"सय्यद हसन नसरुल्लाह": अवतरणों में अंतर
→ईरान के साथ संबंध
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सय्यद हसन नसरुल्लाह को 1360 शम्सी में हिस्बिया और शरिया मामलों को संभालने के लिए [[इमाम खुमैनी]] से अनुमति (इज़ाजा) मिली थी[34] उसके बाद, उन्होंने कई बार ईरान की यात्रा की है।[35] उन्होंने विभिन्न बैठकों में भाषण दिये हैं और ईरानी अधिकारियों के साथ बैठकें कीं हैं। उनके कुछ ईरानी सैन्य कमांडरों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। [36] उन्होंने अपने भाषणों और बैठकों में [[हिज़बुल्लाह]] के लिए ईरान के समर्थन की बात बार-बार कही है। [37] वह अपने भाषणों में ईरान का बचाव करते हैं और इसे वफादारी के कानून के आधार पर एक कर्तव्य मानते हैं। [38] | सय्यद हसन नसरुल्लाह को 1360 शम्सी में हिस्बिया और शरिया मामलों को संभालने के लिए [[इमाम खुमैनी]] से अनुमति (इज़ाजा) मिली थी[34] उसके बाद, उन्होंने कई बार ईरान की यात्रा की है।[35] उन्होंने विभिन्न बैठकों में भाषण दिये हैं और ईरानी अधिकारियों के साथ बैठकें कीं हैं। उनके कुछ ईरानी सैन्य कमांडरों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। [36] उन्होंने अपने भाषणों और बैठकों में [[हिज़बुल्लाह]] के लिए ईरान के समर्थन की बात बार-बार कही है। [37] वह अपने भाषणों में ईरान का बचाव करते हैं और इसे वफादारी के कानून के आधार पर एक कर्तव्य मानते हैं। [38] | ||
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