सहीफ़ा सज्जादिया की बाइस्वीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की बाइस्वीं दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयकठिनाई और विपत्ति, ईश्वर पर भरोसा, अच्छे कर्मो के प्रति जुनून और बुरे कर्मो से घृणा
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की बाइस्वीं दुआ (अरबीःالدعاء الثاني والعشرون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की मशहूर दुआओं में से एक है, जो कठिनाई और विपत्ति के समय में पढ़ी जाता है। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) आत्मा की शुद्धि (तहज़ीब नफ़्स) की कठिनाइयों की ओर इशारा करते हुए ईश्वर से दया और प्रचुर जीविका की माँग करते हैं। इस दुआ में ईश्वर के अलावा किसी और पर भरोसा करने के परिणाम और ईर्ष्यालु (हासिद) व्यक्ति की खुसूसीयात भी बयान की गई हैं। इस दुआ मे वाजेबात को अंजाम देने मे ईश्वर की रज़ा और तौफ़ीक़ की मांग, खुशी और गम़ के साथ-साथ दोस्ती और दुश्मनी में संयम पर जोर दिया गया है।

बाइस्वीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की बाइस्वीं दुआ को कठिनाईयो और जटिलता के समय पढ़ने पर जोर दिया गया है। किताब शुहूद व शनाख़्त मे ममदूही किरमानशाही के अनुसार इस दुआ के छंदो से पता चलता है कि इमाम सज्जाद (अ) हर स्थिति मे (कठिनाईयो, मुसीबतो, विपत्तियो आदि) मे पूरी तरह से ईश्वर के प्रति समर्पित थे समय के हालात और घटनाओ ने आप मे किसी प्रकार का कोई बदलाव नही हुआ।।[१] बाइस्वीं दुआ की महत्वपूण शिक्षाऐं निम्नलिखित है:

  • आत्मा को शुद्ध करने (तहज़ीब नफ़्स) में कठिनाई
  • मानव की उन्नति के लिए इलाही तौफ़ीक़ की आवश्यकता
  • ईश्वर को प्रसन्न करने वाले कार्यों की तौफ़ीक़ के लिए दुआ करना
  • चयन की शक्ति और जिम्मेदारी की स्वीकृति मानव के विशेष विशेषाधिकारों में से एक है
  • ईश्वर की प्रसन्नता, मार्गदर्शन का कारक है
  • कठिनाइयों के सामने कमजोरी और अधीरता को स्वीकार करना
  • कष्ट और दरिद्रता की कठिनाई तथा बड़े भरण-पोषण की याचना
  • इलाही रहमत के लिए अनुरोध करना
  • लोगों को न सौंपे जाने का अनुरोध करना
  • ईश्वर के अलावा दूसरो पर भरोसे का परिणाम (परित्याग, अभाव, अभिशाप और दोष)
  • बेनयाज़ी की हालत मे भी माफ़ी और क्षमा मांगना
  • अपने ऊपर छोड़ दिए जाने की सूरत मे कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थता
  • जीवन के सभी मामलों में ईश्वर से विशेष देखभाल की माँग करना
  • ईश्वर की कृपा और महानता के लिए आशा की छाया में रहने की कोई आवश्यकता नहीं है
  • ईर्ष्या से मुक्ति और पापों के निवारण की दुआ करना
  • उपेक्षित कार्यों के लिए ईस्वर से क्षमा मांगना
  • मक़ामे रेज़ा और बेहतरीन नेमत का अनुरोध और इज़्ज़त व आबरू और स्वास्थ के संरक्षण का अनुरोध
  • वाजेबात को अंजाम देने मे तौफ़ीक का अनुरोध
  • ईमानदारी से कर्म करने का अनुरोध करना
  • अच्छे कार्यों के प्रति जुनून और बुरे कार्यों के प्रति घृणा
  • संसार में वैराग्य की प्रार्थना |
  • लोगों के बीच रहने और अंधेरे और संदेह से छुटकारा पाने के लिए प्रकाश का लाभ उठाने का अनुरोध किया जा रहा है
  • सज़ा के डर और इनाम की उत्सुकता के आलोक में सेवा और दुआ करने की खुशी महसूस करना
  • सज़ा का डर और सवाब की लालसा (मानव विकास में आनंद की इच्छा और कड़वाहट से बचने की भूमिका)
  • दुनिया और आख़िरत के काम दुरुस्त करने की दुआ
  • अल्लाह की नेमतो के लिए आभार
  • ईर्ष्या का ख़तरा और ईर्ष्या के लक्षण: (ईश्वरीय व्यवस्था से दूर जाना, दूसरों की भलाई से पीड़ित होना)
  • ख़ुशी और गुस्से में भी संयम, दोस्ती और दुश्मनी में भी संयम
  • समृद्धि और आराम और कभी-कभी कठिनाई और आपातकाल के दौरान ईमानदारी से प्रार्थना करना
  • शुद्ध (ख़ालिस) और निष्कलंक (बे नक़स) प्रार्थना[२]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी बाइस्वीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[३] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[४] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[५] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की बाइस्वीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[६] मुहम्मद जवाद मुग़्निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[७] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[८] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[९] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१०] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[११]

पाठ और अनुवाद

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 329
  2. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 391-447; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 329-368
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 385-447
  4. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 329-368
  5. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 361-378
  6. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 3, पेज 490-535
  7. मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 295-308
  8. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 283-300
  9. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 598-567
  10. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 52-53
  11. जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 127-131


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी