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"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर

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==किताबो का परिचय==
==किताबो का परिचय==
[[शिया इसना अशरी|शिया]] इमामों की जीवनी और उनके फ़ज़ाइलो (गुणो) के बारे में शियाओं और सुन्नियों द्वारा विभिन्न किताबें लिखी गई हैं।
[[शिया इसना अशरी|शिया]] इमामों की जीवनी और उनके फ़ज़ाइलो (गुणो) के बारे में शियों और सुन्नियों द्वारा विभिन्न किताबें लिखी गई हैं।


===आइम्मा के बारे मे शियों की किताबे===
===आइम्मा के बारे मे शियों की किताबे===
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इमामों और उनके फ़ज़ाइलो के बारे में शिया विद्वानों की निम्नलिखित किताबे उल्लेखनीय है:
इमामों और उनके फ़ज़ाइलो के बारे में शिया विद्वानों की निम्नलिखित किताबे उल्लेखनीय है:


# '''[[दला-ए-लुल इमामा]]''' यह किताब अरबी भाषा मे [[मुहम्मद बिन जुरैर तिबरी सग़ीर]] (मृत्यु 310 हिजरी) द्वारा लिखी गई है। इस किताब मे लेखन ने जनाब [[फ़ातेमा ज़हरा ()]] के फ़जाइल और उनके मोज्ज़ात का उल्लेख किया है।  
# '''[[दला-ए-लुल इमामा]]''' यह किताब अरबी भाषा मे मुहम्मद बिन जुरैर तबरी सग़ीर (मृत्यु 310 हिजरी) द्वारा लिखी गई है। इस किताब मे लेखन ने जनाब [[फ़ातेमा ज़हरा ()]] के फ़जाइल और उनके मोज्ज़ात का उल्लेख किया है।  
# '''[[अल इरशाद फ़ी मारफ़ते हुजाजिल्लाहे अलल एबाद]]''' [[शेख मुफ़ीद]] (मृत्यु 410 हिजरी) द्वारा अरबी भाषा मे कलाम और इतिहास के विषय मे लिखी गई है। इस किताब मे आइम्मा (अ) की जीवनी औक उनके फज़ाइल वाली रिवायतो का उल्लेख है।  
# '''अल इरशाद फ़ी मारफ़ते हुजाजिल्लाहे अलल एबाद''' [[शेख मुफ़ीद]] (मृत्यु 410 हिजरी) द्वारा अरबी भाषा मे कलाम और इतिहास के विषय मे लिखी गई है। इस किताब मे आइम्मा (अ) की जीवनी औक उनके फज़ाइल वाली रिवायतो का उल्लेख है।  
# '''[[मनाक़िबो आले अबी तालिब]]''' [[इब्ने शहर आशोब माज़नदरानी]] द्वारा चौदह मासूमीन के फज़ाइल पर आधारित अरबी भाषा मे किताब है।
# '''मनाक़िबो आले अबी तालिब''' [[इब्ने शहर आशोब माज़नदरानी]] द्वारा चौदह मासूमीन के फज़ाइल पर आधारित अरबी भाषा मे किताब है।


इन किताबो के अलावा [[ऐलाम उल वरआ बेआलामिल हुदा]], [[कश्फुल गुम्मा फ़ी मारेफ़तिल आइम्मा]], [[रौज़ातुल वाएज़ीन वा बसीरातुल मुत्तऐज़ीन]], [[जलाउल उयून और मुनतहुल आमाल फ़ी तवारिख़िन्न नबी वल आल]] उल्लेखनीय है।
इन किताबो के अलावा ऐलाम उल वरआ बेआलामिल हुदा, कश्फुल गुम्मा फ़ी मारेफ़तिल आइम्मा, रौज़ातुल वाएज़ीन वा बसीरातुल मुत्तऐज़ीन, जलाउल उयून और मुनतहुल आमाल फ़ी तवारिख़िन्न नबी वल आल उल्लेखनीय है।


===आइम्मा के बारे मे सुन्नीयो की किताबे===
===आइम्मा के बारे मे सुन्नीयो की किताबे===
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इमामों और उनके फ़ज़ाइलो के बारे में सुन्नी विद्वानों की निम्नलिखित किताबे उल्लेखनीय है:
इमामों और उनके फ़ज़ाइलो के बारे में सुन्नी विद्वानों की निम्नलिखित किताबे उल्लेखनीय है:


# '''[[मतालिब अस्सऊल फ़ी मनाक़िबे आले रसूलः]]''' [[मुहम्मद बिन तल्हा शाफेई]] ने इस किताब को अरबी भाषा मे 12 अध्याय पर आधारित 12 इमामो की जीवनी का उल्लेख किया है।<ref>तबातबाई, अहलुलबैत अलैहेमुस्सलाम फ़िल मकतबतिल अरबिया, मोअस्सेसा ए आले-अलबैत, पेज 481-483</ref>
# '''मतालिब अस्सऊल फ़ी मनाक़िबे आले रसूल''' मुहम्मद बिन तल्हा शाफेई ने इस किताब को अरबी भाषा मे 12 अध्याय पर आधारित 12 इमामो की जीवनी का उल्लेख किया है।<ref>तबातबाई, अहलुलबैत अलैहेमुस्सलाम फ़िल मकतबतिल अरबिया, मोअस्सेसा ए आले-अलबैत, पेज 481-483</ref>
# '''[[तज़्केरतुल ख़वास मिनल आइम्मते फ़ी ज़िक्रे ख़साएसिल आइम्माः]]''' हनफी संप्रदाय के विद्वान और इतिहासकार युसुफ बिन कज़ाऊग़ली प्रसिद्ध [[सिब्ते बिन जोज़ी]] ने बारह इमामो की जीवनी और उनके फज़ाइल को 12 अध्याय मे ज़िक्र किया है।<ref>इब्ने जोज़ी, तज़्केरतुल ख़वास, पेज 102-103</ref>  
# '''तज़्केरतुल ख़वास मिनल आइम्मते फ़ी ज़िक्रे ख़साएसिल आइम्मा''' हनफी संप्रदाय के विद्वान और इतिहासकार युसुफ बिन कज़ाऊग़ली प्रसिद्ध [[सिब्ते बिन जोज़ी]] ने बारह इमामो की जीवनी और उनके फज़ाइल को 12 अध्याय मे ज़िक्र किया है।<ref>इब्ने जोज़ी, तज़्केरतुल ख़वास, पेज 102-103</ref>  
# '''[[अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा फ़ी मारेफ़तिल आइम्माः]]''' नवी शताब्दी के सुन्नी विद्वान [[इब्ने सब्बाग़ मालेकी]] (मृत्यु 855 हिजरी) ने बारह इमामो की जीवनी और फ़ज़ाइल का उल्लेख किया है इस किताब से शिया और सुन्नी विद्वानो ने बहुत सारे हवाले बयान किए है।<ref>इब्ने सब्बाग़, अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा, दार उल हदीस, भाग 1, पेज 6 और 683-684</ref>  
# '''अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा फ़ी मारेफ़तिल आइम्मा''' नवी शताब्दी के सुन्नी विद्वान [[इब्ने सब्बाग़ मालेकी]] (मृत्यु 855 हिजरी) ने बारह इमामो की जीवनी और फ़ज़ाइल का उल्लेख किया है इस किताब से शिया और सुन्नी विद्वानो ने बहुत सारे हवाले बयान किए है।<ref>इब्ने सब्बाग़, अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा, दार उल हदीस, भाग 1, पेज 6 और 683-684</ref>  
# '''[[अल आइम्मतिल इस्ना अशर या अश्शज़ारातुज़ ज़हबियाः]]''' दमिश्क के रहने वाले हनफ़ी संप्रदाय के सुन्नी विद्वान [[शम्सुद्दीन इब्ने तूलून]] (मृत्यु 953 हिजरी) द्वारा लिखित।