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{{Main page/Articles/Selected/Template |pic = نماز عید فطر تهران.jpg |alt = तेहरान मे ईद की नमाज़ |size = 250px |title = नमाज़े ईद |text = ईद की नमाज़ या ईदैन की नमाज़ वह नमाज़ है जो मुसलमान ईद अल-फित्र और ईद अल-अज़्हा के दिन अदा करते हैं। शिया फ़ुक्हा के फतवो के अनुसार, यह नमाज़ इमाम की उपस्थिति के दौरान अनिवार्य (वाजिब) है और इसे जमात में पढ़ा जाना चाहिए। इसी तरह इमाम की ग़ैबत मे ईद की नमाज़ पढ़ना मुस्तहब है हालांकि इसे जमात के साथ पढ़ना या अकेले पढ़ने के बारे में अलग-अलग राय है।

ईद की नमाज़ दो रकअत होती हैं; पहली रकअत में पांच कुनुत पढ़े जाते है और दूसरी रक्अत में चार कुनुत पढ़े जाते है। इसके अलावा, ईद की नमाज़ में दो धर्मउपदेश (ख़ुत्बे) होते हैं जो नमाज़ के बाद दिए जाते हैं। ईद की नमाज़ का समय सूर्योदय से शरई ज़वाल तक होता है। ईद की नमाज़ के कुछ रीति-रिवाज और नियम हैं छत के नीचे नमाज़ न पढ़ना बेहतर है और इस नमाज़ के क़ुनूत में एक विशेष दुआ पढ़ना बेहतर है।

मामून ने इमाम रज़ा (अ) को वली अहद चयनित करने के बाद आपको (अ) ईद अल-फित्र की नमाज़ की इमामत करने का आग्रह किया, लेकिन जब मामून ने जनता द्वारा इमाम रज़ा (अ) का स्वागत देखा, तो उसे डर लगा और उसने इमाम रज़ा (अ) को नमाज़ की इमामत करने से रोक दिया।

ईद की नमाज़ उस नमाज़ को कहा जाता है जो मुसलमान ईद अल-फित्र और ईद अल-अज़्हा के अवसर पर अदा करते हैं। फ़िक़्ही और हदीसी स्रोतों में, इस नमाज़ को सलात अल-ईद के रूप में संदर्भित किया जाता है। ईद की नमाज़ इमाम (अ) की उपस्थिति मे वाजिब है और जमात के साथ पढ़ा जाना चाहिए। हालांकि ग़ैबत के जमाने मे ईद की नमाज़ मुस्तहब है। हालांकि ग़ैबत की अवधि के दौरान इसे जमात में पढ़ना न्यायशास्त्रियों (फ़ुक़्हा) के बीच असहमति का एक बिंदु है। इमाम खुमैनी के फतवे के अनुसार, अगर वली फ़क़ीह या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जिसके पास वली फ़क़ीह की अनुमति हो जो इसकी इमामत करे या रजा के इरादे से पढ़े तो कोई हरज नही है। अन्यथा एहतियाते वाजिब यह है कि जमात के साथ ना पढ़े। ईरान और अन्य इस्लामी देशों के विभिन्न क्षेत्रों में, बड़ी संख्या में नमाजीयो की उपस्थिति के साथ जमात मे ईद की नमाज़ अदा की जाती है। ईरान के बड़े शहरों में वली फ़कीह के प्रतिनिधि इस नमात़ की इमामत करते हैं।