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"हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर
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== आशूर के दिन हज़रत अब्बास (अ) के रज्ज़ == | == आशूर के दिन हज़रत अब्बास (अ) के रज्ज़ == | ||
आशूर के दिन हज़रत अब्बास (अ) के विभिन्न रज्ज़ | आशूर के दिन हज़रत अब्बास (अ) के विभिन्न रज्ज़<ref>देखेः कल्बासी, ख़साइसे अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 181-188; ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 106-112; उर्दूबादी, मोसूआतुल अल्लामा अल-उर्दाबादी, 1436 हिजरी, भाग 9, पेज 219-220; मुज़फ़्फ़र, मोसूआ बतलिल अलकमी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 175-176</ref> बयान हुए हैः | ||
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| वा बिल हतीमे वल फ़ना अल-मोहर्रमे ||लेयुख़ज़बन्ना अल-यौमा जिस्मी बेज़मी | | वा बिल हतीमे वल फ़ना अल-मोहर्रमे ||लेयुख़ज़बन्ना अल-यौमा जिस्मी बेज़मी | ||
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| दूनल हुसैने ज़िलफ़ख़ारे अल-अक़दमे || इमामो अहलिल फ़ज्ले वत्तकर्रोमे | | दूनल हुसैने ज़िलफ़ख़ारे अल-अक़दमे || इमामो अहलिल फ़ज्ले वत्तकर्रोमे<ref>ख़्वारिज़्मी, मक़तलुल हुसैन (अ), 1374 शम्सी, भाग2, पजे 34; इब्ने आसिम अल-कूफ़ी, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 114; मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 175-176</ref> | ||
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| नफ़्सी ले नफ़्सिल मुस्तफ़ा अत्तोहरे वक़ा || इन्नी अन्ल अब्बासो अग़्दू बिस्सिक़ा | | नफ़्सी ले नफ़्सिल मुस्तफ़ा अत्तोहरे वक़ा || इन्नी अन्ल अब्बासो अग़्दू बिस्सिक़ा | ||
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| वला अखाफ़ुश शरो यौमल मुलतक़ा || वला अख़ाफ़ुश शर्रो यौमल मुलतक़ा | | वला अखाफ़ुश शरो यौमल मुलतक़ा || वला अख़ाफ़ुश शर्रो यौमल मुलतक़ा<ref>क़ुमी, नफ़सुल महमूम, अल-मकतबा अल-हैदरीया, भाग 1, पेज 304</ref> | ||
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| वल्लाहे इन क़ताअतुम यमीनी || इन्नी ओहामी अबादन अन दीनी | | वल्लाहे इन क़ताअतुम यमीनी || इन्नी ओहामी अबादन अन दीनी | ||
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| वा अन इमामिन सादिक अल-यक़ीने || नज्लिल नबीइल ताहिरिल अमीने | | वा अन इमामिन सादिक अल-यक़ीने || नज्लिल नबीइल ताहिरिल अमीने<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 175 कल्बासी, ख़साइसे अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 187; उर्दूबादी, मोसूआतुल अल्लामा अल-उर्दाबादी, 1436 हिजरी, भाग 9, पेज 220; ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 110</ref> | ||
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== शहादत == | == शहादत == | ||
मुहम्मद हसन मुज़फ़्फ़र के अनुसार, अधिकांश इतिहासकारों का मत है कि मुहर्रम की 10 तारीख को हज़रत अब्बास (अ) निश्चित रूप से शहीद हुए है। मुजफ़्फ़र ने मुहर्रम के 7वें और 9वें दिन शहादत के बारे में दो अन्य बातों का उल्लेख किया और उन्हें कमजोर और बहुत दुर्लभ माना है। | मुहम्मद हसन मुज़फ़्फ़र के अनुसार, अधिकांश इतिहासकारों का मत है कि मुहर्रम की 10 तारीख को हज़रत अब्बास (अ) निश्चित रूप से शहीद हुए है। मुजफ़्फ़र ने मुहर्रम के 7वें और 9वें दिन शहादत के बारे में दो अन्य बातों का उल्लेख किया और उन्हें कमजोर और बहुत दुर्लभ माना है।<ref>मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 172</ref> | ||
आशूरा के दिन हज़रत अब्बास (अ) की लड़ाई और वह कैसे शहीद हुए, इसका विभिन्न प्रकार से वर्णन किया गया है। | आशूरा के दिन हज़रत अब्बास (अ) की लड़ाई और वह कैसे शहीद हुए, इसका विभिन्न प्रकार से वर्णन किया गया है।<ref>देखेः ख़्वारिज़्मी, मक़तलुल हुसैन (अ), 1423 हिजरी, भाग 1, पेज 345-358; इब्ने आसिम कूफी, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 84-120; सिब्ते इब्ने जोज़ी, तज़्किरतुल ख़्वास, 1426 हिजरी, भाग 2, पेज 161; तबरसी, आलाम उल वरा, 1417 हिजरी, भाग 1, पजे 457 बग़दादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 73-75</ref> कुछ स्रोतों के अनुसार, हज़रत अब्बास (अ) इमाम के आख़री सहाबी की शहादत तक इमाम हुसैन (अ) और बनी हाशिम कुरूक्षेत्र में नहीं गए थे।<ref>उर्दूबादी, हयात ए अबिल फ़ज़्लिल अबाबस, 1436 हिजरी, पेज 192-194 </ref> | ||
