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"सहीफ़ा सज्जादिया की तेईस्वीं दुआ": अवतरणों में अंतर

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== व्याख्याएँ ==
== व्याख्याएँ ==
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी इक्कीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। [[हुसैन अंसारियान]] ने [[दयारे आशेक़ान]]<ref>अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 455-472</ref> मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह [[मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही]] की किताब [[शुहूद व शनाख़त]]<ref>ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 372-86</ref> [[सय्यद अहमद फ़रहि]] की किताब [[शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया]]<ref>फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 383-390</ref> का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी इक्कीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। [[हुसैन अंसारियान]] ने [[दयारे आशेक़ान]]<ref>अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 455-472</ref> मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब [[शुहूद व शनाख़त]]<ref>ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 372-86</ref> सय्यद अहमद फ़रही की किताब [[शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया]]<ref>फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 383-390</ref> का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।


इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की तेईस्वीं दुआ [[सय्यद अली ख़ान मदनी]] की किताब [[रियाज़ उस-सालेकीन]],<ref>मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 5-36</ref> [[मुहम्मद जवाद मुग़्निया]] की किताब [[फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया]],<ref>मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 295-308</ref> [[मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी]] की किताब [[रियाज़ उल-आरेफ़ीन]]<ref>दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 301-310</ref> [[सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह]]<ref>फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 599-615</ref> की किताब [[आफ़ाक़ अल-रूह]] मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को [[फ़ैज काशानी]] की किताब [[तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया]]<ref>फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 53-56</ref> और [[इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी]] की किताब [[शरह सहीफ़ा सज्जादिया]] मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।<ref>जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 132-135</ref>
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की तेईस्वीं दुआ [[सय्यद अली ख़ान मदनी]] की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,<ref>मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 5-36</ref> [[मुहम्मद जवाद मुग़्निया]] की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,<ref>मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 295-308</ref> [[मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी]] की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन<ref>दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 301-310</ref> [[सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह]]<ref>फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 599-615</ref> की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को [[फ़ैज काशानी]] की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया<ref>फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 53-56</ref> और [[इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी]] की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।<ref>जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 132-135</ref>


== पाठ और अनुवाद ==
== पाठ और अनुवाद ==
confirmed, movedable
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