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"अमीरुल मोमिनीन (उपनाम)": अवतरणों में अंतर

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इस संबंध में, [[शिया हदीसों]] का उल्लेख करते हैं जिन्हें शियों और सुन्नियों के माध्यम से वर्णित किया गया है। उम्मे सलमा<ref>शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृ.48।</ref> और अनस इब्ने मलिक के एक कथन के अनुसार, पैगंबर ने अपनी दो पत्नियों के साथ बातचीत में अली इब्ने अबी तालिब का अमीरुल मोमिनीन के रूप में उल्लेख किया।<ref>इब्ने असाकर, तारीख़े मदीन ए दमिश्क़, 1425 एएच, खंड 42, पीपी 303 और 386; शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृ.48; अबू नईम इस्फ़हानी, हिलयतुल-औवलिया, 1407 एएच, खंड 1, पृ.63।</ref> और सुन्नी विद्वानों के बीच [[इब्ने मर्दवैह इस्फ़हानी]] ने अपनी पुस्तक [[मनाक़िब]] में दी गई कई हदीसों के अनुसार, पैगंबर (स.अ.व) ने इमाम अली (अ.स.) को कई बार अमीरुल मोमिनीन की उपाधि से वर्णित किया है। इनमें से एक हदीस में, यह कहा गया है कि जिबरईल (अ.स.) ने ईश्वर के दूत (स.अ.व) की उपस्थिति में अली (अ.स.) को अमीरुल मोमिनीन कह कर बुलाया।<ref>इब्ने मर्दुवैह, मनाक़िब, 2013, पीपी. 62-64।</ref>
इस संबंध में, [[शिया हदीसों]] का उल्लेख करते हैं जिन्हें शियों और सुन्नियों के माध्यम से वर्णित किया गया है। उम्मे सलमा<ref>शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृ.48।</ref> और अनस इब्ने मलिक के एक कथन के अनुसार, पैगंबर ने अपनी दो पत्नियों के साथ बातचीत में अली इब्ने अबी तालिब का अमीरुल मोमिनीन के रूप में उल्लेख किया।<ref>इब्ने असाकर, तारीख़े मदीन ए दमिश्क़, 1425 एएच, खंड 42, पीपी 303 और 386; शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृ.48; अबू नईम इस्फ़हानी, हिलयतुल-औवलिया, 1407 एएच, खंड 1, पृ.63।</ref> और सुन्नी विद्वानों के बीच [[इब्ने मर्दवैह इस्फ़हानी]] ने अपनी पुस्तक [[मनाक़िब]] में दी गई कई हदीसों के अनुसार, पैगंबर (स.अ.व) ने इमाम अली (अ.स.) को कई बार अमीरुल मोमिनीन की उपाधि से वर्णित किया है। इनमें से एक हदीस में, यह कहा गया है कि जिबरईल (अ.स.) ने ईश्वर के दूत (स.अ.व) की उपस्थिति में अली (अ.स.) को अमीरुल मोमिनीन कह कर बुलाया।<ref>इब्ने मर्दुवैह, मनाक़िब, 2013, पीपी. 62-64।</ref>


