गुमनाम सदस्य
"हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर
→हज़रत अब्बास (अ) से मंसूब तस्वीर
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== हज़रत अब्बास (अ) से मंसूब तस्वीर == | == हज़रत अब्बास (अ) से मंसूब तस्वीर == | ||
कुछ स्थानो पर कुछ ऐसी पेंटिग है जो हज़रत अब्बास बिन अली (अ) की तस्वीर से प्रसिद्ध है। इन तस्वीरो का इस्तेमाल धार्मिक प्रतिनिधिमंडलों और तकियों में भी किया जाता है। शिया मराज ए तक़लीद के अनुसार इन तस्वीरो को हज़रत अब्बास (अ) से विशिष्ठ करना आसानी से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इन छवियों को इमामबारगाहो और तकियों में स्थापित करने मे अगर हराम या अपमानजनक कार्य का कारण नहीं बनती है तो कोई शरई समस्या नहीं है, लेकिन उन्होंने इन तस्वीरो से बचने की सिफारिश की है।<ref> | कुछ स्थानो पर कुछ ऐसी पेंटिग है जो हज़रत अब्बास बिन अली (अ) की तस्वीर से प्रसिद्ध है। इन तस्वीरो का इस्तेमाल धार्मिक प्रतिनिधिमंडलों और तकियों में भी किया जाता है। शिया मराज ए तक़लीद के अनुसार इन तस्वीरो को हज़रत अब्बास (अ) से विशिष्ठ करना आसानी से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इन छवियों को इमामबारगाहो और तकियों में स्थापित करने मे अगर हराम या अपमानजनक कार्य का कारण नहीं बनती है तो कोई शरई समस्या नहीं है, लेकिन उन्होंने इन तस्वीरो से बचने की सिफारिश की है।<ref>महमूदी, मसाइले जदीद अज़ दीदगाहे उलोमा वा मराजे, 1388 शम्सी, भाग 4, पेज 105-107</ref> | ||
हाल के वर्षों में, आशूरा घटना पर केंद्रित दो फिल्में बनाई गईं, जिन्हें मुख्तारनामा और रस्ताखीज़ कहा जाता है, मुख्तारनामे में मराज ए तक़लीद की आपत्ति जताने के कारण हज़रत अब्बास (अ) का चेहरा नही दिखाया गया।<ref> | हाल के वर्षों में, आशूरा घटना पर केंद्रित दो फिल्में बनाई गईं, जिन्हें मुख्तारनामा और रस्ताखीज़ कहा जाता है, मुख्तारनामे में मराज ए तक़लीद की आपत्ति जताने के कारण हज़रत अब्बास (अ) का चेहरा नही दिखाया गया।<ref>18 दक़ीक़े अज़ मुख्तारनामा सानसुर शुद, वेबगाहे फ़रारू</ref> और रस्ताखीज़ फ़िल्म को संशोधन के बावजूद रिलीज़ होने की अनुमति नही दी गई।<ref></ref> [नोट 3] | ||
== मोनोग्राफ़ी == | == मोनोग्राफ़ी == |