[मिस्र]] की ओर प्रवास करना पड़ा,<ref>पैदाइश, 12:10</ref> लेकिन कुछ समय बाद वे वापस बेतेल लौट आए<ref>पैदाइश, 13:1-4</ref> और बाद में हेब्रोन (अल-ख़लील) चले गए और वहीं बस गए।<ref>पैदाइश, 13:18</ref> | ||
[[तौरेत]] में कहा गया है कि जब इब्राहीम ने मिस्र में प्रवेश किया, तो उन्होने मिस्रियों के नुक़सान से खुद को बचाने के लिए अपनी पत्नी सारा को अपनी बहन के रूप में पेश किया, जो उनकी पत्नी के लिए लालची थे। परिणामस्वरूप, मिस्र के फ़िरऔन ने, जो उनकी सुंदरता पर मोहित हो गया, उन्हे बिना किसी बाधा के अपनी पत्नी के रूप में ले लिया, और उसके कारण उसने इब्राहीम का भला किया। लेकिन परमेश्वर ने इसके कारण फिरौन और उसके घराने को गंभीर विपत्तियों से पीड़ित किया। | [[तौरेत]] में कहा गया है कि जब इब्राहीम ने मिस्र में प्रवेश किया, तो उन्होने मिस्रियों के नुक़सान से खुद को बचाने के लिए अपनी पत्नी सारा को अपनी बहन के रूप में पेश किया, जो उनकी पत्नी के लिए लालची थे। परिणामस्वरूप, मिस्र के फ़िरऔन ने, जो उनकी सुंदरता पर मोहित हो गया, उन्हे बिना किसी बाधा के अपनी पत्नी के रूप में ले लिया, और उसके कारण उसने इब्राहीम का भला किया। लेकिन परमेश्वर ने इसके कारण फिरौन और उसके घराने को गंभीर विपत्तियों से पीड़ित किया।<ref>पैदाइश, 12:11-19</ref> अल्लामा तबताबाई ने तौरेत में इब्राहीम की कहानी के इस हिस्से का उल्लेख करते हुए, इसे अन्य चीज़ों के साथ-साथ नबूवत के मक़ाम और धर्मपरायणता की भावना के साथ इसकी असंगति का हवाला दिया है और इसे तौरेत के विरूपण (तहरीफ़) का एक कारण माना है।<ref>तबताबाई, अल-मिजान, 1417 हिजरी, खंड 7, पीपी 225 और 226।</ref> | ||
ओल्ड टैस्टमैंट ने हज़रत इब्राहीम के बेटों इसहाक (अ) को ज़बीहुल्लाह उल्लेख किया गया है। कुछ ज़गहों पर ज़बीह को उनका इकलौता बेटा कहा गया है। इसी तरह से तौरेत में ज़िक्र हुआ है कि ईश्वर ने कनआन में हज़रत इब्राहीम से वादा किया कि, नील नदी से लेकर फ़ुरात नदी तक का इलाक़ा उनकी औलाद को प्रदान किया जायेगा जो इसहाक की पीढ़ी से उभरेंगे। [63] | ओल्ड टैस्टमैंट ने हज़रत इब्राहीम के बेटों इसहाक (अ) को ज़बीहुल्लाह उल्लेख किया गया है। कुछ ज़गहों पर ज़बीह को उनका इकलौता बेटा कहा गया है। इसी तरह से तौरेत में ज़िक्र हुआ है कि ईश्वर ने कनआन में हज़रत इब्राहीम से वादा किया कि, नील नदी से लेकर फ़ुरात नदी तक का इलाक़ा उनकी औलाद को प्रदान किया जायेगा जो इसहाक की पीढ़ी से उभरेंगे। [63] |