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"इमाम महदी (अ.त.) का आंदोलन": अवतरणों में अंतर

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'''इमाम महदी (अ.त.) का आंदोलन''',(अरबीः قیام امام مھدی ) शिया मुस्लमानो को बारहवे इमाम के ज़हूर के पश्चात दुनिया में न्याय स्थापित करने के लिए आंदोलन है। आंदोलन के सही समय का किसी को भी ज्ञान नहीं है। हदीसों के अनुसार, इमाम महदी का आंदोलन मक्का में मस्जिद अल-हराम से शुरू होगा और आठ महीने तक चलेगा। इस आंदोलन का मुख्य स्थान इराक है, और यह इस क्षेत्र में इमामे ज़माना सूफियानी को परास्त करेंगें।
'''इमाम महदी (अ.त.) का आंदोलन''',(अरबीः قیام امام مھدی ) शिया मुस्लमानो को बारहवे इमाम के ज़हूर के पश्चात दुनिया में न्याय स्थापित करने के लिए आंदोलन है। आंदोलन के सही समय का किसी को भी ज्ञान नहीं है। हदीसों के अनुसार, इमाम महदी (अ.त.) का आंदोलन [[मक्का]] में [[मस्जिद अल-हराम]] से शुरू होगा और आठ महीने तक चलेगा। इस आंदोलन का मुख्य स्थान [[इराक]] है, और यह इस क्षेत्र में इमामे ज़माना [[सूफियानी]] को परास्त करेंगें।


हदीसों के अनुसार इमामे ज़माना (अ.त.) के 313 विशेष सहायक इस आंदोलन मे भाग लेंगे; लेकिन आंदोलन में भाग लेने वालों की सार्वजनिक संख्या बहुत अधिक है, और उनमें से अधिकांश युवा होंगे। इस आंदोलन में हज़रत ईसा भी इमाम का साथ देंगे। इनके अलावा कुछ अम्बिया और औलिया जैसे अस्हाबे कहफ, हजरत यूशा बिन नून, मोमिन आले फ़िरऔन, सलमान फ़ारसी, अबू दुजाना अंसारी और मालिक अश्तर नख़ाई भी रजअत करके इस आंदोलन में भाग लेंगे।
हदीसों के अनुसार इमामे ज़माना (अ.त.) के 313 विशेष सहायक इस आंदोलन मे भाग लेंगे; लेकिन आंदोलन में भाग लेने वालों की सार्वजनिक संख्या बहुत अधिक है, और उनमें से अधिकांश युवा होंगे। इस आंदोलन में [[हज़रत ईसा (अ)]] भी इमाम का साथ देंगे। इनके अलावा कुछ [[अम्बिया]] और औलिया जैसे [[अस्हाबे कहफ,]] [[हजरत यूशा बिन नून,]] [[मोमिन आले फ़िरऔन,]] [[सलमान फ़ारसी,]] [[अबू दुजाना अंसारी]] और [[मालिक अश्तर नख़ाई]] भी [[रजअत]] करके इस आंदोलन में भाग लेंगे।


कुछ लोग हदीसो का हवाला देते हुए मानते हैं कि आंदोलन में इमाम ज़मान का हथियार तलवार होगी, और अल्लाह की ओर से इस तलवार मे क़रार दिए जाने वाले चमत्कारो से अपने दुश्मन को परास्त करेंगे। एक अन्य समूह का मानना है कि इस आंदोलन के माध्यम से उन्नत हथियार विफल हो जाएंगे और इस प्रकार इमाम ज़माना (अ.त.) तलवार के माध्यम से सफल होंगे; लेकिन इसके विपरीत कुछ अन्य लोगों के अनुसार हदीसो में तलवार शब्द का प्रयोग प्रतीकात्मक है और इसका अर्थ एक सैन्य हथियार है अर्थात प्रत्येक समय मे उस समय के अनुसार प्रयोग होने वाला हथियार है।
कुछ लोग हदीसो का हवाला देते हुए मानते हैं कि आंदोलन में इमाम ज़मान (अ.त.) का हथियार तलवार होगी, और अल्लाह की ओर से इस तलवार मे क़रार दिए जाने वाले चमत्कारो से अपने दुश्मन को परास्त करेंगे। एक अन्य समूह का मानना है कि इस आंदोलन के माध्यम से उन्नत हथियार विफल हो जाएंगे और इस प्रकार इमाम ज़माना (अ.त.) तलवार के माध्यम से सफल होंगे; लेकिन इसके विपरीत कुछ अन्य लोगों के अनुसार हदीसो में तलवार शब्द का प्रयोग प्रतीकात्मक है और इसका अर्थ एक सैन्य हथियार है अर्थात प्रत्येक समय मे उस समय के अनुसार प्रयोग होने वाला हथियार है।


==स्थिति और महत्व==
==स्थिति और महत्व==
इमाम ज़मान (अ.त.) का आंदोलन दुनिया में न्याय स्थापित करने के लिए, शियाओं के बारहवें इमाम द्वारा उनके ज़हूर (पुनः प्रकट होने) के बाद किए गए उपायों को संदर्भित करता है।<ref>सलीमीयान, दरसनामा महदावीयत, भाग 3, पेज 170-171</ref> हालाकि एक हिसाब से इमाम ज़माना (अ.त.) के ज़हूर को ही आंदोलन बताते है।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 195</ref> लेकिन जैसा कि शिया शोधकर्ता खुदा मुराद सलीमीयान ने कहा कि दोनों मुद्दे अलग हैं और इमाम ज़माना (अ.त.) का आंदोलन आपके ज़हूर पश्चात होगा।<ref>सलीमीयान, दरसनामा महदावीयत, भाग 3, पेज 172</ref>   
इमाम ज़मान (अ.त.) का आंदोलन दुनिया में न्याय स्थापित करने के लिए, [[शियो के इमाम|शियाओं के बारहवें इमाम]] द्वारा उनके [[ज़हूर]] (पुनः प्रकट होने) के बाद किए गए उपायों को संदर्भित करता है।<ref>सलीमीयान, दरसनामा महदावीयत, भाग 3, पेज 170-171</ref> हालाकि एक हिसाब से इमाम ज़माना (अ.त.) के ज़हूर को ही आंदोलन बताते है।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 195</ref> लेकिन जैसा कि शिया शोधकर्ता खुदा मुराद सलीमीयान ने कहा कि दोनों मुद्दे अलग हैं और इमाम ज़माना (अ.त.) का आंदोलन आपके ज़हूर पश्चात होगा।<ref>सलीमीयान, दरसनामा महदावीयत, भाग 3, पेज 172</ref>   


हदीस मे आंदोलन के लिए ख़ुरूज शब्द का भी प्रयोग हुआ है।<ref>शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 2, पेज 377-378 </ref>शेख सुदूक ने किताबे ख़िसाल मे एक हदीस मे लिखते हुए इमाम ज़माना (अ.त.) के आंदोलन को रज्अत और पुनरूत्थान के दिन के साथ अल्लाह के दिनो मे से बताया गया है।<ref>शेख़ सुदूक़, ख़िसाल, भाग 1, पेज 108</ref> कुछ हदीसो के अनुसार इमाम ज़माना (अ.त.) का आंदोलन आठ महीने तक चलेगा<ref>नौमानी, अल-ग़ैय्बा, पेज 164, हदीस 5</ref> जिसके परिणाम स्वरूप इमाम ज़माना (अ.त.) की वैश्विक सरकार स्थापित होगी।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 449</ref>
हदीस मे आंदोलन के लिए ख़ुरूज शब्द का भी प्रयोग हुआ है।<ref>शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 2, पेज 377-378 </ref>शेख सुदूक ने किताबे ख़िसाल मे एक हदीस मे लिखते हुए इमाम ज़माना (अ.त.) के आंदोलन को रज्अत और पुनरूत्थान के दिन के साथ अल्लाह के दिनो मे से बताया गया है।<ref>शेख़ सुदूक़, ख़िसाल, भाग 1, पेज 108</ref> कुछ हदीसो के अनुसार इमाम ज़माना (अ.त.) का आंदोलन आठ महीने तक चलेगा<ref>नौमानी, अल-ग़ैय्बा, पेज 164, हदीस 5</ref> जिसके परिणाम स्वरूप इमाम ज़माना (अ.त.) की वैश्विक सरकार स्थापित होगी।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 449</ref>
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==समय और अवधि==
==समय और अवधि==
इमाम ज़माना (अ.त.) का आंदोलन कब आरम्भ होगा इस संबंध मे कोई सटीक ज्ञान नही है,<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 207
इमाम ज़माना (अ.त.) का आंदोलन कब आरम्भ होगा इस संबंध मे कोई सटीक ज्ञान नही है,<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 207
</ref> लेकिन इस आंदोलन के समय की कुछ विशेषताओ का हदीसो मे वर्णन हुआ है। जैसे कि यह आंदोलन विषम वर्षो ()मे, आशूर (10 मोहर्रम) और शनिवार से शुरू होगा।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 212-213</ref> तारीखे मा बाद अज़ ज़हूर किताब के लेखक सय्यद मुहम्मद सद्र के अनुसार इस संबंध की हदीसो मे आशूरा दिवस के अतिरिक्त दूसरे दिनो मे ज़हूर होने वाली रिवायते अस्वीकार्य है।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 213</ref>
</ref> लेकिन इस आंदोलन के समय की कुछ विशेषताओ का हदीसो मे वर्णन हुआ है। जैसे कि यह आंदोलन विषम वर्षो ()मे, आशूर (10 मोहर्रम) और शनिवार से शुरू होगा।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 212-213</ref> तारीखे मा बाद [[अज़ ज़हूर किताब]] के लेखक [[सय्यद मुहम्मद सद्र]] के अनुसार इस संबंध की हदीसो मे आशूरा दिवस के अतिरिक्त दूसरे दिनो मे ज़हूर होने वाली रिवायते अस्वीकार्य है।<ref>सद्र, अलमोसूआ तुल महदावीया, भाग 3 (तारीख़े मा बाद अज़ ज़हूर), पेज 213</ref>


इस आंदोलन की अवधि के बारे में हदीसो मे है कि इमाम ज़माना (अ.त.) आठ महीनो तक तलवार अपने साथ रखेंगे।<ref>नौमानी, अल-ग़ैय्बा, पेज 164, हदीस 5</ref>
इस आंदोलन की अवधि के बारे में हदीसो मे है कि इमाम ज़माना (अ.त.) आठ महीनो तक तलवार अपने साथ रखेंगे।<ref>नौमानी, अल-ग़ैय्बा, पेज 164, हदीस 5</ref>
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