शेख मुफ़ीद के अनुसार, इमाम हुसैन और हज़रत अब्बास बिन अली (अ) एक साथ कुरूक्षेत्र गए थे, लेकिन उमर साद की सेना दोनो के बीच बाधा बन गए। इमाम हुसैन (अ) घायल हो गए और ख़ैमे में लौट आए, और अब्बास (अ) अकेले तब तक लड़े जब तक कि वह गंभीर रूप से घायल नहीं हो गए और युद्ध करने की ताकत समाप्त हो गई। इस बीच ज़ैद बिन वरक़ा हनफ़ी और हुकैम बिन तुफ़ैल सिनबेसी ने उन्हे (हज़रत अब्बास) को मार डाला। | शेख मुफ़ीद के अनुसार, इमाम हुसैन और हज़रत अब्बास बिन अली (अ) एक साथ कुरूक्षेत्र गए थे, लेकिन उमर साद की सेना दोनो के बीच बाधा बन गए। इमाम हुसैन (अ) घायल हो गए और ख़ैमे में लौट आए, और अब्बास (अ) अकेले तब तक लड़े जब तक कि वह गंभीर रूप से घायल नहीं हो गए और युद्ध करने की ताकत समाप्त हो गई। इस बीच ज़ैद बिन वरक़ा हनफ़ी और हुकैम बिन तुफ़ैल सिनबेसी ने उन्हे (हज़रत अब्बास) को मार डाला।<ref>शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 141 हिजरी, भाग 2, पेज 109-110</ref> शेख़ मुफ़ीद ने किसी अन्य विवरण का उल्लेख नहीं किया। हज़रत अब्बास की शहादत का विवरण अबी मखनाफ के मक़त्ल में भी नहीं मिलता।<ref>देखेः अबू मखनफ़, वक़्अतुत तफ, 1433 हिजरी, पेज 245</ref> ग़ैरे मशहूर ज़ियारते नाहीया मे यज़ीद बिन वक्काद और हकीम बिन अल-तुफैल अल-ताई का उल्लेख हजरत अब्बास (अ) के हत्यारों के रूप में किया गया है।<ref>सय्यद इब्ने ताऊस, इक़बाल उल-आमाल, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 574</ref> | ||
कुछ अन्य सूत्रों के अनुसार असहाब और बनी हाशिम के शहीद होने के बाद हज़रत अब्बास (अ) ने ख़ेमो के लिए पानी लाने की योजना बनाई। उन्होने शरिया फ़ुरात की ओर हमला किया और शरिया फ़ुरात के रखवालों के बीच में से खुद को पानी तक पहुंचने में सक्षम रहे। रास्ते में दुश्मन ने आप पर हमला कर दिया। वह खजूर के पेड़ो में दुश्मन के साथ लड़ रहे थे और खेमो की ओर जा रहे थे जब ज़ैद बिन वरक़ा जहनी एक खजूर के पेड़ के पीछे से कूदा और आपके दाहिने हाथ पर वार किया। हज़रत अब्बास (अ) ने बाएं हाथ में तलवार ली और दुश्मन से लड़ते रहे। हकीम बिन तुफ़ैल ताई, जो एक पेड़ के पीछे छिपा हुआ था, ने आपके बाएं हाथ पर वार किया और उसके बाद अब्बास के सिर पर लंबवत प्रहार करके आपको शहीद कर दिया। | कुछ अन्य सूत्रों के अनुसार असहाब और बनी हाशिम के शहीद होने के बाद हज़रत अब्बास (अ) ने ख़ेमो के लिए पानी लाने की योजना बनाई। उन्होने शरिया फ़ुरात की ओर हमला किया और शरिया फ़ुरात के रखवालों के बीच में से खुद को पानी तक पहुंचने में सक्षम रहे। रास्ते में दुश्मन ने आप पर हमला कर दिया। वह खजूर के पेड़ो में दुश्मन के साथ लड़ रहे थे और खेमो की ओर जा रहे थे जब ज़ैद बिन वरक़ा जहनी एक खजूर के पेड़ के पीछे से कूदा और आपके दाहिने हाथ पर वार किया। हज़रत अब्बास (अ) ने बाएं हाथ में तलवार ली और दुश्मन से लड़ते रहे। हकीम बिन तुफ़ैल ताई, जो एक पेड़ के पीछे छिपा हुआ था, ने आपके बाएं हाथ पर वार किया और उसके बाद अब्बास के सिर पर लंबवत प्रहार करके आपको शहीद कर दिया।<ref>देखेः इबने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबि तालिब, 1376 हिजरी, भाग 3 , पेज 256; मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-कमी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 174-17; उर्दूबादी, हयात अबिल फ़ज्लिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 219-220; ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 106-114</ref> | ||