शिया हदीसों में यह भी कहा गया है कि ग़दीर की घटना के दौरान, [[इस्लाम]] के पैगंबर (स) ने अली (अ.स.) को अपने उत्तराधिकारी और सभी मुसलमानों के रहबर के रूप में पेश किया और सभी को अली (अ) को "अमीरुल-मोमिनीन" की उपाधि से बधाई देने के लिए कहा। इस आधार पर, पैगंबर के अनुरोध के बाद, मुसलमानों ने समूहों में अली के तम्बू में प्रवेश किया और उन्हें उसी तरह से बधाई दी जैसे पैगंबर ने आदेश दिया था।<ref>शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृ.176।</ref> एक दूसरी हदीस के अनुसार पैग़ंबर ने सात लोगों से जिन में [[अबू बक्र]], [[उमर]], [[तल्हा]] और [[ज़ुबैर]] सम्मिलित थे अली (अ) को अमीरुल मोमिनीन कह कर सलाम करने के लिये कहा और उन्होने पैगंबर के अनुरोध को पूरा किया<ref> शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृ.48।</ref>
शिया हदीसों में यह भी कहा गया है कि ग़दीर की घटना के दौरान, [[इस्लाम]] के पैगंबर (स) ने अली (अ.स.) को अपने उत्तराधिकारी और सभी मुसलमानों के रहबर के रूप में पेश किया और सभी को अली (अ) को "अमीरुल-मोमिनीन" की उपाधि से बधाई देने के लिए कहा। इस आधार पर, पैगंबर के अनुरोध के बाद, मुसलमानों ने समूहों में अली के तम्बू में प्रवेश किया और उन्हें उसी तरह से बधाई दी जैसे पैगंबर ने आदेश दिया था।<ref>शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृ.176।</ref> एक दूसरी हदीस के अनुसार पैग़ंबर ने सात लोगों से जिन में [[अबू बक्र]], [[उमर]], [[तल्हा]] और [[ज़ुबैर]] सम्मिलित थे अली (अ) को अमीरुल मोमिनीन कह कर सलाम करने के लिये कहा और उन्होने पैगंबर के अनुरोध को पूरा किया।<ref> शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृ.48।</ref>


इमाम अली (अ.स.) के लिए अमीरुल मोमिनीन की उपाधि को साबित करने में, शियों ने [[उमर इब्ने ख़त्ताब]] के एक वाक्य का भी हवाला दिया है, जिसके अनुसार, [[ग़दीर के दिन]], उन्होंने अली को सभी ईमान वाले पुरुषों और महिलाओं का [[मौला]] (स्वामी) कहा। [10] कुछ लोगों के अनुसार, इस संबोधन में मोमिन शब्द के प्रयोग का अर्थ इमाम अली (अ.स.) के लिए अमीरुल मोमिनीन की उपाधि को स्वीकार करना है। [11]
इमाम अली (अ.स.) के लिए अमीरुल मोमिनीन की उपाधि को साबित करने में, शियों ने [[उमर इब्ने ख़त्ताब]] के एक वाक्य का भी हवाला दिया है, जिसके अनुसार, [[ग़दीर के दिन]], उन्होंने अली को सभी ईमान वाले पुरुषों और महिलाओं का [[मौला]] (स्वामी) कहा।<ref>بَخٍّ بخٍّ لک یابن ابی‌طالب أصبَحتَ و أمسَیتَ مولای و مولی کلِّ مؤمنٍ و مؤمنَهٍ; या अली आपको मुबारक हो! आप मेरे स्वामी और सभी विश्वास करने वाली महिलाओं और पुरुषों के स्वामी बन गए हैं (शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृष्ठ 177)।</ref> कुछ लोगों के अनुसार, इस संबोधन में मोमिन शब्द के प्रयोग का अर्थ इमाम अली (अ.स.) के लिए अमीरुल मोमिनीन की उपाधि को स्वीकार करना है। [11]




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# بَخٍّ بخٍّ لک یابن ابی‌طالب أصبَحتَ و أمسَیتَ مولای و مولی کلِّ مؤمنٍ و مؤمنَهٍ; या अली आपको मुबारक हो! आप मेरे स्वामी और सभी विश्वास करने वाली महिलाओं और पुरुषों के स्वामी बन गए हैं (शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृष्ठ 177)।
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# मुनतज़ेरी मोक़द्दम, "बररसी कारबुर्दहाए लक़बे अमीरुल मोमिनीन दर बिस्तरे तारीख़े इस्लाम", पृष्ठ 136।
# मुनतज़ेरी मोक़द्दम, "बररसी कारबुर्दहाए लक़बे अमीरुल मोमिनीन दर बिस्तरे तारीख़े इस्लाम", पृष्ठ 136।
# इब्ने ख़लदून, दीवान अल-मुबतदा वल-ख़बर, 1408 एएच, खंड 1, पृष्ठ 283।
# इब्ने ख़लदून, दीवान अल-मुबतदा वल-ख़बर, 1408 एएच, खंड 1, पृष्ठ 283।
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