<ref>इब्ने सब्बाग़, अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा, दार उल हदीस, भाग 1, मुकद्देमा मोहक़्क़िक़, पेज 24</ref>  
# '''अल आइम्मतिल इस्ना अशर या अश्शज़ारातुज़ ज़हबिया''' दमिश्क के रहने वाले हनफ़ी संप्रदाय के सुन्नी विद्वान [[शम्सुद्दीन इब्ने तूलून]] (मृत्यु 953 हिजरी) द्वारा लिखित।<ref>इब्ने सब्बाग़, अल फ़ुसूलुल मोहिम्मा, दार उल हदीस, भाग 1, मुकद्देमा मोहक़्क़िक़, पेज 24</ref>  
# '''[[अलइत्तेहाफ बेहुब्बिल अशराफ़ः]]''' मिस्र के रहने वाले शाफ़ेई संप्रदाय के अनुयायी सुन्नी विद्वान [[जमालुद्दीन शबरावी]] (मृत्यु 1092-1172 हिजरी) द्वारा पैगंबर (स.) के परिवार और आइम्मा (अ.) की जीवनी पर आधारित है।<ref>तबातबाई, अहलुलबैत अलैहेमुस्सलाम फ़िल मकतबतिल अरबिया, मोअस्सेसा ए आले-अलबैत, पेज 235</ref>  
# '''अलइत्तेहाफ बेहुब्बिल अशराफ़''' मिस्र के रहने वाले शाफ़ेई संप्रदाय के अनुयायी सुन्नी विद्वान जमालुद्दीन शबरावी (मृत्यु 1092-1172 हिजरी) द्वारा पैगंबर (स) के परिवार और आइम्मा (अ) की जीवनी पर आधारित है।<ref>तबातबाई, अहलुलबैत अलैहेमुस्सलाम फ़िल मकतबतिल अरबिया, मोअस्सेसा ए आले-अलबैत, पेज 235</ref>  
# '''[[नूरुल अबसार फ़ी मनाक़िबे आले बैतिन नबी अल मुख्तारः']]'' 13 शताब्दी के सुन्नी विद्वान [[मोमिन शबलंजी]] ने अपनी किताब मे पैगंबर (स.), शियो के इमाम और अहले सुन्नत के खलीफ़ाओ की जीवनी का उल्लेख किया है।<ref>शबरावी, अल इत्तेहाफ बेहुब्बिल अशराफ़, पेज 5-7</ref>   
# '''नूरुल अबसार फ़ी मनाक़िबे आले बैतिन नबी अल मुख्तार'' 13 शताब्दी के सुन्नी विद्वान [[मोमिन शबलंजी]] ने अपनी किताब मे पैगंबर (स.), शियो के इमाम और अहले सुन्नत के खलीफ़ाओ की जीवनी का उल्लेख किया है।<ref>शबरावी, अल इत्तेहाफ बेहुब्बिल अशराफ़, पेज 5-7</ref>   
# '''[[यनाबी उल मवद्दा लेज़विल क़ुर्बाः]]''' अहले-बैत पैगंबर (स.) की जीवनी, फ़ज़ाइल से विशिष्ट किताब हनफी संप्रदाय के अनुयायी सुन्नी विद्वान [[सुलेमान बिन इब्राहीम कंदूज़ी]] (मृत्यु 1294 हिजरी) द्वारा लिखित।<ref>शाह मुहम्मदी, अली वा शुकूह ग़दीरे ख़ुम, पेज 45</ref>
# '''यनाबी उल मवद्दा लेज़विल क़ुर्बा''' अहले-बैत पैगंबर (स) की जीवनी, फ़ज़ाइल से विशिष्ट किताब हनफी संप्रदाय के अनुयायी सुन्नी विद्वान सुलेमान बिन इब्राहीम कंदूज़ी (मृत्यु 1294 हिजरी) द्वारा लिखित।<ref>शाह मुहम्मदी, अली वा शुकूह ग़दीरे ख़ुम, पेज 45</ref>


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