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"इमाम अली और हज़रत फ़ातिमा की शादी": अवतरणों में अंतर

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रिवायतों में हज़रत फ़ातिमा (स.) का हक़ मेहर साढ़े बारह औंस, [20] 500 दिरहम, 480 दिरहम और 400 मिसक़ाल चांदी [21] का उल्लेख है। शिया मोहद्दिस [[शहर इब्ने आशोब]] के अनुसार हक़ मेहर 500 दिरहम है। [22] जो मेहर शिया समुदाय मे मशहूर है उसको मेहर उस सुन्ना कहते है जोकि 500 दिरहम [23] निर्धारित हुआ था। जोकि लगभग 1.5 किलोग्राम शुद्ध चांदी के बराबर होता है। [24]
रिवायतों में हज़रत फ़ातिमा (स.) का हक़ मेहर साढ़े बारह औंस, [20] 500 दिरहम, 480 दिरहम और 400 मिसक़ाल चांदी [21] का उल्लेख है। शिया मोहद्दिस [[शहर इब्ने आशोब]] के अनुसार हक़ मेहर 500 दिरहम है। [22] जो मेहर शिया समुदाय मे मशहूर है उसको मेहर उस सुन्ना कहते है जोकि 500 दिरहम [23] निर्धारित हुआ था। जोकि लगभग 1.5 किलोग्राम शुद्ध चांदी के बराबर होता है। [24]


[[शेख़ तूसी]] की किताब अमाली के अनुसार इमाम अली (अ.) ने अपने कवच को बेच कर हज़रत फ़ातिमा का हक़ मेहर अदा किया। [25] पैंगबर (स.) ने उसमे से कुछ दिरहम [[बिलाल हब्शी]] को देकर कहा इससे मेरी बेटी फ़ातिमा के लिए अच्छी खुशबु अर्थात इत्र खरीद कर लाओ। [26] बाक़ी बची हुई रक़म [[अम्मार यासिर]] और कुछ सहाबा को देकर फ़रमाया इससे घरेलू चीज़े अर्थात दहेज तैयार करो जिन की मेरी बेटी को आवश्यकता होगी।   
[[शेख़ तूसी]] की किताब [[अमाली]] के अनुसार इमाम अली (अ.) ने अपने कवच को बेच कर हज़रत फ़ातिमा का हक़ मेहर अदा किया। [25] पैंगबर (स.) ने उसमे से कुछ दिरहम [[बिलाल हब्शी]] को देकर कहा इससे मेरी बेटी फ़ातिमा के लिए अच्छी खुशबु अर्थात इत्र खरीद कर लाओ। [26] बाक़ी बची हुई रक़म [[अम्मार यासिर]] और कुछ सहाबा को देकर फ़रमाया इससे घरेलू चीज़े अर्थात दहेज तैयार करो जिन की मेरी बेटी को आवश्यकता होगी।   


हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.) के दहेज के संबंध मे शेख तूसी ने निम्नलिखित चीज़ो का वर्णन अपनी किताब आमाली मे किया है।
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.) के दहेज के संबंध मे शेख तूसी ने निम्नलिखित चीज़ो का वर्णन अपनी किताब आमाली मे किया है।
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