"तौहीद": अवतरणों में अंतर
→तौहीदे ज़ाती अर्थात अंतर्निहित एकेश्वरवाद
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तौहीदे ज़ाती, तौहीद का पहला स्तर है [33] और इसका एक अर्थ ईश्वर की एकता और अतुलनीयता में विश्वास है और उसका कोई विकल्प नहीं है। सूर ए तौहीद (व लम यकुन लहू कुफुवन अहद) की चौथी आयत का भी यही अर्थ समझा गया है। [34] अंतर्निहित एकेश्वरवाद (तौहीदे ज़ाती) का एक और अर्थ यह है कि ईश्वर की प्रकृति बहुलता और द्वंद्व को प्रतिबिंबित नहीं करती है और उसका कोई सदृश नहीं है। [35] जैसा कि सूर ए तौहीद की पहली आयत में (क़ुल हो वल्लाहो अहद) आया है। [36] | तौहीदे ज़ाती, तौहीद का पहला स्तर है [33] और इसका एक अर्थ ईश्वर की एकता और अतुलनीयता में विश्वास है और उसका कोई विकल्प नहीं है। [[सूर ए तौहीद]] (व लम यकुन लहू कुफुवन अहद) की चौथी आयत का भी यही अर्थ समझा गया है। [34] अंतर्निहित एकेश्वरवाद (तौहीदे ज़ाती) का एक और अर्थ यह है कि ईश्वर की प्रकृति बहुलता और द्वंद्व को प्रतिबिंबित नहीं करती है और उसका कोई सदृश नहीं है। [35] जैसा कि सूर ए तौहीद की पहली आयत में (क़ुल हो वल्लाहो अहद) आया है। [36] | ||
=== तौहीदे सेफ़ाती === | === तौहीदे सेफ़ाती === |