गुमनाम सदस्य
"हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा": अवतरणों में अंतर
→सकीफा का विरोध
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विस्तृत लेख: [[सक़ीफ़ा बनी सायदा की घटना]] | |||
ख़लीफ़ा के चुनाव को लेकर सक़ीफ़ा बनी सायदा में हुई आपात बैठक में वहा पर उपस्थित सहीबयो द्वारा [[अबू-बक्र]] के ख़लीफ़ा नियुक्त होने पर उनके प्रति निष्ठा की शपथ लेने के बाद आपने हज़रत अली (अ) और तल्हा एंवम ज़ुबैर जैसे सहाबीयो के साथ मिलकर सहाबीयो की इस पहल का विरोध किया।<ref>इब्ने अबिल हदीद, शरह नहजुल बलाग़ा, 1378 हिजरी, भाग 1, पेज 123</ref> क्योंकि अलविदाई हज के अवसर पर पैगंबर (स) ने [[ग़दीर ख़ुम]] के स्थान पर इमाम अली (अ) को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।<ref>अमीनी, अल-ग़दीर, भाग 1, पेज 33</ref> ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार हज़रत फ़ातिमा (स) हज़रत अली (अ) के साथ एक-एक सहाबी के घर जाती, उनसे मदद और समर्थन मांगती थी। आपके अनुरोध के जवाब मे सहाबी कहते थे, "यदि आपने अबू-बक्र की निष्ठा की प्रतिज्ञा से पहले यह मांग की होती, तो हम अली का समर्थन करते, लेकिन अब हमने अबू-बक्र के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा की है।" जब सहाबी हज़रत अली (अ) का समर्थन करने से इंकार करते, तो आप उन्हें चेताती कि अबू-बक्र की निष्ठा अल्लाह की नाराज़गी और सज़ा का कारण है।<ref>इब्ने क़तीबा दैनूरी, अल-इमामा वस सियासा, 1380 शम्सी, पेज 28</ref> | ख़लीफ़ा के चुनाव को लेकर सक़ीफ़ा बनी सायदा में हुई आपात बैठक में वहा पर उपस्थित सहीबयो द्वारा [[अबू-बक्र]] के ख़लीफ़ा नियुक्त होने पर उनके प्रति निष्ठा की शपथ लेने के बाद आपने हज़रत अली (अ) और तल्हा एंवम ज़ुबैर जैसे सहाबीयो के साथ मिलकर सहाबीयो की इस पहल का विरोध किया।<ref>इब्ने अबिल हदीद, शरह नहजुल बलाग़ा, 1378 हिजरी, भाग 1, पेज 123</ref> क्योंकि अलविदाई हज के अवसर पर पैगंबर (स) ने [[ग़दीर ख़ुम]] के स्थान पर इमाम अली (अ) को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।<ref>अमीनी, अल-ग़दीर, भाग 1, पेज 33</ref> ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार हज़रत फ़ातिमा (स) हज़रत अली (अ) के साथ एक-एक सहाबी के घर जाती, उनसे मदद और समर्थन मांगती थी। आपके अनुरोध के जवाब मे सहाबी कहते थे, "यदि आपने अबू-बक्र की निष्ठा की प्रतिज्ञा से पहले यह मांग की होती, तो हम अली का समर्थन करते, लेकिन अब हमने अबू-बक्र के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा की है।" जब सहाबी हज़रत अली (अ) का समर्थन करने से इंकार करते, तो आप उन्हें चेताती कि अबू-बक्र की निष्ठा अल्लाह की नाराज़गी और सज़ा का कारण है।<ref>इब्ने क़तीबा दैनूरी, अल-इमामा वस सियासा, 1380 शम्सी, पेज 28</ref> |