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"हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर

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=== मैं तुम्हारी जंग का गवाह बनूं ===
=== मैं तुम्हारी जंग का गवाह बनूं ===
[[शेख़ मुफ़ीद|शेख मुफ़ीद]] (413 हिजरी), तबरसी (548 हिजरी), इब्ने नेमा (645 हिजरी) और इब्ने हातिम (664 हिजरी) ने नक़ल किया: जब अब्बास बिन अली (अ) ने देखा कि उनके बहुत से लोग शहीद हो गए है तो अपने भाईयो अब्दुल्लाह, जाफ़र और उस्मान से कहा: हे मेरे भाईयो! मैदान में जाओ ताकि मैं तुम्हें देख सकूं कि [तुम अल्लाह के रास्ते मे कैसे शहीद होंगे]; मैंने तुम्हें ख़ुदा और उसके रसूल के लिए नसीहत की, क्योंकि तुम्हारे संतान नहीं है।<ref>शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 109; तबरसी, ऐलाम उल वरा, उल कुतुबुल इस्लामीया, पेज 248; इब्ने नेमा, मसीर उल अहज़ान, 1369 हिजरी, पेज 5; इब्ने हातिम, अल-दुर्रुन नज़ीम, अल-नश्रुल इस्लामी, पेज 556</ref> शायद यही वजह है कि हज़रत अब्बास (अ) ने अपने भाइयों को पहले मैदान में इसलिए भेजा कि वह उन्हें जिहाद के लिए तैयार करने का इनाम और उन लोगों का भी अज्र पाए जो अपने भाई की शहादत के लिए धैर्यवान थे।<ref>उर्दूबादी, मोसूआतुल अल्लामा अल-उर्दूबादी, 1436 हिजरी, भाग 9, पेज 106</ref>   
[[शेख़ मुफ़ीद|शेख मुफ़ीद]] (413 हिजरी), तबरसी (548 हिजरी), इब्ने नेमा (645 हिजरी) और इब्ने हातिम (664 हिजरी) ने नक़ल किया: जब अब्बास बिन अली (अ) ने देखा कि उनके बहुत से लोग शहीद हो गए है तो अपने भाईयो अब्दुल्लाह, जाफ़र और उस्मान से कहा: हे मेरे भाईयो! मैदान में जाओ ताकि मैं तुम्हें देख सकूं कि [तुम अल्लाह के रास्ते मे कैसे शहीद होंगे]; मैंने तुम्हें ख़ुदा और उसके रसूल के लिए नसीहत की, क्योंकि तुम्हारे संतान नहीं है।<ref>शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 109; तबरसी, ऐलाम उल वरा, उल कुतुबुल इस्लामीया, पेज 248; इब्ने नेमा, मसीर उल अहज़ान, 1369 हिजरी, पेज 5; इब्ने हातिम, अल-दुर्रुन नज़ीम, अल-नश्रुल इस्लामी, पेज 556</ref> शायद यही वजह है कि हज़रत अब्बास (अ) ने अपने भाइयों को पहले मैदान में इसलिए भेजा कि वह उन्हें जिहाद के लिए तैयार करने का इनाम और उन लोगों का भी अज्र पाए जो अपने भाई की शहादत के लिए धैर्यवान थे।<ref>उर्दूबादी, मोसूआतुल अल्लामा अल-उर्दूबादी, 1436 हिजरी, भाग 9, पेज 106</ref>  
 
== आशूर के दिन हज़रत अब्बास (अ) के रज्ज़ ==
आशूर के दिन हज़रत अब्बास (अ) के विभिन्न रज्ज़ [75] बयान हुए हैः
अक़्समतो बिल्लाहे अल-आअज़्ज़िल आज़मे      वा बिल हजूने सादेक़न वा ज़मज़मा
वा बिल हतीमे वल फ़ना अल-मोहर्रमे          लेयुख़ज़बन्ना अल-यौमा जिस्मी बेज़मी
दूनल हुसैने ज़िलफ़ख़ारे अल-अक़दमे            इमामो अहलिल फ़ज्ले वत्तकर्रोमे [76]
 
अनुवादः मुझे क़सम है सबसे प्यारे और शानदार खुदा की, और हजून की भी और ज़मज़म के पानी की भी *खुदा के घर की और मस्जिद के इलाक़े की क़सम है कि आज मेरा जिस्म खून से रंगा जाएगा* हुसैन के पैर जो सद्गुणों और सम्मानों के मालिक और अग्रणी हैं।
 
ला अरहबूल मौता इज़ अल-मौते ज़क़ा      हत्ता ओवारी फिल मसालीते लक़ा
नफ़्सी ले नफ़्सिल मुस्तफ़ा अत्तोहरे वक़ा    इन्नी अन्ल अब्बासो अग़्दू बिस्सिक़ा
वला अखाफ़ुश शरो यौमल मुलतक़ा        वला अख़ाफ़ुश शर्रो यौमल मुलतक़ा [77]
 
अनुवादः मैं मौत से नहीं डरता, जब वह बुलाती है, जब तक कि मैं परखे हुए आदमियों के बीच न आ जाऊं और मैं धूल में न समा जाऊं, मेरा जीवन हुसैन के जीवन की ढाल और बलिदान है, जो चुना हुआ और पवित्र है, मैं अब्बास हूं, मै मश्क के साथ आता हूं, और युद्ध के दिन, दुश्मनों की बुराई से कुछ नहीं होता मुझे कोई पछतावा नहीं है।
 
वल्लाहे इन क़ताअतुम यमीनी          इन्नी ओहामी अबादन अन दीनी
वा अन इमामिन सादिक अल-यक़ीने    नज्लिल नबीइल ताहिरिल अमीने [78]
 
अनुवादः मै अल्लाह की कसम खाता हूँ! यद्यपि आपने मेरा दाहिना हाथ काट दिया, मैं अपने धर्म और इमाम का समर्थन करना जारी रखूंगा जो अपनी निश्चितता में ईमानदार हैं और पैगंबर के शुद्ध और वफादार पुत्र हैं।
 
== शहादत ==
मुहम्मद हसन मुज़फ़्फ़र के अनुसार, अधिकांश इतिहासकारों का मत है कि मुहर्रम की 10 तारीख को हज़रत अब्बास (अ) निश्चित रूप से शहीद हुए है। मुजफ़्फ़र ने मुहर्रम के 7वें और 9वें दिन शहादत के बारे में दो अन्य बातों का उल्लेख किया और उन्हें कमजोर और बहुत दुर्लभ माना है। [79]
 
आशूरा के दिन हज़रत अब्बास (अ) की लड़ाई और वह कैसे शहीद हुए, इसका विभिन्न प्रकार से वर्णन किया गया है। [80] कुछ स्रोतों के अनुसार, हज़रत अब्बास (अ) इमाम के आख़री सहाबी की शहादत तक इमाम हुसैन (अ) और बनी हाशिम कुरूक्षेत्र में नहीं गए थे। [81]
 
शेख मुफ़ीद के अनुसार, इमाम हुसैन और हज़रत अब्बास बिन अली (अ) एक साथ कुरूक्षेत्र गए थे, लेकिन उमर साद की सेना दोनो के बीच बाधा बन गए। इमाम हुसैन (अ) घायल हो गए और ख़ैमे में लौट आए, और अब्बास (अ) अकेले तब तक लड़े जब तक कि वह गंभीर रूप से घायल नहीं हो गए और युद्ध करने की ताकत समाप्त हो गई। इस बीच ज़ैद बिन वरक़ा हनफ़ी और हुकैम बिन तुफ़ैल सिनबेसी ने उन्हे (हज़रत अब्बास) को मार डाला। [82] शेख़ मुफ़ीद ने किसी अन्य विवरण का उल्लेख नहीं किया। हज़रत अब्बास की शहादत का विवरण अबी मखनाफ के मक़त्ल में भी नहीं मिलता। [83] ग़ैरे मशहूर ज़ियारते नाहीया मे यज़ीद बिन वक्काद और हकीम बिन अल-तुफैल अल-ताई का उल्लेख हजरत अब्बास (अ) के हत्यारों के रूप में किया गया है। [84]
 
कुछ अन्य सूत्रों के अनुसार असहाब और बनी हाशिम के शहीद होने के बाद हज़रत अब्बास (अ) ने ख़ेमो के लिए पानी लाने की योजना बनाई। उन्होने शरिया फ़ुरात की ओर हमला किया और शरिया फ़ुरात के रखवालों के बीच में से खुद को पानी तक पहुंचने में सक्षम रहे। रास्ते में दुश्मन ने आप पर हमला कर दिया। वह खजूर के पेड़ो में दुश्मन के साथ लड़ रहे थे और खेमो की ओर जा रहे थे  जब ज़ैद बिन वरक़ा जहनी एक खजूर के पेड़ के पीछे से कूदा और आपके दाहिने हाथ पर वार किया। हज़रत अब्बास (अ) ने बाएं हाथ में तलवार ली और दुश्मन से लड़ते रहे। हकीम बिन तुफ़ैल ताई, जो एक पेड़ के पीछे छिपा हुआ था, ने आपके बाएं हाथ पर वार किया और उसके बाद अब्बास के सिर पर लंबवत प्रहार करके आपको शहीद कर दिया। [85]
 
ख़्वारज़मी के अनुसार, जब हज़रत अब्बास (अ) शहीद हुए, तो इमाम हुसैन (अ) अपने भाई के जनाज़े पर आकर फूट-फूट कर रोए और कहा: "अब मेरी कमर टूट गई है और मेरे पास कोई विकल्प नहीं है।" [86] ख़्वारज़मी इसके आधार पर हज़रत अब्बास (अ) को कुरूक्षेत्र में जाने वाला अंतिम व्यक्ति नही मानते। [87]
 
== इमाम हुसैन (अ) के सम्मान मे पानी ना पीना ==
11वीं शताब्दी के विद्वान फख्रुद्दीन तुरैही के अनुसार, अल-मुंतख़ब किताब मे जब हज़रत अब्बास (अ) शरीया ए फ़ुरात पर पहुंचे तो उन्होने पानी चुल्लू मे लेकर पीना चाहा, लेकिन जब पानी चेहरे के करीब लाए तो उन्होंने हुसैन (अ) की प्यास को याद किया और पानी फेक दिया और अपने प्यासे होठों के साथ मशक भरके फ़ुरात से बाहर आ गए। [88] अल्लामा मजलिसी ने भी मुख्य स्रोत के नाम का उल्लेख किए बिना बिहार उल-अनवर में इसी बात का उल्लेख किया है। [89]
 
उर्दूबादी ने कुछ अशआर और ज़ियारते नाहिया के कुछ हिस्से का विश्लेषण करके यह साबित करने की कोशिश की है कि यह घटना हुई है। [90] शोधकर्ता जोया जहांबख्श  ने एक नोट में कहा है कि इस घटना का इतिहास के पुराने स्रोत मे उल्लेख नहीं है। मक़ातिल अल-तालिबयीन के एक पुराने शोकगीत में हैं, जिसमें कहा गया है कि "अबुल फ़ज़ल ने अपनी प्यास को हुसैन (अ) पर नियोछावर कर दिया"। [नोट 1] [91]
 
== फ़ज़ाइल और विशेषताएँ ==
कुछ लोग हज़रत अब्बास (अ), इमाम अली (अ), इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) [92] के साथ रहना और उनके साथ रहना सबसे महत्वपूर्ण फ़ज़ीलतो और विशेषताओं में से एक मानते हैं। [93] असरार अल-शोहादा किताब से मासूमीन (अ) की एक हदीस को वर्णित करते हुए अब्दुर रज़्ज़ाक़ ने अपनी किताब अल-अब्बास मे हज़रत अब्बास (अ) ने इनसे ज्ञान प्राप्त किया है। [93] जाफ़र नक़दी उनके बारे में लिखते हैं, "वो ज्ञान, पवित्रता, दुआ और इबादत के मामले में अहले-बैत के बुजुर्गों में से एक हैं। [94] कुछ का मानना है कि हालांकि वह अब्बास हैं इस्मत के पद पर नहीं, बल्कि वह उनके सबसे करीबी व्यक्ति हैं। [95] हज़रत अब्बास (अ) ने पांच मासूम इमाम देखे हैं। इमाम अली (अ), इमाम हसन (अ), इमाम हुसैन (अ), इमाम सज्जाद (अ) और इमाम बाकिर (अ) जो कर्बला की घटना में मौजूद थे। वह इस गुण के लिए प्रसिद्ध हैं। [96]
 
बाद के लेखकों ने लिखा है कि अब्बास (अ) ने खुद को अपने दो बड़े भाइयों, इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) के बराबर नहीं माना, और वह हमेशा उन्हें अपना इमाम मानते थे और उनके प्रति आज्ञाकारी थे [97] और हमेशा उन दोनों का सम्मान करते थे। वो "यब्ना रसूलुल्लाह", "या सय्यदी" और इसी तरह के अन्य उपनाम से संबोधित करते थे। [98]
 
कल्बासी ने "खसाए सुल अब्बासीया" पुस्तक में इस बात के मोतक़िद है कि हज़रत अब्बास (अ) के पास एक सुखद और सहमत चेहरा था और इसीलिए उन्हें क़मर बानी हाशिम कहा जाता था। [99] हज़रत अब्बास (अ) के हत्यारे के अनुसार, कर्बला मे मैने एक सुंदर आदमी को मार डाला, जिसकी दोनों आँखों के बीच सजदे का निशान था। [100] कुछ रिपोर्टों के अनुसार, उन्हें बनी हाशिम की विशेष शख्सियतों में से एक माना जाता था, जिनके पास एक मजबूत और लंबा शरीर था, इस हद तक कि जब वह घोड़े पर बैठते थे, तो उनके पैर जमीन पर लगते जाते थे। [101]
 
अब्बास (अ) की फ़ज़ीलतो में से एक, जिसकी प्रशंसा मित्रों और शत्रुओं ने समान रूप से की है, और कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता, वह उनका साहस है।[102] लोगों के बीच, आपका यह व्यवहार एक मुहावरा बन गया है। [103]
    




== फ़ुटनोट ==
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# देखेः कल्बासी, ख़साइसे अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 181-188; ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 106-112; उर्दूबादी, मोसूआतुल अल्लामा अल-उर्दाबादी, 1436 हिजरी, भाग 9, पेज 219-220; मुज़फ़्फ़र, मोसूआ बतलिल अलकमी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 175-176
# ख़्वारिज़्मी, मक़तलुल हुसैन (अ), 1374 शम्सी, भाग2, पजे 34; इब्ने आसिम अल-कूफ़ी, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 114; मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 175-176
# क़ुमी, नफ़सुल महमूम, अल-मकतबा अल-हैदरीया, भाग 1, पेज 304
# मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 175 कल्बासी, ख़साइसे अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 187; उर्दूबादी, मोसूआतुल अल्लामा अल-उर्दाबादी, 1436 हिजरी, भाग 9, पेज 220; ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 110
# मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अलक़मी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 172
# देखेः ख़्वारिज़्मी, मक़तलुल हुसैन (अ), 1423 हिजरी, भाग 1, पेज 345-358; इब्ने आसिम कूफी, अल-फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 84-120; सिब्ते इब्ने जोज़ी, तज़्किरतुल ख़्वास, 1426 हिजरी, भाग 2, पेज 161; तबरसी, आलाम उल वरा, 1417 हिजरी, भाग 1, पजे 457 बग़दादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 73-75
# उर्दूबादी, हयात ए अबिल फ़ज़्लिल अबाबस, 1436 हिजरी, पेज 192-194
# शेख मुफ़ीद, अल-इरशाद, 141 हिजरी, भाग 2, पेज 109-110
# देखेः अबू मखनफ़, वक़्अतुत तफ, 1433 हिजरी, पेज 245
# सय्यद इब्ने ताऊस, इक़बाल उल-आमाल, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 574
# देखेः इबने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबि तालिब, 1376 हिजरी, भाग 3 , पेज 256; मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-कमी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 174-17; उर्दूबादी, हयात अबिल फ़ज्लिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 219-220; ख़ुर्रमयान, अबुल फ़ज्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 106-114
# ख़्वारिज़मी, मकतालुल हुसैन (अ), 174 शम्सी, भाग 2, पेज 34; मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-कमी, 1429 हिजरी, भाग 3, पेज 178; इब्ने आसिम अल-कूफी, अल-फुतूह, 1411 हिजरी, भाग 5, पेज 98; ख़ुर्रमयान, अबूल फज़्लिल अब्बास, 1386 शम्सी, पेज 113
# ख्वारिजमी, मक़तलुल हुसैन (अ), 1374 शम्सी, भाग 2, पेज 34
# तुरैही, अलमुंतख़ब, 2003 ई, पेज 307
# मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 45, पेज 41
# उर्दूबादी, हयात अबलि फज़्लिल अब्बास, 1436 हिजरी, पेज 222-225
# आया हिकायते ईसार हज़रत अबुल फज़लिल (अ) रीशा ए तारीखी नादारद, साइट पादगारिस्तान, मुरूर 8 मुर्दाद 1401 शम्सी
# मुज़फ़्फ़र, मोसूआतो बत्लिल अल-क़मी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 11-12; कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 107,108,123 और 203; मूसवी, मुकर्रम, अल-अब्बास (अ), 1427 हिजरी, पेज 130
# मूसावी मुकर्रम, अल-अब्बास, 1427 हिजरी, पेज 158
# अल-नक़दी, जाफ़र, अल-अनवार उल अलावीया
# देखेः कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 123; बहिश्ती, क़हरमान अलक़मा, 1374 शम्सी, पेज 103-107
# अल्लामा मजलिसी, बिहार उल अनवार, भाग 46, पेज 212
# मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अल-कमी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 355-356; महमूदी, माहे बी ग़ुरूब, 1379 शम्सी, पेज 97
# मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अल-कमी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 355-356; बग़दादी, अल-अब्बास, 1433 हिजरी, पेज 71-73
# कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 107-109; मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अल-कमी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 94
# समावी, अब्सार उल ऐन फ़ी अंसारिल हुसैन, भाग 1, पेज 63
# ताअमा, तारीखे मरक़द अल-हुसैन वल अब्बास, 1416 हिजरी, पेज 236; मुज़फ़्फ़र, मोसूअतो बत्लिल अल-कमी, 1429 हिजरी, भाग 2, पेज 94
# कल्बासी, खसाएस उल अब्बासीया, 1387 शम्सी, पेज 109
# ताअमा, तारीखे मरक़द अल-हुसैन वल अब्बास, 1416 हिजरी, पेज 236
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