सामग्री पर जाएँ

"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर

imported>E.musavi
imported>E.musavi
पंक्ति १२३: पंक्ति १२३:
और इससे यह ज्ञात होता है कि कुछ टीकाकारों ने कहा है कि इन दो पेशवाओं (इमाम हसन और इमाम हुसैन) के मानदंड अलग-अलग थे - और इमाम हसन (अ.) शांति प्रिय थे जबकि इमाम हुसैन (अ.) युद्ध को प्राथमिकता देते थे; यहां तक कि बड़े भाई ने 40,000 की सेना होने के बावजूद मुआविया के साथ सुलह कर ली और छोटा भाई 40 आदमियों के साथ यज़ीद के खिलाफ कुरूक्षेत्र में उतरे - एक निराधार दावा; क्योंकि हम देखते हैं कि इमाम हुसैन (अ.) एक दिन के लिए भी यज़ीद की निष्ठा की छाया में जाने को तैयार नहीं हुए, मुआविया के शासन में अपने भाई इमाम हसन (अ.) की तरह 10 साल तक रहे (इमाम हसन भी 10 साल तक मुआविया के शासन मे रहे) और इस तरह से कभी विरोध नहीं किया, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर इमाम हसन (अ.) और इमा हुसैन (अ) मुआविया के विरूद्ध करूक्षेत्र का मार्ग च्यन करते तो निश्चित रूप से क़त्ल कर दिया जाते और उनकी हत्या से [[इस्लाम धर्म के पूर्ण होने की आयत|इस्लाम]] के लिए ज़रा भी फ़ायदा नहीं होता। और उनकी शहादत मुआविया के जाहिर रूप से ह़क पर होने जो सहाबी, [[कातिब ए वही]] और ख़ालुल मोमेनीन (मोमिनो का मामा) कहलवाता था और हर प्रकार षडयंत्र रचा करता था, अप्रभावित होती। इसके अलावा, वह उन्हें अपने एजेंटों के माध्यम से मार सकता था और खुद जाकर शोक और अज़ादारी के लिए बैठ सकता था और उनके खून का दावा कर सकता था; वही काम जो उसने तीसरे खलीफ़ा के साथ किय था।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 205</ref>
और इससे यह ज्ञात होता है कि कुछ टीकाकारों ने कहा है कि इन दो पेशवाओं (इमाम हसन और इमाम हुसैन) के मानदंड अलग-अलग थे - और इमाम हसन (अ.) शांति प्रिय थे जबकि इमाम हुसैन (अ.) युद्ध को प्राथमिकता देते थे; यहां तक कि बड़े भाई ने 40,000 की सेना होने के बावजूद मुआविया के साथ सुलह कर ली और छोटा भाई 40 आदमियों के साथ यज़ीद के खिलाफ कुरूक्षेत्र में उतरे - एक निराधार दावा; क्योंकि हम देखते हैं कि इमाम हुसैन (अ.) एक दिन के लिए भी यज़ीद की निष्ठा की छाया में जाने को तैयार नहीं हुए, मुआविया के शासन में अपने भाई इमाम हसन (अ.) की तरह 10 साल तक रहे (इमाम हसन भी 10 साल तक मुआविया के शासन मे रहे) और इस तरह से कभी विरोध नहीं किया, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर इमाम हसन (अ.) और इमा हुसैन (अ) मुआविया के विरूद्ध करूक्षेत्र का मार्ग च्यन करते तो निश्चित रूप से क़त्ल कर दिया जाते और उनकी हत्या से [[इस्लाम धर्म के पूर्ण होने की आयत|इस्लाम]] के लिए ज़रा भी फ़ायदा नहीं होता। और उनकी शहादत मुआविया के जाहिर रूप से ह़क पर होने जो सहाबी, [[कातिब ए वही]] और ख़ालुल मोमेनीन (मोमिनो का मामा) कहलवाता था और हर प्रकार षडयंत्र रचा करता था, अप्रभावित होती। इसके अलावा, वह उन्हें अपने एजेंटों के माध्यम से मार सकता था और खुद जाकर शोक और अज़ादारी के लिए बैठ सकता था और उनके खून का दावा कर सकता था; वही काम जो उसने तीसरे खलीफ़ा के साथ किय था।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 205</ref>


===इमाम सज्जाद (अ.स.)===
===इमाम सज्जाद (अ)===
[[चित्र:قبرستان بقیع.JPG|अंगूठाकार|जन्नत उल-बक़ीअ मे इमाम सज्जाद (अ.स.) का मरक़द]]
[[चित्र:قبرستان بقیع.JPG|अंगूठाकार|जन्नत उल-बक़ीअ मे इमाम सज्जाद (अ.स.) का मरक़द]]
'''विस्तृत लेख: इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.)'''
'''विस्तृत लेख: इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ)'''


अली इब्न उल-हुसैन (अ.स.) उपनाम [[ज़ैनुल-आबेदीन]] और [[सज्जाद]], शियो के चौथे इमाम है और इमाम हुसैन (अ.स.) के पुत्र हैं, जिनकी माता शाह ज़नान जो ([[शहर बानो]] के नाम से जानी जाती हैं) [[ईरान]] के राजा यज़्दगिर्द सोयम की बेटी हैं। आपका जन्म मदीना मे 38 हिजरी को हुआ।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 137 तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 256 इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, भाग 4, पेज 175-176</ref>  
अली इब्न उल-हुसैन (अ) उपनाम [[ज़ैनुल आबेदीन]] और [[सज्जाद]], शियो के चौथे इमाम है और [[इमाम हुसैन (अ)]] के पुत्र हैं, जिनकी माता शाह ज़नान जो ([[शहर बानो]] के नाम से जानी जाती हैं) [[ईरान]] के राजा यज़्दगिर्द तृतिय की बेटी हैं। आपका जन्म मदीना मे 38 हिजरी को हुआ।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 137 तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 256 इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, भाग 4, पेज 175-176</ref>  


