सहीफ़ा सज्जादिया की तैतीसवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की तैतीसवीं दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
अन्य नामभलाई का आग्रह करने की दुआ
विषयभलाई चाहने की दुआ, कज़ा और क़द्रे इलाही पर राज़ी रहना
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की तैतीसवीं दुआ (अरबीः الدعاء الثالث والثلاثون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की मासूरा दुआओ में से एक है, जिसे इमाम सज्जाद (अ) अल्लाह से भलाई का आग्रह करते समय पढ़ते थे। इस दुआ में ईश्वरीय निर्णय से पहले संतुष्टि के कारक के ज्ञान का परिचय दिया जाता है। साथ ही, ईश्वर के प्रति समर्पण और निश्चितता की स्थिति के साथ-साथ पाप और लापरवाही से बचने का अनुरोध किया गया है।

तैतीसवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ का वर्णन विभिन्न भाषाओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।

शिक्षाएँ

तैतीसवीं दुआ सहीफ़ा सज्जादिया की उन दुआओ मे से एक है, जिसे इमाम सज्जाद (अ) भलाई का आग्रह करते समय पढ़ते थे। ममदूही किरमानशाही ने इस दुआ के विवरण में इस्तेख़ारा के बारे में बात की है। उनके अनुसार, इस्तेखा़रा को ईश्वरीय मार्गदर्शन प्राप्त करने के तरीकों में से एक माना जाता है, जब बंदा ईश्वर से मार्गदर्शन मांगता हैं जब वह विचार-विमर्श के माध्यम से अपना कर्तव्य नहीं समझ पाता हैं। तब अल्लाह से मार्गदर्शन का आग्रह करता है।

