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"शियो के इमाम": अवतरणों में अंतर

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===हदीसे जाबिर===
===हदीसे जाबिर===


'''विस्तृत लेखः हदीसे जाबिर'''
:'''विस्तृत लेखः हदीसे जाबिर'''
[[जाबिर इब्ने अब्दुलाह अंसारी]] ने आय ए विलायत «<ref>सूरा ए निसा, आयत 59</ref>'''يا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللهه وَ أَطِيعُوا الرَّسُولَ وَ أُولِي الْأَمْرِ مِنْكُمْ»'''  (या अय्योहल लज़ीना आमानू अतीउल लाहा वा अती उर रसूला वा उलिल उम्र मिनकुम) के आने के पश्चात उलिल अम्र के अर्थ से संबंधिक पैगंबर (स) से सवाल किया। पैगंबर (स) ने जवाब मे फ़रमायाः "ये मेरे बाद मेरे उत्तराधिकारी और मुसलमानों के इमाम हैं, जिनमें से पहले [[अली बिन अबी तालिब]] हैं, और उनके बाद क्रमशः [[हसन]], [[इमाम हुसैन अलैहिस सलाम|हुसैन]], [[अली बिन हुसैन]] और [[मुहम्मद बिन अली]], [[जाफ़र बिन मुहम्मद]], [[मूसा बिन जाफ़र]], [[अली बिन मूसा]], [[मुहम्मद बिन अली]], [[अली बिन मुहम्मद]], [[हसन बिन अली]] और उनके बाद उनका बेटा मेरा हम नाम और मेरी हम उपाधि है।<ref>ख़ज़्ज़ाज़े राज़ी, किफ़ाय तुल असर, 1401 हिजरी, पेज 53-55; सुदूक, कमालुद्दीन, 1395 शम्सी, भाग 1, पेज 253-254</ref>   
[[जाबिर इब्ने अब्दुलाह अंसारी]] ने आय ए विलायत «<ref>सूरा ए निसा, आयत 59</ref>'''يا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللهه وَ أَطِيعُوا الرَّسُولَ وَ أُولِي الْأَمْرِ مِنْكُمْ»'''  (या अय्योहल लज़ीना आमानू अतीउल लाहा वा अती उर रसूला वा उलिल उम्र मिनकुम) के आने के पश्चात उलिल अम्र के अर्थ से संबंधिक पैगंबर (स) से सवाल किया। पैगंबर (स) ने जवाब मे फ़रमायाः "ये मेरे बाद मेरे उत्तराधिकारी और मुसलमानों के इमाम हैं, जिनमें से पहले [[अली बिन अबी तालिब]] हैं, और उनके बाद क्रमशः [[हसन]], [[इमाम हुसैन अलैहिस सलाम|हुसैन]], [[अली बिन हुसैन]] और [[मुहम्मद बिन अली]], [[जाफ़र बिन मुहम्मद]], [[मूसा बिन जाफ़र]], [[अली बिन मूसा]], [[मुहम्मद बिन अली]], [[अली बिन मुहम्मद]], [[हसन बिन अली]] और उनके बाद उनका बेटा मेरा हम नाम और मेरी हम उपाधि है।<ref>ख़ज़्ज़ाज़े राज़ी, किफ़ाय तुल असर, 1401 हिजरी, पेज 53-55; सुदूक, कमालुद्दीन, 1395 शम्सी, भाग 1, पेज 253-254</ref>   


===हदीसे ख़ुल्फ़ाए इस्ना अशर===
===हदीसे ख़ुल्फ़ाए इस्ना अशर===


'''विस्तृत लेखः हदीसे ख़ुल्फ़ाए इस्ना अशर'''
:'''विस्तृत लेखः हदीसे ख़ुल्फ़ाए इसना अशर'''
[[चित्र:قطعه خوشنویسی از حسین زرین‌قلم.jpg|अंगूठाकार|खुश लेख]]
[[चित्र:قطعه خوشنویسی از حسین زرین‌قلم.jpg|अंगूठाकार|खुश लेख]]
अहले सुन्नत से एक रिवायत आई है जिसमे पैगंबर के खलीफ़ाओ की संख्या 12 और उनकी कुछ विशेषताओ जैसे उनका क़ुरैशी होने का वर्णन हुआ है; [[जाबिर बिन सुमरा]] ने पैगंबर से रिवायत की है "यह धर्म हमेशा पुनरुत्थान के दिन तक बाकी रहेगा और जब तक आप पर बारह खलीफा नहीं होंगे। ये सभी खलीफा कुरैशी के हैं।"<ref>देखे बुखारी, सहीए बुख़ारी, भाग 8, पेज 127; मुस्लिम नेशापुरी, सहीए मुस्लिम, दार उल फ़िक्र, भाग 6, पेज 3-4; अहमद बिन हम्बल, मुस्नदे अहमद, दार ए सादिर, भाग 5, पेज 90, 93, 98, 99, 100 और 106; तिरमिज़ी, सुन्न तिरमिज़ी, भाग 3, पेज 340; सजिस्तानी, सन्न इब्ने दाऊद, भाग 2, पेज 309</ref>  
अहले सुन्नत से एक रिवायत आई है जिसमे पैगंबर के खलीफ़ाओ की संख्या 12 और उनकी कुछ विशेषताओ जैसे उनका क़ुरैशी होने का वर्णन हुआ है; [[जाबिर बिन सुमरा]] ने पैगंबर से रिवायत की है "यह धर्म हमेशा पुनरुत्थान के दिन तक बाकी रहेगा और जब तक आप पर बारह खलीफा नहीं होंगे। ये सभी खलीफा कुरैशी के हैं।"<ref>देखे बुखारी, सहीए बुख़ारी, भाग 8, पेज 127; मुस्लिम नेशापुरी, सहीए मुस्लिम, दार उल फ़िक्र, भाग 6, पेज 3-4; अहमद बिन हम्बल, मुस्नदे अहमद, दार ए सादिर, भाग 5, पेज 90, 93, 98, 99, 100 और 106; तिरमिज़ी, सुन्न तिरमिज़ी, भाग 3, पेज 340; सजिस्तानी, सन्न इब्ने दाऊद, भाग 2, पेज 309</ref>  
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