आप तीसरे इमाम के बचे हुए अकेले बेटे थे; जबकि आपके दूसरे भाई [[कर्बला]] में शहीद हो गए थे चूंकि कर्बला में युद्ध के समय आप बीमार थे और हथियार उठाने और लड़ने में असमर्थ होने के कारण आप जिहाद में भाग नहीं ले सके। कर्बला मे आपको असीर (बंदि) बनाया गया और कर्बला के असीरो के साथ कूफ़ा<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 114</ref>  और सीरिया<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 119</ref> भेजा गया था।  
आप तीसरे इमाम के बचे हुए अकेले बेटे थे; जबकि आपके दूसरे भाई [[कर्बला]] में शहीद हो गए थे चूंकि कर्बला में युद्ध के समय आप बीमार थे और हथियार उठाने और लड़ने में असमर्थ होने के कारण आप जिहाद में भाग नहीं ले सके। कर्बला मे आपको असीर (बंदि) बनाया गया और कर्बला के असीरो के साथ कूफ़ा<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 114</ref>  और सीरिया<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 119</ref> भेजा गया था।  


[[इमाम सज्जाद (अ.)]] ने सीरिया में एक [[ख़ुत्बा]] (उपदेश) दिया जिसमे अपना और अपने पिता का परिचय कराया, जिसने लोगों को प्रभावित किया।<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 45, पेज 138-139</ref> अपनी कैद के दिन बिताने के पश्चात इमाम मदीना लौट आए और मदीना में इबादत करने में व्यस्थ हो गए और [[अबू हम्ज़ा सुमाली]] और [[अबू खालिद काबुली]] के अतिरिक्त कोई संबंध मे नहीं था। विशेष लोगो ने इमाम से प्राप्त ज्ञान को शियाओं में फैलाया।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 216</ref>  
[[इमाम सज्जाद (अ)]] ने सीरिया में एक ख़ुत्बा (उपदेश) दिया जिसमे अपना और अपने पिता का परिचय कराया, जिसने लोगों को प्रभावित किया।<ref>मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 45, पेज 138-139</ref> अपनी कैद के दिन बिताने के पश्चात इमाम मदीना लौट आए और मदीना में इबादत करने में व्यस्थ हो गए और [[अबू हम्ज़ा सुमाली]] और अबू खालिद काबुली के अतिरिक्त कोई संबंध मे नहीं था। विशेष लोगो ने इमाम से प्राप्त ज्ञान को शियाओं में फैलाया।<ref>तबातबाई, शिया दर इस्लाम, पेज 216</ref>  


इमामत के 34 साल बाद<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 138;  तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 256;  इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, भाग 4, पेज 175</ref> 57 साल की आयु  में 95 हिजरी<ref>तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 256;  मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 137-138</ref> में चौथे इमाम को [[वलीद बिन अब्दुल मलिक]] ने जहर देकर शहीद कर दिया<ref>इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, भाग 4, पेज 176</ref> प्रसिद्ध [[कब्रिस्तान बक़ीअ]] मे उनके चाचा इमाम हसन (अ.) के पास दफन कर दिया।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 138; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 256;  इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, भाग 4, पेज 176</ref>  
इमामत के 34 साल बाद<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 138;  तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 256;  इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, भाग 4, पेज 175</ref> 57 साल की आयु  में 95 हिजरी<ref>तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 256;  मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 137-138</ref> में चौथे इमाम को [[वलीद बिन अब्दुल मलिक]] ने जहर देकर शहीद कर दिया<ref>इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, भाग 4, पेज 176</ref> प्रसिद्ध [[कब्रिस्तान बक़ीअ]] मे उनके चाचा इमाम हसन (अ) के पास दफन कर दिया।<ref>मुफ़ीद, अल-इरशाद, भाग 2, पेज 138; तबरसी, आलाम उल-वरा, पेज 256;  इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब ए आले अबी तालिब, भाग 4, पेज 176</ref>  


इमाम सज्जाद (अ.स.) की [[दुआ]] और [[मुनाजात]] का संग्रह जिसमें कई धार्मिक शिक्षाएं शामिल हैं [[सहिफ़ा ए सज्जादिया]] पुस्तक में एकत्र किया गया है।<ref>सहीफ़ा ए सज्जादिया, तरजुमा और शरह फैज़ उल-इस्लाम, पेज 3</ref>
इमाम सज्जाद (अ) की दुआ और मुनाजात का संग्रह जिसमें कई धार्मिक शिक्षाएं शामिल हैं [[सहिफ़ ए सज्जादिया]] पुस्तक में एकत्र किया गया है।<ref>सहीफ़ा ए सज्जादिया, तरजुमा और शरह फैज़ उल-इस्लाम, पेज 3</ref>


===इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.)===
===इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.)===
गुमनाम सदस्य