ख़्वारज़मी के अनुसार, जब हज़रत अब्बास (अ) शहीद हुए, तो इमाम हुसैन (अ) अपने भाई के जनाज़े पर आकर फूट-फूट कर रोए और कहा: "अब मेरी कमर टूट गई है और मेरे पास कोई विकल्प नहीं है।" | ख़्वारज़मी के अनुसार, जब हज़रत अब्बास (अ) शहीद हुए, तो इमाम हुसैन (अ) अपने भाई के जनाज़े पर आकर फूट-फूट कर रोए और कहा: "अब मेरी कमर टूट गई है और मेरे पास कोई विकल्प नहीं है।"<ref>ख़्वारिज़मी, मकतालुल हुसैन (अ), 174 शम्सी, भाग 2, पेज 34; मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-कमी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 178; इब्ने आसिम अल-कूफी, अल-फुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 98; ख़ुर्रमयान, अबूल फज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 113</ref> ख़्वारज़मी इसके आधार पर हज़रत अब्बास (अ) को कुरूक्षेत्र में जाने वाला अंतिम व्यक्ति नही मानते।<ref>ख्वारिजमी, मक़तलुल हुसैन (अ), 1374 शम्सी, भाग 2, पेज 34</ref> | ||
== इमाम हुसैन (अ) के सम्मान मे पानी ना पीना == | == इमाम हुसैन (अ) के सम्मान मे पानी ना पीना == | ||
11वीं शताब्दी के विद्वान फख्रुद्दीन तुरैही के अनुसार, अल-मुंतख़ब किताब मे जब हज़रत अब्बास (अ) शरीया ए फ़ुरात पर पहुंचे तो उन्होने पानी चुल्लू मे लेकर पीना चाहा, लेकिन जब पानी चेहरे के करीब लाए तो उन्होंने हुसैन (अ) की प्यास को याद किया और पानी फेक दिया और अपने प्यासे होठों के साथ मशक भरके फ़ुरात से बाहर आ गए। | 11वीं शताब्दी के विद्वान फख्रुद्दीन तुरैही के अनुसार, अल-मुंतख़ब किताब मे जब हज़रत अब्बास (अ) शरीया ए फ़ुरात पर पहुंचे तो उन्होने पानी चुल्लू मे लेकर पीना चाहा, लेकिन जब पानी चेहरे के करीब लाए तो उन्होंने हुसैन (अ) की प्यास को याद किया और पानी फेक दिया और अपने प्यासे होठों के साथ मशक भरके फ़ुरात से बाहर आ गए।<ref>तुरैही, अलमुंतख़ब, 2003 ई, पेज 307</ref> अल्लामा मजलिसी ने भी मुख्य स्रोत के नाम का उल्लेख किए बिना बिहार उल-अनवर में इसी बात का उल्लेख किया है।<ref>मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 45, पेज 41</ref> | ||
उर्दूबादी ने कुछ अशआर और ज़ियारते नाहिया के कुछ हिस्से का विश्लेषण करके यह साबित करने की कोशिश की है कि यह घटना हुई है। | उर्दूबादी ने कुछ अशआर और ज़ियारते नाहिया के कुछ हिस्से का विश्लेषण करके यह साबित करने की कोशिश की है कि यह घटना हुई है।<ref>उर्दूबादी, हयात अबलि फज़्लिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 222-225</ref> शोधकर्ता जोया जहांबख्श ने एक नोट में कहा है कि इस घटना का इतिहास के पुराने स्रोत मे उल्लेख नहीं है। मक़ातिल अल-तालिबयीन के एक पुराने शोकगीत में हैं, जिसमें कहा गया है कि "अबुल फ़ज़ल ने अपनी प्यास को हुसैन (अ) पर नियोछावर कर दिया"। [नोट 1] [91] | ||
== फ़ज़ाइल और विशेषताएँ == | == फ़ज़ाइल और विशेषताएँ == | ||
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== संबंधित लेख == | == संबंधित लेख == | ||
* आशूरा घटना की तारीख | * [[आशूरा घटना की तारीख]] | ||
* | * [[कर्बला की घटना]] | ||
* हज़रत अब्बास (अ) की मुसीबत | * [[हज़रत अब्बास (अ) की मुसीबत]] | ||
==नोट== | |||
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== फ़ुटनोट == | == फ़ुटनोट == | ||
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# आया हिकायते ईसार हज़रत अबुल फज़लिल (अ) रीशा ए तारीखी नादारद, साइट पादगारिस्तान, मुरूर 8 मुर्दाद 1401 शम्सी | # आया हिकायते ईसार हज़रत अबुल फज़लिल (अ) रीशा ए तारीखी नादारद, साइट पादगारिस्तान, मुरूर 8 मुर्दाद 1401 शम्सी | ||
# मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-क़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 11-12; कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 107,108,123 और 203; मूसवी, मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 130 | # मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-क़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 11-12; कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 107,108,123 और 203; मूसवी, मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 130 |