चित्र:ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 161
 इस दुआ की शिक्षाएं इस प्रकार हैं:
  • अल्लाह से हर अच्छी और सर्वोत्तम चीज़ माँगना
  • अल्लाह के द्वार पर समर्पण और निश्चितता की स्थिति का अनुरोध
  • पाप और लापरवाही से बचने की कोशिश
  • ईश्वर के फैसले और नियति और समर्पण से संतुष्टि मांगना
  • मुखलेसीन की निश्चिंतता से लाभ उठाने का अनुरोध
  • ईश्वरीय निर्णय से पहले संतुष्टि के कारक को जानना
  • ईश्वरीय आदेशों से संतुष्ट रहने का अनुरोध
  • ईश्वरीय निर्णय की आसान खोज के लिए अनुरोध
  • आज्ञाकारिता और समर्पण तथा ईश्वर की व्यवस्था और इच्छा के प्रति पूर्ण समर्पण की इच्छा
  • परमेश्वर अच्छी वस्तुओं का दाता और बड़ी आशीषों का दाता है
  • सुखद अंत के लिए अनुरोध।[१]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी तीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[२] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही]की किताब शुहूद व शनाख़त[३] सय्यद अहमद फ़हरी की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[४] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की तैतीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[५] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[६] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[७] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[८] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[९] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१०]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की तैतीसवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआऐहि अलैहिस सलामो फ़िल इस्तेख़ारते अल्लाह से भलाई का आग्रह करने की हजरत की दुआ وَ کانَ، مِنْ دُعَائِهِ علیه‌السلام فِی الِاسْتِخَارَةِ
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तख़ीरोका बेइल्मेका, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वक़्ज़ेली बिल ख़ैरते पालन हार! मैं तेरे ज्ञान के माध्यम से तुझ से ख़ैर और बहबूद चाहता हूं। इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मेरे लिए अच्छाई का फ़ैसला पारित कर। اللَّهُمَّ إِنِی أَسْتَخِیرُک بِعِلْمِک، فَصَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اقْضِ لِی بِالْخِیرَةِ
व अलहिमना मअरेफ़तल इख्तियारे, वज्अल ज़ालेका ज़रीअतन ऐलर रेज़ा बेमा क़ज़यता लना वत्तसलीमे लेमा हकमता फ़अज़ेह अन्ना रैबल इरतियाबे, वऐदना बेयक़ीनिल मुखलेसीना और हमारे दिल मे अपने फ़ैसले (की हिकमत और मसलहत) डाल और उसे एक माध्यम बना ताकि हम तेरे निर्णय पर संतुष्ठ रहे और तेरे आदेश के आगे सिर झुका दे। इस प्रकार हम से संदेह दूर कर और मुखलेसीन का यक़ीन हमारे अंदर पैदा करके हमे शक्ति प्रदान कर وَ أَلْهِمْنَا مَعْرِفَةَ الِاخْتِیارِ، وَ اجْعَلْ ذَلِک ذَرِیعَةً إِلَی الرِّضَا بِمَا قَضَیتَ لَنَا وَ التَّسْلِیمِ لِمَا حَکمْتَ فَأَزِحْ عَنَّا رَیبَ الِارْتِیابِ، وَ أَیدْنَا بِیقِینِ الْمُخْلِصِینَ.
वला तसुम्ना अज्ज़ल मअरेफ़ते अम्मा तख़य्यरता फ़नग़्मेता क़दरका, न नकरहा मौज़ेआ रेजाका, व नज्नहा ऐलल लती हेया अब्अदो मिन हुस्निल आफ़ीयते, अक़रबो ऐला ज़िद्दल आफ़ीयते और हमे हमारे हाल पर मत छोड़ जोकि तूने निर्णय लिया है हम उसकी मारफ़त से अवज्ञत रहे और तेरी महानता और गरिमा को हल्का समझे और जिस चीज से तेरी खुशी संबंधित है उसे पसंद ना करें और जो जिस अंजाम की खूबी से दूर और आफ़ीयत की ज़िद से करीब हो उसकी ओर आर्कषित हो जाएं وَ لَا تَسُمْنَا عَجْزَ الْمَعْرِفَةِ عَمَّا تَخَیرْتَ فَنَغْمِطَ قَدْرَک، وَ نَکرَهَ مَوْضِعَ رِضَاک، وَ نَجْنَحَ إِلَی الَّتِی هِی أَبْعَدُ مِنْ حُسْنِ الْعَاقِبَةِ، وَ أَقْرَبُ إِلَی ضِدِّ الْعَافِیةِ
हब्बिब इलैना मा नकरहो मिन क़ज़ाएका, व सह्हिल अलैना मा नस्तसएबो मिन हुकमेका तेरे जिस निर्णय को पसंद ना करे वह हमारे लिए पसंदीदा बना दे और जिसे हम कठिन समझे उसे हमारे लिए सरल बना दे حَبِّبْ إِلَینَا مَا نَکرَهُ مِنْ قَضَائِک، وَ سَهِّلْ عَلَینَا مَا نَسْتَصْعِبُ مِنْ حُکمِک
वअलहिम्नल इन्क़ेयादा लेमा ओरदता अलैना मिन मशीयतेका हत्ता ला नोहिब्बा ताखीरा मा अज्जलता, वला तअजीला मा अख्खरता, वला नकरहा मा अहबबता, वला नतख़य्यरा मा करेहता और जिस मशीयत और इरादे को हमसे संबंधित किया है उसकी इताअत हमारे दिल मे डाल दे। यहा तक कि जिस चीज़ मे तूने शीघ्रता की है उसमे जल्दी नही चाहिए और जिसे तूने पसंद किया है उसे ना पसंद और जिसे नागवार समझा है उसका च्यन न करें। وَ أَلْهِمْنَا الِانْقِیادَ لِمَا أَوْرَدْتَ عَلَینَا مِنْ مَشِیتِک حَتَّی لَا نُحِبَّ تَأْخِیرَ مَا عَجَّلْتَ، وَ لَا تَعْجِیلَ مَا أَخَّرْتَ، وَ لَا نَکرَهَ مَا أَحْبَبْتَ، وَ لَا نَتَخَیرَ مَا کرِهْتَ
वखतिम लना बिल्लती हेया अहमदो आक़ेबतन, व अकरमो मसीरन, इन्नका तोफ़ीदुल करीमतन, व तोअतिल जसीमतन, व तफ़अलो मा तोरीदो, व अन्ता अला कुल्ले शैइन कदीर और हमारे कार्यो का उस चीज पर समापन कर जो अंजाम के हिसाब से पसंदीदा और माल के हिसाब से अच्छा हो। इसलिए तू नफ़ीस और पवित्र चीज़े प्रदान करता है और बड़ी नेमतें देता है और जो चाहता है वही करता है और तु हर चीज़ पर शक्ति रखता है। وَ اخْتِمْ لَنَا بِالَّتِی هِی أَحْمَدُ عَاقِبَةً، وَ أَکرَمُ مَصِیراً، إِنَّک تُفِیدُ الْکرِیمَةَ، وَ تُعْطِی الْجَسِیمَةَ، وَ تَفْعَلُ مَا تُرِیدُ، وَ أَنْتَ عَلَی کلِّ شَیءٍ قَدِیرٌ

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 161-169 शरह फ़राजहाए दुआ ए सीओ सेव्वुम अज़ साइट इरफ़ान
  2. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 227-238
  3. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 159-161
  4. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 67-77
  5. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 5, पेज 124-154
  6. मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 419-423
  7. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 443-4467
  8. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 189-202
  9. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 68-72
  10. जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 180-181


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी