गुमनाम सदस्य
"इमाम मूसा काज़िम अलैहिस सलाम": अवतरणों में अंतर
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मूसा बिन जाफ़र (अ) का जन्म बनी उमय्या से बनी अब्बास सत्ता के हस्तांतरण के दौरान हुआ था। वह चार साल के थे जब पहला अब्बासी ख़लीफ़ा सत्ता में आया। [[मदीना]] में हुई अबू हनीफा<ref>कुलैनी, अल काफ़ी, खंड 3, पृष्ठ 297, इब्ने शाबा हर्रानी, तोहफ़ अल उक़ूल, पृष्ठ 411-412, मजलिसी, बिहार अल अनवार, खंड 10, पृष्ठ 247।</ref> और अन्य धर्मों के विद्वानों<ref>कुलैनी, अल काफ़ी, खंड 1, पृष्ठ 227, मजलिसी, बिहार अल अनवार, खंड 10, पृष्ठ 244- 245।</ref> के साथ बातचीत, और उनके बचपन के दौरान कुछ इल्मी वार्तालापों के अलावा, इमाम काज़िम (अ) की इमामत से पहले के उनके जीवन के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। | मूसा बिन जाफ़र (अ) का जन्म बनी उमय्या से बनी अब्बास सत्ता के हस्तांतरण के दौरान हुआ था। वह चार साल के थे जब पहला अब्बासी ख़लीफ़ा सत्ता में आया। [[मदीना]] में हुई अबू हनीफा<ref>कुलैनी, अल काफ़ी, खंड 3, पृष्ठ 297, इब्ने शाबा हर्रानी, तोहफ़ अल उक़ूल, पृष्ठ 411-412, मजलिसी, बिहार अल अनवार, खंड 10, पृष्ठ 247।</ref> और अन्य धर्मों के विद्वानों<ref>कुलैनी, अल काफ़ी, खंड 1, पृष्ठ 227, मजलिसी, बिहार अल अनवार, खंड 10, पृष्ठ 244- 245।</ref> के साथ बातचीत, और उनके बचपन के दौरान कुछ इल्मी वार्तालापों के अलावा, इमाम काज़िम (अ) की इमामत से पहले के उनके जीवन के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। | ||
{{Timeline of Imam al-Kazim (s) Life}} | |||
किताब अल मनाक़िब में वर्णित वर्णन के अनुसार, उन्होने सीरिया के एक गाँव में गुमनाम रूप से प्रवेश किया और वहाँ एक भिक्षु के साथ बातचीत की, जिसके कारण वह और उसके साथी मुसलमान हो गए।<ref>इब्ने शहर आशूब, अल मनाक़िब, खंड 4, पृष्ठ 311-312।</ref> इसी तरह से [[हज]] या [[उमरा]] के लिए इमाम की मक्का यात्रा की भी खबरें हैं।<ref>इब्ने शहर आशूब, अल मनाक़िब, खंड 4, पृष्ठ 312-313।</ref> इमाम को अब्बासी खलीफाओं द्वारा कई बार बग़दाद तलब किया गया था। इन मामलों को छोड़कर, इमाम ने अपना अधिकांश जीवन मदीना में बिताया है। | किताब अल मनाक़िब में वर्णित वर्णन के अनुसार, उन्होने सीरिया के एक गाँव में गुमनाम रूप से प्रवेश किया और वहाँ एक भिक्षु के साथ बातचीत की, जिसके कारण वह और उसके साथी मुसलमान हो गए।<ref>इब्ने शहर आशूब, अल मनाक़िब, खंड 4, पृष्ठ 311-312।</ref> इसी तरह से [[हज]] या [[उमरा]] के लिए इमाम की मक्का यात्रा की भी खबरें हैं।<ref>इब्ने शहर आशूब, अल मनाक़िब, खंड 4, पृष्ठ 312-313।</ref> इमाम को अब्बासी खलीफाओं द्वारा कई बार बग़दाद तलब किया गया था। इन मामलों को छोड़कर, इमाम ने अपना अधिकांश जीवन मदीना में बिताया है। | ||
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==इमामत युग== | ==इमामत युग== | ||
148 हिजरी में [[इमाम सादिक (अ)]] की शहादत के बाद मूसा बिन जाफ़र 20 साल की उम्र में इमामत के पद पर पहुंचे।<ref>जाफ़रयान, हयाते फ़िक्री व सयासी इमामाने शिया, पृष्ठ 385।</ref> उनकी इमामत की अवधि अब्बासी खलीफाओं में से चार की खिलाफ़त के साथ मेल खाती है।<ref>तबरसी, आलाम अल वरा, खंड 2, पृष्ठ 6।</ref> उन्होंने अपनी इमामत के लगभग 10 साल [[मंसूर]] (शासनकाल 136-158 हिजरी) की खिलाफ़त में, 11 साल [[महदी अब्बासी]] (शासनकाल 158-169 हिजरी) की खिलाफ़त में, एक साल [[हादी अब्बासी]] (शासनकाल 169-170 हिजरी) की खिलाफ़त में और 13 साल [[हारून]] के खिलाफ़त (शासन काल 170-193 हिजरी) में बिताये।<ref>पीशवाई, सीर ए पीशवायान, पृष्ठ 413।</ref> मूसा बिन जाफ़र की इमामत की अवधि 35 साल थी, और 183 हिजरी में उनकी शहादत के बाद, इमामत उनके बेटे इमाम अली रज़ा की ओर स्थानांतरित हो गई।<ref>जाफ़रयान, हयाते फ़िक्री व सयासी इमामाने शिया, पृष्ठ 379-384।</ref> | 148 हिजरी में [[इमाम सादिक (अ)]] की शहादत के बाद मूसा बिन जाफ़र 20 साल की उम्र में इमामत के पद पर पहुंचे।<ref>जाफ़रयान, हयाते फ़िक्री व सयासी इमामाने शिया, पृष्ठ 385।</ref> उनकी इमामत की अवधि अब्बासी खलीफाओं में से चार की खिलाफ़त के साथ मेल खाती है।<ref>तबरसी, आलाम अल वरा, खंड 2, पृष्ठ 6।</ref> उन्होंने अपनी इमामत के लगभग 10 साल [[मंसूर]] (शासनकाल 136-158 हिजरी) की खिलाफ़त में, 11 साल [[महदी अब्बासी]] (शासनकाल 158-169 हिजरी) की खिलाफ़त में, एक साल [[हादी अब्बासी]] (शासनकाल 169-170 हिजरी) की खिलाफ़त में और 13 साल [[हारून]] के खिलाफ़त (शासन काल 170-193 हिजरी) में बिताये।<ref>पीशवाई, सीर ए पीशवायान, पृष्ठ 413।</ref> मूसा बिन जाफ़र की इमामत की अवधि 35 साल थी, और 183 हिजरी में उनकी शहादत के बाद, इमामत उनके बेटे इमाम अली रज़ा की ओर स्थानांतरित हो गई।<ref>जाफ़रयान, हयाते फ़िक्री व सयासी इमामाने शिया, पृष्ठ 379-384।</ref> | ||
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