गुमनाम सदस्य
"शिया धर्म के सिद्धांत": अवतरणों में अंतर
→सामान्य सिद्धांत
imported>E.musavi (→इमामत) |
imported>E.musavi |
||
पंक्ति २२: | पंक्ति २२: | ||
==सामान्य सिद्धांत== | ==सामान्य सिद्धांत== | ||
* [[एकेश्वरवाद]]: ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास, उसके एक होने और उसका कोई साथी न होने का अक़ीदा।<ref>काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसूलुहा, इमाम अली (अ), पृष्ठ 219।</ref> | * [[एकेश्वरवाद]]: ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास, उसके एक होने और उसका कोई साथी न होने का अक़ीदा।<ref>काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसूलुहा, इमाम अली (अ), पृष्ठ 219।</ref> | ||
* [[नवूबत]]: इस बात का विश्वास रखना कि ईश्वर ने कुछ लोगों को पैग़बर (दूत) बना कर इंसान के मार्गदर्शन के लिये भेजा है।<ref>काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसूलुहा, इमाम अली फाउंडेशन, पृष्ठ 220।</ref> पहले पैग़बर [[हज़रत आदम (अ)]]<ref>मजलिसी, बेहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 11, पृष्ठ 32.</ref> और अंतिम [[ | * [[नवूबत]]: इस बात का विश्वास रखना कि ईश्वर ने कुछ लोगों को पैग़बर (दूत) बना कर इंसान के मार्गदर्शन के लिये भेजा है।<ref>काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसूलुहा, इमाम अली फाउंडेशन, पृष्ठ 220।</ref> पहले पैग़बर [[हज़रत आदम (अ)]]<ref>मजलिसी, बेहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 11, पृष्ठ 32.</ref> और अंतिम पैग़बर [[हज़रत मुहम्मद (स)]]<ref>सूरह अहज़ाब, आयत 40.</ref> हैं। | ||
* [[क़यामत]]: यह विश्वास कि मनुष्य मृत्यु के बाद फिर से जीवित होगा और उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब लिया जाएगा।<ref>लाहिजी, गौहरे मुराद, 1383, पृष्ठ 595; काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसूलुहा, इमाम अली (अ), पी. 222</ref> | * [[क़यामत]]: यह विश्वास कि मनुष्य मृत्यु के बाद फिर से जीवित होगा और उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब लिया जाएगा।<ref>लाहिजी, गौहरे मुराद, 1383, पृष्ठ 595; काशिफ अल-ग़ेता, असल अल-शिया व उसूलुहा, इमाम अली (अ), पी. 222</ref> | ||