गुमनाम सदस्य
"हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर
→फ़ज़ाइल और विशेषताएँ
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[[चित्र:ضریح حضرت عباس-نصب ۱۳۹۵ش.jpg|300px|अंगूठाकार|हज़रत अब्बास (अ) की ज़रीह जो 2015 में स्थापित की गई]] | |||
कुछ लोग हज़रत अब्बास (अ), [[इमाम अली (अ)]], [[इमाम हसन मुज्तबा अलैहिस सलाम|इमाम हसन (अ)]] और इमाम हुसैन (अ)<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-क़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 11-12; कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 107,108,123 और 203; मूसवी, मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 130</ref> के साथ रहना और उनके साथ रहना सबसे महत्वपूर्ण फ़ज़ीलतो और विशेषताओं में से एक मानते हैं।<ref>मूसावी मुकर्रम, अल-अब्बास, 1427 हिजरी, पेज 158</ref> असरार अल-शोहादा किताब से मासूमीन (अ) की एक हदीस को वर्णित करते हुए अब्दुर रज़्ज़ाक़ ने अपनी किताब अल-अब्बास मे हज़रत अब्बास (अ) ने इनसे ज्ञान प्राप्त किया है।<ref>अल-नक़दी, जाफ़र, अल-अनवार उल अलावीया</ref> जाफ़र नक़दी उनके बारे में लिखते हैं, "वो ज्ञान, पवित्रता, दुआ और इबादत के मामले में [[अहले-बैत]] के बुजुर्गों में से एक हैं। कुछ का मानना है कि हालांकि वह अब्बास हैं [[इस्मत]] के पद पर नहीं, बल्कि वह उनके सबसे करीबी व्यक्ति हैं।<ref>देखेः कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 123; बहिश्ती, क़हरमान अलक़मा, 1374 शम्सी, पेज 103-107</ref> हज़रत अब्बास (अ) ने पांच मासूम इमाम देखे हैं। इमाम अली (अ), [[इमाम हसन मुज्तबा अलैहिस सलाम|इमाम हसन (अ)]], [[इमाम हुसैन अलैहिस सलाम|इमाम हुसैन (अ)]], [[इमाम सज्जाद (अ)]] और [[इमाम मुहम्मद बाक़िर अ|इमाम बाक़़िर (अ)]] जो [[कर्बला की घटना]] में मौजूद थे। वह इस गुण के लिए प्रसिद्ध हैं।<ref>अल्लामा मजलिसी, बिहार उल अनवार, भाग 46, पेज 212</ref> | कुछ लोग हज़रत अब्बास (अ), [[इमाम अली (अ)]], [[इमाम हसन मुज्तबा अलैहिस सलाम|इमाम हसन (अ)]] और इमाम हुसैन (अ)<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-क़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 11-12; कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 107,108,123 और 203; मूसवी, मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 130</ref> के साथ रहना और उनके साथ रहना सबसे महत्वपूर्ण फ़ज़ीलतो और विशेषताओं में से एक मानते हैं।<ref>मूसावी मुकर्रम, अल-अब्बास, 1427 हिजरी, पेज 158</ref> असरार अल-शोहादा किताब से मासूमीन (अ) की एक हदीस को वर्णित करते हुए अब्दुर रज़्ज़ाक़ ने अपनी किताब अल-अब्बास मे हज़रत अब्बास (अ) ने इनसे ज्ञान प्राप्त किया है।<ref>अल-नक़दी, जाफ़र, अल-अनवार उल अलावीया</ref> जाफ़र नक़दी उनके बारे में लिखते हैं, "वो ज्ञान, पवित्रता, दुआ और इबादत के मामले में [[अहले-बैत]] के बुजुर्गों में से एक हैं। कुछ का मानना है कि हालांकि वह अब्बास हैं [[इस्मत]] के पद पर नहीं, बल्कि वह उनके सबसे करीबी व्यक्ति हैं।<ref>देखेः कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 123; बहिश्ती, क़हरमान अलक़मा, 1374 शम्सी, पेज 103-107</ref> हज़रत अब्बास (अ) ने पांच मासूम इमाम देखे हैं। इमाम अली (अ), [[इमाम हसन मुज्तबा अलैहिस सलाम|इमाम हसन (अ)]], [[इमाम हुसैन अलैहिस सलाम|इमाम हुसैन (अ)]], [[इमाम सज्जाद (अ)]] और [[इमाम मुहम्मद बाक़िर अ|इमाम बाक़़िर (अ)]] जो [[कर्बला की घटना]] में मौजूद थे। वह इस गुण के लिए प्रसिद्ध हैं।<ref>अल्लामा मजलिसी, बिहार उल अनवार, भाग 46, पेज 212</ref> | ||