गुमनाम सदस्य
"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर
→आइम्मा के बारे मे सुन्नीयो की किताबे
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# '''मतालिब अस्सऊल फ़ी मनाक़िबे आले रसूल''' मुहम्मद बिन तल्हा शाफेई ने इस किताब को अरबी भाषा मे 12 अध्याय पर आधारित 12 इमामो की जीवनी का उल्लेख किया है।<ref>तबातबाई, अहलुलबैत अलैहेमुस्सलाम फ़िल मकतबतिल अरबिया, मोअस्सेसा ए आले-अलबैत, पेज 481-483</ref> | # '''मतालिब अस्सऊल फ़ी मनाक़िबे आले रसूल''' मुहम्मद बिन तल्हा शाफेई ने इस किताब को अरबी भाषा मे 12 अध्याय पर आधारित 12 इमामो की जीवनी का उल्लेख किया है।<ref>तबातबाई, अहलुलबैत अलैहेमुस्सलाम फ़िल मकतबतिल अरबिया, मोअस्सेसा ए आले-अलबैत, पेज 481-483</ref> | ||
# '''तज़्केरतुल ख़वास मिनल आइम्मते फ़ी ज़िक्रे ख़साएसिल आइम्मा''' हनफी संप्रदाय के विद्वान और इतिहासकार युसुफ बिन कज़ाऊग़ली प्रसिद्ध [[सिब्ते बिन | # '''तज़्केरतुल ख़वास मिनल आइम्मते फ़ी ज़िक्रे ख़साएसिल आइम्मा''' हनफी संप्रदाय के विद्वान और इतिहासकार युसुफ बिन कज़ाऊग़ली प्रसिद्ध [[सिब्ते बिन जौज़ी]] ने बारह इमामो की जीवनी और उनके फज़ाइल को 12 अध्याय मे ज़िक्र किया है।<ref>इब्ने जोज़ी, तज़्केरतुल ख़वास, पेज 102-103</ref> | ||
# '''अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा फ़ी मारेफ़तिल आइम्मा''' नवी शताब्दी के सुन्नी विद्वान [[इब्ने सब्बाग़ मालेकी]] (मृत्यु 855 हिजरी) ने बारह इमामो की जीवनी और फ़ज़ाइल का उल्लेख किया है इस किताब से शिया और सुन्नी विद्वानो ने बहुत सारे हवाले बयान किए है।<ref>इब्ने सब्बाग़, अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा, दार उल हदीस, भाग 1, पेज 6 और 683-684</ref> | # '''अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा फ़ी मारेफ़तिल आइम्मा''' नवी शताब्दी के सुन्नी विद्वान [[इब्ने सब्बाग़ मालेकी]] (मृत्यु 855 हिजरी) ने बारह इमामो की जीवनी और फ़ज़ाइल का उल्लेख किया है इस किताब से शिया और सुन्नी विद्वानो ने बहुत सारे हवाले बयान किए है।<ref>इब्ने सब्बाग़, अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा, दार उल हदीस, भाग 1, पेज 6 और 683-684</ref> | ||
# '''अल आइम्मतिल इस्ना अशर या अश्शज़ारातुज़ ज़हबिया''' दमिश्क के रहने वाले हनफ़ी संप्रदाय के सुन्नी विद्वान | # '''अल आइम्मतिल इस्ना अशर या अश्शज़ारातुज़ ज़हबिया''' दमिश्क के रहने वाले हनफ़ी संप्रदाय के सुन्नी विद्वान शम्सुद्दीन इब्ने तूलून (मृत्यु 953 हिजरी) द्वारा लिखित।<ref>इब्ने सब्बाग़, अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा, दार उल हदीस, भाग 1, मुकद्देमा मोहक़्क़िक़, पेज 24</ref> | ||
# '''अलइत्तेहाफ बेहुब्बिल अशराफ़''' मिस्र के रहने वाले शाफ़ेई संप्रदाय के अनुयायी सुन्नी विद्वान जमालुद्दीन शबरावी (मृत्यु 1092-1172 हिजरी) द्वारा पैगंबर (स) के परिवार और आइम्मा (अ) की जीवनी पर आधारित है।<ref>तबातबाई, अहलुलबैत अलैहेमुस्सलाम फ़िल मकतबतिल अरबिया, मोअस्सेसा ए आले-अलबैत, पेज 235</ref> | # '''अलइत्तेहाफ बेहुब्बिल अशराफ़''' मिस्र के रहने वाले शाफ़ेई संप्रदाय के अनुयायी सुन्नी विद्वान जमालुद्दीन शबरावी (मृत्यु 1092-1172 हिजरी) द्वारा पैगंबर (स) के परिवार और आइम्मा (अ) की जीवनी पर आधारित है।<ref>तबातबाई, अहलुलबैत अलैहेमुस्सलाम फ़िल मकतबतिल अरबिया, मोअस्सेसा ए आले-अलबैत, पेज 235</ref> | ||
# '''नूरुल अबसार फ़ी मनाक़िबे आले बैतिन नबी अल मुख्तार'' 13 शताब्दी के सुन्नी विद्वान [[मोमिन शबलंजी]] ने अपनी किताब मे पैगंबर (स.), शियो के इमाम और अहले सुन्नत के खलीफ़ाओ की जीवनी का उल्लेख किया है।<ref>शबरावी, अल इत्तेहाफ बेहुब्बिल अशराफ़, पेज 5-7</ref> | # '''नूरुल अबसार फ़ी मनाक़िबे आले बैतिन नबी अल मुख्तार'' 13 शताब्दी के सुन्नी विद्वान [[मोमिन शबलंजी]] ने अपनी किताब मे पैगंबर (स.), शियो के इमाम और अहले सुन्नत के खलीफ़ाओ की जीवनी का उल्लेख किया है।<ref>शबरावी, अल इत्तेहाफ बेहुब्बिल अशराफ़, पेज 5-7</ref> |